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‘द नेमसेक’ के ज़रिये भारतीय जनमानस के दिलों में बसीं झुम्पा लाहिड़ी

रजनी गुप्ता |  जनवरी 23, 2025

‘द नेमसेक’ राइटर झुम्पा लाहिड़ी, एक अमेरिकी भारतीय लेखिका हैं, जो अमेरिका में जितनी लोकप्रिय हैं, उतने ही चाहनेवाले उनके भारत में भी हैं। आइए जानते हैं झुम्पा लाहिड़ी के बारे में कुछ ख़ास बातें।  

साहित्य में वर्णित पीड़ा, उनकी अपनी पीड़ा है  

11 जुलाई 1967 को लंदन में जन्मीं झुम्पा लाहिड़ी, साहित्यिक जगत का जाना-माना नाम हैं। मूल रूप से खुद को अमेरिकन माननेवाली झुम्पा लाहिड़ी का जन्म एक अप्रवासी बंगाली भारतीय परिवार में हुआ था। उनके माता पिता मूल रूप से कोलकाता वासी थे। अमेरिकी भारतीय लेखिका झुम्पा लाहिड़ी का असली नाम नीलांजना सुदेश्रा है, जिन्हें झुम्पा नाम उनके एक अमेरिकन टीचर ने दिया था, क्योंकि वे उनके नाम को ठीक से बोल नहीं पाते थे। अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से आइडेंटिटी को लेकर सतत उदासीन रहनेवाली झुम्पा लाहिड़ी, खुद भी ये बात मानती हैं कि उनका साहित्य, उनके अनुभव की बानगी है। विशेष रूप से अपने उपन्यास ‘द नेमसेक’ के ज़रिये गोगोल की पीड़ा, स्वयं उनकी अपनी पीड़ा है। गौरतलब है कि उनकी इस कहानी पर इसी नाम से एक फिल्म भी बनी थी, जिसका निर्देशन प्रख्यात निर्देशिका मीरा नायर ने किया था। ‘द नेमसेक’ के ज़रिये भारतीय जनमानस में बसनेवाली झुम्पा लाहिड़ी को वर्ष 1999 में अपनी पहली शॉर्ट स्टोरी ‘इंटरप्रेट ऑफ़ मैलाडीज़’ के लिए वर्ष 2000 का पुलित्ज़र सम्मान प्राप्त हुआ था। उस संदर्भ में झुम्पा लाहिड़ी का कहना था कि ‘द नेमसेक’ की तरह इस शॉर्ट स्टोरी के अंतिम कहानी ‘द थर्ड एंड फाइनल कॉंटिनेंट’ की कहानी के नायक का आधार उनके पिता अमर लाहिड़ी हैं, जो रोड आइलैंड यूनिवर्सिटी में एक लाइब्रेरेरियन थे।  

झुम्पा लाहिड़ी की शिक्षा-दीक्षा 

साउथ किंग्सटाउन से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद झुम्पा लाहिड़ी ने 1989 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी के बर्नार्ड कॉलेज से इंग्लिश लिट्रेचर में अपना ग्रेज्यूएशन कंप्लीट किया था। ग्रेज्युएशन के बाद झुम्पा लाहिड़ी ने बोस्टन यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिट्रेचर में एमए, क्रिएटिव राइटिंग में एम. एफ. ए. और वर्ष 1997 में रेनेसेंस स्टडीज़ में पीएचडी किया था। पीएचडी के दौरान उनके शोध प्रबंध का टाइटल था ‘अ कर्स्ड पैलेस: द इटैलियन पलाज़ो ऑन द जैकोबियन स्टेज’, जो 1603 से 1625 के कालखंड से संबंधित था। सिर्फ यही नहीं अपने प्रिंसिपल के कहने पर उन्होंने प्रोविंसटाउन के फाइन आर्ट्स वर्क सेंटर की दो साल की फेलोशिप भी ले ली थी। 

रिजेक्शन का था शुरुआती दौर

ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि पुलित्ज़र पुरस्कार से सम्मानित अपनी पहली शॉर्ट स्टोरी कलेक्शन ‘इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़’ को प्रकाशित करने के लिए झुम्पा लाहिड़ी को काफी रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था। और इसकी सबसे बड़ी वजह ये थी कि ये अप्रवासी भारतीयों के जीवन में आनेवाली संवेदनशील मुद्दों पर आधारित थी। हालांकि अपने अंदर की दोनों दुनिया को एक ही पन्ने पर उतारने की इस ललक को अमेरिकी आलोचकों द्वारा काफी सराहा गया था, किंतु भारतीय आलोचकों से इसे मिली जुली प्रतिक्रया मिली थी। काफी भारतीय आलोचक झुम्पा लाहिड़ी की इस बात से क्षुब्ध थे कि अपने इस कलेक्शन में उन्होंने भारतीयों को नकारात्मक रूप से प्रस्तुत किया है। गौरतलब है कि झुम्पा लाहिड़ी की इस पहली किताब ने ही साहित्य जगत में तूफ़ान मचा दिया था। इस संग्रह के प्रकाशित होते ही न सिर्फ इसकी 6 लाख प्रतियाँ बिकी थीं, बल्कि उसी वर्ष साहित्य जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार पुलित्ज़र सम्मान भी इसे मिला था। 

झुम्पा लाहिड़ी के साहित्यिक पात्र 

अपनी सरल भाषा के साथ साहित्य प्रेमियों के दिलों में बसनेवाली झुम्पा लाहिड़ी के पात्र हमेशा अप्रवासी भारतीय रहे हैं, जिन्हें अपने जन्म स्थान और अपनाए गए घर के सांस्कृतिक मूल्यों में संतुलन बिठाने में काफी मशक्क्त करना पड़ता रहा है। उनके संघर्ष, चिंताओं और पूर्वाग्रहों को जांचते हुए झुम्पा लाहिड़ी उनके मनोविज्ञान और व्यवहार की बारीकियों का विवरण करती हैं। लेकिन अपनी कृति ‘अनअकस्ट्म्ड अर्थ’ में उनके पात्र विकास के नए दौर में कदम रखते नज़र आते हैं। अब तक दर्शाए गए पात्रों की दूसरी या तीसरी पीढ़ी अब अमेरिकी संस्कृति को आत्मसात करते हुए अपने मूल देश से बाहर अपना एक अलग दृष्टिकोण कायम करने में सफल हो चुकी है। इसी के साथ अब वे अपने अप्रवासी अभिभावकों के बंधनों से भी दूर हो चुके हैं, जो अब तक अपने समुदाय के प्रति समर्पित थे। 

साहित्य से इतर क्षेत्र में झुम्पा लाहिड़ी का दखल 

2005 में झुम्पा लाहिड़ी, PEN नामक अमेरिकी संगठन की उपाध्यक्ष बनी थी, जिसका गठन लेखकों के बीच दोस्ती और बौद्धिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। उसके बाद फरवरी 2010 में पाँच अन्य लोगों के साथ उन्हें हयूमन एंड आर्ट कमिटी का मेंबर भी नियुक्त किया गया था। ये कमिटी मुख्य रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा गठित की गई थी। 

झुम्पा लाहिड़ी की कृतियाँ और सम्मान

झुम्पा लाहिड़ी की कृतियों में उनकी प्रमुख कृतियाँ ‘इंटरप्रेट ऑफ़ मैलाडीज़’,  अनअकस्ट्म्ड अर्थ’, ‘द नेमसेक’, ‘नोबडीज़ बिज़नेस’, ‘हेल हेवेन’ और ‘वंस इन अ लाइफ टाइम’ हैं। झुम्पा लाहिड़ी को मिले पुरस्कारों की बात करें तो उन्हें 1993 में हेनफिल्ड फाउंडेशन की तरफ से ट्रान्सअटलांटिक सम्मान, 1999 में इंटरप्रेट ऑफ़ मेलाडिज़ के लिए ओ हेनरी सम्मान, 1999 में इंटरप्रेट ऑफ़ मेलाडिज़ के लिए (वर्ष का सर्वश्रेष्ठ फिक्शन डेब्यू) हेमिंग्वे सम्मान, उसी वर्ष इंटरप्रेट ऑफ़ मेलाडिज़ को सर्वश्रेष्ठ अमेरिकी लघु कथाओं में से एक के रूप में चयनित,  वर्ष 2000 में अमेरिकन अकादमी ऑफ़ आर्ट एंड लेटर्स की तरफ़ से एडिसन मेटकाफ समान, उसी वर्ष उनकी कहानी ‘द थर्ड एंड फाइनल कॉंटिनेंट को सर्वश्रेष्ठ अमेरिकी लघु कथाओं में से एक के रूप में चयनित, न्यू यॉर्कर का बेस्ट डेब्यू ऑफ़ द ईयर इंटरप्रेट ऑफ़ मेलाडिज़ के लिए, वर्ष 2000 में इंटरप्रेट ऑफ़ मेलाडिज़ के लिए पुलित्ज़र सम्मान, जेम्स बीयर्ड फाउंडेशन एम. एफ. के. फिशर फ़ूड और वाइन पत्रिका में इंडियन टेक आउट के लिए विशिष्ट लेखन सम्मान, वर्ष 2002 में गुगेंहेइम फेलोशिप, उसी वर्ष नोबडीज़ बिज़नेस सर्वश्रेष्ठ अमेरिकी लघुकथाओं में से एक के रूप में चयनित, वर्ष 2008 में अनअकस्ट्म्ड अर्थ के लिए फ्रैंक ओकोनोर अंतर्राष्ट्रीय लघु कथा सम्मान और वर्ष 2009 में अनअकस्ट्म्ड अर्थ के लिए एशियाई अमेरिकी साहित्य सम्मान मिला था।   

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