कम उम्र में आर्थिक सफलता की मिसाल कायम करने की फेहरिस्त में लड़कियों का नाम सबसे आगे है। शहरों में रहकर किसी बड़ी कंपनी में खुद को स्थापित करने से बेहतर इन लड़कियों ने खुद को गांवों से जोड़ा और अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। पूरे जज्बे के साथ अपने व्यवसाय को शिखर पर पहुंचाया और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन गई हैं। आइए जानते हैं विस्तार से उन लड़कियों के बारे में, जिन्होंने छोटी उम्र में अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया साथ ही कई महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।
गोरखपुर की ज्योति तिवारी बनीं चाट क्वीन
गोरखपुर की ज्योति तिवारी ने पाक कला को खुद से जोड़ा और इसका व्यवसाय शुरू कर दिया। 22 साल की ज्योति तिवारी को लखनऊ की चाट क्वीन के नाम से पहचाना जाने लगा। यह भी जान लें कि ज्योति तिवारी की चाट का व्यवसाय शुरू करने के पीछे की वजह कोई आर्थिक मजबूरी नहीं थी, बल्कि उनकी खुद की पसंद रही है। मिली जानकारी के अनुसार ज्योति तिवारी ने बीए की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने नौकरी के लिए प्रयास किया और उन्हें नौकरी मिली भी। 2 साल तक नौकरी करने के बाद ज्योति ने खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया, वह नौकरी से खुश नहीं थीं। इसलिए उन्होंने लगभग 10 हजार का उधार लेकर खुद का व्यवसाय शुरू किया और देसी चाट बनाने की शुरुआत की। अपने इस व्यवसाय से वे हर दिन 2 से 3 हजार रुपए की कमाई करती हैं।
लखीमपुर में स्वाति पांडे कर रही हैं 100 एकड़ में खेती
उत्तराखंड के लखीमपुर में स्वाति पांडे खेती कर रही हैं, जी हां, सिंगापुर से अपनी अच्छी नौकरी को छोड़कर स्वाति पांडे ने खेती करने का फैसला लिया है। नीमगांव इलाके के कोटरा गांव की स्वाति ने अपनी पढ़ाई धनबाद आईआईटी इंजीनियरिंग से पूरी की। इसके बाद उन्हें स्कॉलरशिप मिली और वह लंदन चली गयीं। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्हें नौकरी मिली और वह सिंगापुर चली गईं। सिंगापुर में रहते हुए उन्हें स्टेविया का आइडिया आया। इस बीच वह वेकेशन के लिए अपने गांव आयीं और वहां पर उन्होंने किसानों की खराब हालत देखी और स्टेविया की नर्सरी बनाने का फैसला किया। वर्तमान में वह 100 एकड़ की स्टेविया की खेती कर रही हैं। उनकी खेती का यह बिजनेस मुनाफे में चल रहा है।
कानपुर की प्रेरणा वर्मा ने खड़ी की फैक्ट्री
कानपुर जिले मुख्यालय के करीब कौशलपुरी गुमटी की प्रेरणा वर्मा ने साल 2004 में लेदर की डोरी के बिजनेस की शुरुआत पार्टनर के साथ मिलकर की, लेकिन बाद में उनका ये बिजनेस सफल नहीं हो पाया। प्रेरणा वर्मा के पास पैसे की तंगी भी थी, किसी तरह से उन्होंने तीन हजार रुपए के साथ लेदर के फीते बनाने की शुरुआत की। एक कमरे में केवल उन्होंने बिजनेस शुरू किया। वर्तमान में 50 से अधिक लोग इस फैक्ट्री से जुड़ गए हैं। उनकी इस कंपनी में लेदर की डोरी, कॉटन की डोरी, लेदर बैग्स, लेदर हैंडीक्राफ्ट के साथ कई सारी चीजें बनाई जाती हैं। उनके इस प्रोडक्ट की मांग भिन्न देशों में होने लगी है।
झारखंड की शिल्पी सिन्हा का दूध का करोड़ों का बिजनेस
झारखंड की रहने वालीं शिल्पी सिन्हा ने बेंगलुरु से पढ़ाई पूरी की। हमेशा से वह व्यवसाय करना चाहती थीं। अपने पढ़ाई के दौरान शिल्पी सिन्हा ने ये जाना कि शुद्ध दूध को लेकर लोगों को काफी मुश्किलों को सामना करना पड़ता है। इसके बाद शिल्पी ने यह ठाना कि उन्हें गाय के दूध का ही बिजनेस करना है। शिल्पी ने जब बिजनेस की शुरुआत की, तो वह खुद ही गाय को चारा खिलाने और संभालने का काम करती थीं, क्योंकि उनके पास काम संभालने के लिए कोई नहीं था। साल 2018 से उन्होंने इस बिजनेस की शुरुआत की और अब वह करोड़ों का बिजनेस खड़ा कर चुकी हैं। वाकई वह कई महिलाओं के लिए प्रेरणा है कि कैसे उम्र उनके प्रगति में किसी भी तरह से बाधा नहीं बनीं।
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