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संस्कृति

Teej Festival 2023: न कामना हो सिर्फ 'उनकी', तीज का महत्व आपकी सामूहिक आजादी और खुशियों का भी 'जश्न' है

महिलाओं के सामूहिक उल्लास के पर्व तीज को सिर्फ पति की लंबी कामना करने वाला पर्व कहा जाना, इस पर्व के रंग-बिरंगे रूप को कमतर आंका जाना है, क्योंकि यह पर्व सिर्फ जहां एक तरफ प्राकृतिक हरियाली का स्वागत करना है, वहीं सामूहिक रूप से महिलाओं के बीच के अपनेपन को कम से कम एक दिन जश्न के रूप में मनाने का भी है। यही वजह है कि हमारे लोक गीतों में भी सिर्फ पति की कामना करने वाले शब्दों के जिक्र नहीं आते, बल्कि इसका कैनवास काफी विस्तृत है, आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।

अनुप्रिया वर्मा | सितंबर 18, 2023
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रहन-सहन

'खुशियों' की इंस्टेंट डिलीवरी चाहिए या 'सुकून' वाली लग्जरी तो साल में एक बार ट्रेन यात्रा करके देखिए

सहूलियत से भरी यात्रा से इतर, एक सुकून भरी यात्रा करने का मौका हाल ही में हुआ, जब मुंबई से जोधपुर की यात्रा हमने ट्रेन से की। 15 घंटे के इस सफर में, कुछ अनोखे अनुभव मिले, अनोखे इस लिहाज से कि इस दौर में सबकुछ इंस्टेंट मिलने की होड़ में एक तसल्ली, चीजों की कम बर्बादी और लोगों के पास, दूसरे लोगों के लिए कुछ फुर्सत के पल थे साझा करने के। तो, क्यों जरूरी है साल में कम से कम एक बार भारत में ट्रेन की यात्राएं करना, जो भी खास अनुभव रहे हैं, उन्हें यहां ज्यों का त्यों साझा कर रहे हैं।

अनुप्रिया वर्मा | जून 14, 2024
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संस्कृति

ओणम 2023 : रंगोली, लोक नृत्य और ये 5 खास चीजें हैं, जो प्रतीक हैं महिलाओं के सामूहिक उल्लास का

ओणम थुरु ओणम या थिरुवोणम के रूप में भी जाना जाता है। यह पर्व केरल के सबसे बड़े और सबसे अधिक दिनों तक चलने वाले पर्वों में से एक पर्व है। खास बात यह है कि यह प्रकृति से प्यार करने वाले ही एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। खासतौर से जब फसल की अच्छी उपज के लिए एक तरह से यह प्रकृति से प्रार्थना का दिन होता है। इस 10 दिन तक चलने वाले त्यौहार की खासियत यह भी है कि इसमें महिलाएं, बेहद प्यारी रंगोली बनाती हैं, साथ ही तरह-तरह के पकवान भी बनते हैं और साथ ही महिलाएं लोक नृत्य भी जम कर करती हैं। ऐसे में आइए जानें, इस पर्व में महिलाएं और भी क्या-क्या खास चीजें करती हैं।

टीम Her Circle | अगस्त 29, 2023
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रिलेशनशिप्स

Teacher's Day Special : शिक्षक, स्टूडेंट्स और सोशल मीडिया : कल, आज और आने वाले कल का रोमांचक अध्याय

गुरु का अर्थ है, अंधकार से रौशनी की तरफ ले जाने वाले। जी हां, गुरु उस किसान की तरह होते हैं, जो दिमाग में ज्ञान का बीज बोते हैं। और शिष्य को कच्ची मिट्टी की तरह माना जाता है, जिसे शिक्षक अपने ज्ञान से आकार देता है। दरअसल, गुरु और शिष्य का रिश्ता हमेशा ही सारे रिश्तों से सर्वोपरि रहा है। फिर भले ही दौर कोई भी हों। हालांकि हकीकत यह भी है कि बदलते दौर के साथ शिक्षकों को लेकर शिष्यों का नजरिया भी बदला है। हमने शिक्षक दिवस के बहाने, पुराने दौर से लेकर वर्तमान दौर की कुछ महिला शिक्षकों से बातचीत करने की कोशिश की है और जानने की कोशिश की है कि बढ़ते तकनीक और माहौल में किस तरह से उनका रिश्ता अपने शिष्यों के साथ बदला है।

अनुप्रिया वर्मा | सितंबर 05, 2023
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संस्कृति

इन 5 हिंदी फिल्मों में दिखी है ‘टू स्टेट्स’ की संस्कृति की खूबसूरत प्रेम कहानियां

बॉलीवुड के निर्देशकों की यह खूबी रही है कि वह अपने देश से बेहद प्यार करते हैं और उन्हें जब भी मौका मिला है, वह अपनी फिल्मों के माध्यम से ही अखंडता में एकता को दर्शाते रहे हैं, वह इस बात को दर्शाते रहे हैं कि भारत विविधताओं का ही देश है, ऐसे में यहां की प्रेम कहानियां भी जब दो अलग-अलग, प्रांतों की टकराती है, तो उनका प्यार दर्शकों के जेहन में बस जाता है। अपनी फिल्मी रोमांटिक कहानियों के माध्यम से ही, दो प्रांतों की संस्कृति को जोड़ने की काफी प्यारी कोशिश निर्देशक करते आये हैं, क्योंकि दो राज्यों को एक करने में प्रेम से अच्छा माध्यम तो कुछ हो ही नहीं सकता, ऐसे में आइए आपको ऐसी 5 फिल्मों के बारे में बताते हैं जिनमें दिखी है, दो अलग-अलग प्रांतों की प्रेम कहानियां, लेकिन जिनके दिल फिर हो गए हैं एक। 

अनुप्रिया वर्मा | दिसंबर 03, 2023
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प्रेरणा

मिलिए ‘पंचरवाली’ के नाम से जानी जाने वाली ‘लक्ष्मी बानो’से, जिन्होंने दर्शाया कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता है

आप किसी हाई वे से गुजर रहे हैं और वहां आपकी गाड़ी पंचर हो जाये, तो जाहिर है कि आपकी जुबां पर यही बात आएगी कि अब ‘पंचर वाला’ को ढूंढना पड़ेगा। हमारे जेहन में कभी यह बात आ ही नहीं सकती कि ‘पंचर वाली’ को ढूंढें, क्योंकि पंचर बनाने जैसे तकनीकी काम करते हुए हम कहां सोच पाते हैं कि यह काम लड़कियां भी कर सकती हैं, लेकिन इस पूरी सोच को जयपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर देवथला गांव की लक्ष्मी बानो ने बदल कर रख दिया है। वह कई सालों से अपने पापा की पंचर की दुकान चला रही हैं और अपना और अपनी मां का जीवन निर्वाह कर रही हैं, आइए जानें उनके बारे में विस्तार से। 

अनुप्रिया वर्मा | जुलाई 12, 2024
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प्रेरणा

मिलिए पॉटरी आर्टिस्ट रेशमा दत्ता से, जिन्होंने गांव की महिलाओं को दिया जीविका का ‘आधार’, समझा उन्हें ही परिवार

मुमकिन है कि आपको शाह रुख की फिल्म ‘स्वदेस’ का किरदार मोहन भार्गव याद आ जाए , क्योंकि संदर्भ ही कुछ ऐसा है। लेकिन यह कहानी बिल्कुल फिल्मी नहीं है, बल्कि सच्ची है। आर्टिस्ट रेशमा दत्ता, झारखंड के बुंडू इलाके से ताल्लुक रखने वालीं एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अपने गांव की महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपनी कला से उन्होंने एक ऐसा आधार बनाया कि आज वहां की महिलाएं रोजगार के अवसर तलाशने की मोहताज नहीं हैं। आइए जानें इनके बारे में विस्तार से।

अनुप्रिया वर्मा | मार्च 17, 2024
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संस्कृति

Durga Puaj Special : हर औरत में है मां दुर्गा, जानिए कैसे उनके अस्त्र-शस्त्र आज भी हैं प्रासंगिक

हम सबके आस-पास ही हैं, देवी दुर्गा, जरूरत है तो बस उन्हें पहचानने की। जी हां, वर्तमान दौर में घरेलू महिलाओं से लेकर वर्किंग वीमेन तक, सभी हर दिन किसी न किसी रूप में अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर, अपने जीवन को नया रूप दे रही हैं। उनका धैर्य, निडरता, आत्म-विश्वास और उनकी कई खूबियां हैं, जो वर्तमान दौर में इन नारी शक्ति का प्रतीक हैं। तो दुर्गा पूजा के बहाने, देवी के अस्त्र-शस्त्र किस तरह आज की महिलाओं के लिए प्रासंगिक हैं, क्योंकि हर औरत में मां दुर्गा तो हैं ही। आइए जानते हैं।

शिखा शर्मा | अक्टूबर 21, 2023
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प्रेरणा

मिलिए महिला आईएएस ऑफिसर और जिला कलेक्टर हर्षिका सिंह से, जिन्होंने मंडला की महिलाओं को दिलायी ‘ निरक्षरता से आजादी’

मध्य प्रदेश के बेहद पिछड़े इलाके मंडला में महिलाओं को फंक्शनल साक्षरता में 100 प्रतिशत तक पहुंचाने वाली आईएएस ऑफिसर एवं जिला कलेक्टर हर्षिका सिंह लगातार महिलाओं को साक्षर बनाने के मिशन पर काम कर रही हैं, ताकि महिलाएं अपना नाम लिख सकें, बैंक से जुड़े कामों को पूरा कर पाए, अपने पैरों पर खड़े होने के लिए सक्षम बन पाएं और अपने इस प्रयास में वह सफल भी रही हैं, यही नहीं मध्य-प्रदेश के ही तिकमगढ़ इलाके में भी उन्होंने इस मिशन को अंजाम दिया है, आइए जानें उनके इस प्रेरणा से भरपूर कदम के बारे में विस्तार से।

अनुप्रिया वर्मा | जुलाई 10, 2024
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थीम

नाटकों में भी होती है फिजिकल कास्टिंग, स्पॉट बॉय भी बड़े स्टार्स के सामने आपको भाव नहीं देते हैं

उन्होंने बचपन से कभी नहीं सोचा कि उन्हें अभिनय करना है, वह खुद कहती हैं कि उनकी बहनें बेहद खूबसूरत थीं और वह खुद को कभी अभिनेत्री वाली श्रेणी में नहीं रखती थीं। लेकिन उन्हें फिल्में देखने का शौक रहा और उनके इस शौक को दिशा मिली नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में, जहां उन्होंने अभिनय में महारत हासिल किया, फिर मुंबई आ गयीं। लेकिन लम्बे समय तक छोटे और ज्यादातर नौकरानी वाले किरदार में भी टाइपकास्ट कर दिया गया। संघर्ष जारी रहा, लेकिन उन्होंने अभिनय के साथ सहयोगी निर्देशक के रूप में भी काम किया। लेकिन अब वह ओटीटी की दुनिया में छा चुकी हैं, गुल्लक और पंचायत में उनके किरदार को खूब प्यार मिला। जी हां, हम बात कर रहे हैं सुनीता चंद रजवार की, जो कि एक ऐसी अभिनेत्री हैं, जिन्होंने अपने दम और धैर्य से पहचान बनायीं। उनके अभिनय जीवन के सफर में कई दिलचस्प पड़ाव रहे हैं, जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो।

अनुप्रिया वर्मा और शिखा शर्मा | जुलाई 21, 2024
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प्रेरणा

देश-विदेश तक फैला है इन आदिवासी महिलाओं का कंदील व्यापार, देखिए रौशन होती इनकी जिंदगी की पूरी कहानी

जानते हैं, एक ऐसी जगह भी है, जहां इन कंदीलों ने आदिवासी महिलाओं की जिंदगी में रौशनी लाई है। बांस से बनी हुई चीजों की वजह से आज उनकी जिंदगी के साथ-साथ पूरे गांव की आर्थिक स्थिति में बदलाव आ गया। मिलिए, मुंबई से कुछ दूरी पर स्थित पालघर से 30 से 35 किलोमीटर दूर बसे इलाके में विक्रम गढ़ तालुका के गांव टेटवाली की महिलाओं से। ये महिलाएं अपने हाथों से बांस की चटाई, खिलौने, घर का सामान, रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल में आने वाली चीजें और इको-फ्रेंडली दिवाली बनाने के लिए बांस के तरह-तरह के रंग-बिरंगे कंदील बना रही हैं।

शिखा शर्मा | मार्च 02, 2024
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प्रेरणा

गणेशोत्सव स्पेशल : मिलिए ढोल ताशा बजाने वाली कलाकार रीना राज धनुधर्मी से, जिनके नाम हैं कई रिकॉर्ड्स

मुंबई में ऐसे कई ग्रुप हैं, जो ढोल ताशे के साथ बप्पा की विदाई में हिस्सा लेते हैं, इसकी तैयारी कई महीने पहले से होती है। इन सबके बीच, पिछले कुछ वर्षों में देखें, तो लड़कियों ने गणेशोत्सव भी ढोल ताशे की मंडली बनाई है और वे बढ़ चढ़ कर इसमें हिस्सा भी लेती हैं। ऐसी ही एक कलाकार हैं, मुंबई में रहने वाली 16 साल की रीना राज धनुधर्मी, जो काफी कम उम्र से इस हुनर में माहिर हैं और उनकी उपलब्धि में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी शामिल हैं। तो आइए गणेशोत्सव के बहाने, जानें इस होनहार कलाकार के बारे में, जिनके लिए संगीत में बसी है उनकी दुनिया

अनुप्रिया वर्मा | सितंबर 19, 2023
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प्रेरणा

उत्तर पश्चिम रेलवे में शामिल हुईं 40 महिला सहायक लोको पायलट

अमूमन, जब भी किसी भी तरह की ड्राइविंग की बात आती है, तो दिमाग में पहले यही बात आती है कि चलाने वाला हो, वाली नहीं। कई बार लोगों को फ्लाइट में भी मजाक बनाते सुना है, अगर उन्हें पता चलता कि उस दिन की फ्लाइट में दो महिलाएं पायलट हैं। वह आपस में बात करते नजर आते हैं कि सेफ लैंड हो जाये बस, क्योंकि यह सोच है कि महिलाएं इस काम में पुरुषों की तुलना में कम होती हैं। लेकिन लगातार इस क्षेत्र में, महिलाओं ने कदम रखे हैं और इसी क्रम में लोको पायलट के रूप में भी महिलाओं की संख्या पहले की तुलना में बढ़ रही है और उनके इस कदम में साथ दे रहा है, उत्तर पश्चिम रेलवे।

टीम Her Circle | सितंबर 09, 2022
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संस्कृति

Teej Festival 2023: न कामना हो सिर्फ 'उनकी', तीज का महत्व आपकी सामूहिक आजादी और खुशियों का भी 'जश्न' है

महिलाओं के सामूहिक उल्लास के पर्व तीज को सिर्फ पति की लंबी कामना करने वाला पर्व कहा जाना, इस पर्व के रंग-बिरंगे रूप को कमतर आंका जाना है, क्योंकि यह पर्व सिर्फ जहां एक तरफ प्राकृतिक हरियाली का स्वागत करना है, वहीं सामूहिक रूप से महिलाओं के बीच के अपनेपन को कम से कम एक दिन जश्न के रूप में मनाने का भी है। यही वजह है कि हमारे लोक गीतों में भी सिर्फ पति की कामना करने वाले शब्दों के जिक्र नहीं आते, बल्कि इसका कैनवास काफी विस्तृत है, आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।

अनुप्रिया वर्मा | सितंबर 18, 2023
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रहन-सहन

'खुशियों' की इंस्टेंट डिलीवरी चाहिए या 'सुकून' वाली लग्जरी तो साल में एक बार ट्रेन यात्रा करके देखिए

सहूलियत से भरी यात्रा से इतर, एक सुकून भरी यात्रा करने का मौका हाल ही में हुआ, जब मुंबई से जोधपुर की यात्रा हमने ट्रेन से की। 15 घंटे के इस सफर में, कुछ अनोखे अनुभव मिले, अनोखे इस लिहाज से कि इस दौर में सबकुछ इंस्टेंट मिलने की होड़ में एक तसल्ली, चीजों की कम बर्बादी और लोगों के पास, दूसरे लोगों के लिए कुछ फुर्सत के पल थे साझा करने के। तो, क्यों जरूरी है साल में कम से कम एक बार भारत में ट्रेन की यात्राएं करना, जो भी खास अनुभव रहे हैं, उन्हें यहां ज्यों का त्यों साझा कर रहे हैं।

अनुप्रिया वर्मा | जून 14, 2024
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संस्कृति

ओणम 2023 : रंगोली, लोक नृत्य और ये 5 खास चीजें हैं, जो प्रतीक हैं महिलाओं के सामूहिक उल्लास का

ओणम थुरु ओणम या थिरुवोणम के रूप में भी जाना जाता है। यह पर्व केरल के सबसे बड़े और सबसे अधिक दिनों तक चलने वाले पर्वों में से एक पर्व है। खास बात यह है कि यह प्रकृति से प्यार करने वाले ही एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। खासतौर से जब फसल की अच्छी उपज के लिए एक तरह से यह प्रकृति से प्रार्थना का दिन होता है। इस 10 दिन तक चलने वाले त्यौहार की खासियत यह भी है कि इसमें महिलाएं, बेहद प्यारी रंगोली बनाती हैं, साथ ही तरह-तरह के पकवान भी बनते हैं और साथ ही महिलाएं लोक नृत्य भी जम कर करती हैं। ऐसे में आइए जानें, इस पर्व में महिलाएं और भी क्या-क्या खास चीजें करती हैं।

टीम Her Circle | अगस्त 29, 2023
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रिलेशनशिप्स

Teacher's Day Special : शिक्षक, स्टूडेंट्स और सोशल मीडिया : कल, आज और आने वाले कल का रोमांचक अध्याय

गुरु का अर्थ है, अंधकार से रौशनी की तरफ ले जाने वाले। जी हां, गुरु उस किसान की तरह होते हैं, जो दिमाग में ज्ञान का बीज बोते हैं। और शिष्य को कच्ची मिट्टी की तरह माना जाता है, जिसे शिक्षक अपने ज्ञान से आकार देता है। दरअसल, गुरु और शिष्य का रिश्ता हमेशा ही सारे रिश्तों से सर्वोपरि रहा है। फिर भले ही दौर कोई भी हों। हालांकि हकीकत यह भी है कि बदलते दौर के साथ शिक्षकों को लेकर शिष्यों का नजरिया भी बदला है। हमने शिक्षक दिवस के बहाने, पुराने दौर से लेकर वर्तमान दौर की कुछ महिला शिक्षकों से बातचीत करने की कोशिश की है और जानने की कोशिश की है कि बढ़ते तकनीक और माहौल में किस तरह से उनका रिश्ता अपने शिष्यों के साथ बदला है।

अनुप्रिया वर्मा | सितंबर 05, 2023
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संस्कृति

इन 5 हिंदी फिल्मों में दिखी है ‘टू स्टेट्स’ की संस्कृति की खूबसूरत प्रेम कहानियां

बॉलीवुड के निर्देशकों की यह खूबी रही है कि वह अपने देश से बेहद प्यार करते हैं और उन्हें जब भी मौका मिला है, वह अपनी फिल्मों के माध्यम से ही अखंडता में एकता को दर्शाते रहे हैं, वह इस बात को दर्शाते रहे हैं कि भारत विविधताओं का ही देश है, ऐसे में यहां की प्रेम कहानियां भी जब दो अलग-अलग, प्रांतों की टकराती है, तो उनका प्यार दर्शकों के जेहन में बस जाता है। अपनी फिल्मी रोमांटिक कहानियों के माध्यम से ही, दो प्रांतों की संस्कृति को जोड़ने की काफी प्यारी कोशिश निर्देशक करते आये हैं, क्योंकि दो राज्यों को एक करने में प्रेम से अच्छा माध्यम तो कुछ हो ही नहीं सकता, ऐसे में आइए आपको ऐसी 5 फिल्मों के बारे में बताते हैं जिनमें दिखी है, दो अलग-अलग प्रांतों की प्रेम कहानियां, लेकिन जिनके दिल फिर हो गए हैं एक। 

अनुप्रिया वर्मा | दिसंबर 03, 2023
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प्रेरणा

मिलिए ‘पंचरवाली’ के नाम से जानी जाने वाली ‘लक्ष्मी बानो’से, जिन्होंने दर्शाया कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता है

आप किसी हाई वे से गुजर रहे हैं और वहां आपकी गाड़ी पंचर हो जाये, तो जाहिर है कि आपकी जुबां पर यही बात आएगी कि अब ‘पंचर वाला’ को ढूंढना पड़ेगा। हमारे जेहन में कभी यह बात आ ही नहीं सकती कि ‘पंचर वाली’ को ढूंढें, क्योंकि पंचर बनाने जैसे तकनीकी काम करते हुए हम कहां सोच पाते हैं कि यह काम लड़कियां भी कर सकती हैं, लेकिन इस पूरी सोच को जयपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर देवथला गांव की लक्ष्मी बानो ने बदल कर रख दिया है। वह कई सालों से अपने पापा की पंचर की दुकान चला रही हैं और अपना और अपनी मां का जीवन निर्वाह कर रही हैं, आइए जानें उनके बारे में विस्तार से। 

अनुप्रिया वर्मा | जुलाई 12, 2024
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प्रेरणा

मिलिए पॉटरी आर्टिस्ट रेशमा दत्ता से, जिन्होंने गांव की महिलाओं को दिया जीविका का ‘आधार’, समझा उन्हें ही परिवार

मुमकिन है कि आपको शाह रुख की फिल्म ‘स्वदेस’ का किरदार मोहन भार्गव याद आ जाए , क्योंकि संदर्भ ही कुछ ऐसा है। लेकिन यह कहानी बिल्कुल फिल्मी नहीं है, बल्कि सच्ची है। आर्टिस्ट रेशमा दत्ता, झारखंड के बुंडू इलाके से ताल्लुक रखने वालीं एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अपने गांव की महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपनी कला से उन्होंने एक ऐसा आधार बनाया कि आज वहां की महिलाएं रोजगार के अवसर तलाशने की मोहताज नहीं हैं। आइए जानें इनके बारे में विस्तार से।

अनुप्रिया वर्मा | मार्च 17, 2024
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संस्कृति

Durga Puaj Special : हर औरत में है मां दुर्गा, जानिए कैसे उनके अस्त्र-शस्त्र आज भी हैं प्रासंगिक

हम सबके आस-पास ही हैं, देवी दुर्गा, जरूरत है तो बस उन्हें पहचानने की। जी हां, वर्तमान दौर में घरेलू महिलाओं से लेकर वर्किंग वीमेन तक, सभी हर दिन किसी न किसी रूप में अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर, अपने जीवन को नया रूप दे रही हैं। उनका धैर्य, निडरता, आत्म-विश्वास और उनकी कई खूबियां हैं, जो वर्तमान दौर में इन नारी शक्ति का प्रतीक हैं। तो दुर्गा पूजा के बहाने, देवी के अस्त्र-शस्त्र किस तरह आज की महिलाओं के लिए प्रासंगिक हैं, क्योंकि हर औरत में मां दुर्गा तो हैं ही। आइए जानते हैं।

शिखा शर्मा | अक्टूबर 21, 2023
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मिलिए महिला आईएएस ऑफिसर और जिला कलेक्टर हर्षिका सिंह से, जिन्होंने मंडला की महिलाओं को दिलायी ‘ निरक्षरता से आजादी’

मध्य प्रदेश के बेहद पिछड़े इलाके मंडला में महिलाओं को फंक्शनल साक्षरता में 100 प्रतिशत तक पहुंचाने वाली आईएएस ऑफिसर एवं जिला कलेक्टर हर्षिका सिंह लगातार महिलाओं को साक्षर बनाने के मिशन पर काम कर रही हैं, ताकि महिलाएं अपना नाम लिख सकें, बैंक से जुड़े कामों को पूरा कर पाए, अपने पैरों पर खड़े होने के लिए सक्षम बन पाएं और अपने इस प्रयास में वह सफल भी रही हैं, यही नहीं मध्य-प्रदेश के ही तिकमगढ़ इलाके में भी उन्होंने इस मिशन को अंजाम दिया है, आइए जानें उनके इस प्रेरणा से भरपूर कदम के बारे में विस्तार से।

अनुप्रिया वर्मा | जुलाई 10, 2024
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नाटकों में भी होती है फिजिकल कास्टिंग, स्पॉट बॉय भी बड़े स्टार्स के सामने आपको भाव नहीं देते हैं

उन्होंने बचपन से कभी नहीं सोचा कि उन्हें अभिनय करना है, वह खुद कहती हैं कि उनकी बहनें बेहद खूबसूरत थीं और वह खुद को कभी अभिनेत्री वाली श्रेणी में नहीं रखती थीं। लेकिन उन्हें फिल्में देखने का शौक रहा और उनके इस शौक को दिशा मिली नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में, जहां उन्होंने अभिनय में महारत हासिल किया, फिर मुंबई आ गयीं। लेकिन लम्बे समय तक छोटे और ज्यादातर नौकरानी वाले किरदार में भी टाइपकास्ट कर दिया गया। संघर्ष जारी रहा, लेकिन उन्होंने अभिनय के साथ सहयोगी निर्देशक के रूप में भी काम किया। लेकिन अब वह ओटीटी की दुनिया में छा चुकी हैं, गुल्लक और पंचायत में उनके किरदार को खूब प्यार मिला। जी हां, हम बात कर रहे हैं सुनीता चंद रजवार की, जो कि एक ऐसी अभिनेत्री हैं, जिन्होंने अपने दम और धैर्य से पहचान बनायीं। उनके अभिनय जीवन के सफर में कई दिलचस्प पड़ाव रहे हैं, जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो।

अनुप्रिया वर्मा और शिखा शर्मा | जुलाई 21, 2024
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देश-विदेश तक फैला है इन आदिवासी महिलाओं का कंदील व्यापार, देखिए रौशन होती इनकी जिंदगी की पूरी कहानी

जानते हैं, एक ऐसी जगह भी है, जहां इन कंदीलों ने आदिवासी महिलाओं की जिंदगी में रौशनी लाई है। बांस से बनी हुई चीजों की वजह से आज उनकी जिंदगी के साथ-साथ पूरे गांव की आर्थिक स्थिति में बदलाव आ गया। मिलिए, मुंबई से कुछ दूरी पर स्थित पालघर से 30 से 35 किलोमीटर दूर बसे इलाके में विक्रम गढ़ तालुका के गांव टेटवाली की महिलाओं से। ये महिलाएं अपने हाथों से बांस की चटाई, खिलौने, घर का सामान, रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल में आने वाली चीजें और इको-फ्रेंडली दिवाली बनाने के लिए बांस के तरह-तरह के रंग-बिरंगे कंदील बना रही हैं।

शिखा शर्मा | मार्च 02, 2024
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गणेशोत्सव स्पेशल : मिलिए ढोल ताशा बजाने वाली कलाकार रीना राज धनुधर्मी से, जिनके नाम हैं कई रिकॉर्ड्स

मुंबई में ऐसे कई ग्रुप हैं, जो ढोल ताशे के साथ बप्पा की विदाई में हिस्सा लेते हैं, इसकी तैयारी कई महीने पहले से होती है। इन सबके बीच, पिछले कुछ वर्षों में देखें, तो लड़कियों ने गणेशोत्सव भी ढोल ताशे की मंडली बनाई है और वे बढ़ चढ़ कर इसमें हिस्सा भी लेती हैं। ऐसी ही एक कलाकार हैं, मुंबई में रहने वाली 16 साल की रीना राज धनुधर्मी, जो काफी कम उम्र से इस हुनर में माहिर हैं और उनकी उपलब्धि में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी शामिल हैं। तो आइए गणेशोत्सव के बहाने, जानें इस होनहार कलाकार के बारे में, जिनके लिए संगीत में बसी है उनकी दुनिया

अनुप्रिया वर्मा | सितंबर 19, 2023
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उत्तर पश्चिम रेलवे में शामिल हुईं 40 महिला सहायक लोको पायलट

अमूमन, जब भी किसी भी तरह की ड्राइविंग की बात आती है, तो दिमाग में पहले यही बात आती है कि चलाने वाला हो, वाली नहीं। कई बार लोगों को फ्लाइट में भी मजाक बनाते सुना है, अगर उन्हें पता चलता कि उस दिन की फ्लाइट में दो महिलाएं पायलट हैं। वह आपस में बात करते नजर आते हैं कि सेफ लैंड हो जाये बस, क्योंकि यह सोच है कि महिलाएं इस काम में पुरुषों की तुलना में कम होती हैं। लेकिन लगातार इस क्षेत्र में, महिलाओं ने कदम रखे हैं और इसी क्रम में लोको पायलट के रूप में भी महिलाओं की संख्या पहले की तुलना में बढ़ रही है और उनके इस कदम में साथ दे रहा है, उत्तर पश्चिम रेलवे।

टीम Her Circle | सितंबर 09, 2022

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