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प्रेरणा

मिलिए भारती बनर्जी से, जो 74 उम्र में भी बना रही हैं ‘क्रिएटिविटी का कैंडल’

अनुप्रिया वर्मा |  अक्टूबर 11, 2023

उम्र 74 साल की महिला  ! उम्र सुनते ही जेहन में यही बात आती है न कि वृद्धावस्था की बात है, बस किसी तरह से बाकी का समय बीत जाए। या मुमकिन है कि इस उम्र की महिला किसी ओल्ड एज होम में नजर आएं या फिर विदेश या शहर से दूर रहने वाले अपने बच्चों से फेस टाइम करती हुईं नजर आएं और अगर यह सब न हो तो मुमकिन है कि आपकी कल्पना हो कि नयी जनरेशन से कुछ शिकायती लहजे में बात करती हुईं नजर आएं। दरअसल, अक्सर हम रचनात्मकता को उम्र के दायरे में ही सीमित कर देते हैं। लेकिन अगर सामने भारती बनर्जी जैसी जिंदादिल महिला हों, तो आपके सारे कयास धरे के धरे रह जाएंगे, जब आप उनका जोश देखेंगे कि उन्हें अपने काम से इस कदर प्यार है कि रात के दो बजे भी वह कैंडल बनाती हैं और उसी ऊर्जा से। जी हां, कोलकाता में रहने वालीं भारती पिछले कई सालों से अपने घर से ही कैंडल मेकिंग का व्यवसाय कर रही हैं और अपने काम को वह पूरी तरह से एन्जॉय कर रही हैं। आखिर उनमें यह जोश और ऊर्जा इस उम्र में भी कहां से मिलती है, आइये जानें उनके क्रिएटिव सफर के बारे में। 

बचपन से ही रही आर्ट और क्राफ्ट में रुचि 

भारती बताती हैं कि वह बचपन से ही आर्ट और क्राफ्ट में दिलचस्पी लिया करती थीं। रंगोली, घर के डेकोरेशन का सामान बनाता था। वह कहती हैं कि मुझे हमेशा से आर्ट और क्राफ्ट में दिलचस्पी रही, घर में भी कुछ भी चीजें मिलती थीं, तो उससे मैं DIY करती थी, कुछ नया क्रिएट करने की कोशिश करती थी। वह दिलचस्पी हमेशा से बरक़रार रही और उसी वजह से मैंने कैंडल बनाने का काम शुरू किया। 

तय किया कि कुछ तो करना है 

भारती कहती हैं कि 18 साल में मेरी शादी हो गई, मां- बाप को लगता है कि जल्दी शादी कर दो, मैं बड़ी बेटी भी हूं, तो शादी तो गयी, लेकिन जब यहां आई तो मेरे देवर-देवरानी सभी काफी म्यूजिक में दिलचस्पी लेते थे, तो मुझे भी लगता था कि मुझे कुछ करना चाहिए। हालांकि फिर पारिवारिक जिम्मेदारियों में मसरूफ रही। लेकिन जब मेरे पति की मृत्यु हुई और मेरे बच्चों की भी मैंने सारी जिम्मेदारी पूरी कर दी, तब मुझे लगा कि मैं क्यों न कुछ नया करूं। ऐसे बैठे रहने से क्या होगा। हालांकि मुझे कभी फाइनेंशियल परेशानी नहीं रही है, न ही उस तरह से मैंने कोई संघर्ष देखा है, लेकिन मेरी चाहत थी कि मैं अपना कुछ करूं। ऐसे किसी से सहारा न लूं। और मैंने 56 साल की उम्र में कैंडल बनाने का काम शुरू किया। 

सीखते-सीखते सीखा 

भारती बताती हैं कि वर्ष 2004 में मैंने एक चैनल में देखा कि कैंडल बनाने का काम सिखाया जा रहा है, उसमें एक नंबर था, तो मेरी छोटी बहन ने दिया \कि इसमें तुम्हें दिलचस्पी है तो ये सब करो, मैं फिर गई सीखने, लेकिन मैंने देखा लोग इसे बारीकी से नहीं सिखाते हैं, तो मैंने इंटरनेट पर देख-देख कर फिनिशिंग लायी अपने काम में। मुझे याद है कि पहले मेरा हाथ जल जाता था। काफी चोट लगती थी, लेकिन धीरे-धीरे मैंने सीख ही लिया और मैंने इसमें फिर एक सम्मान हासिल कर लिया। आज फ्लोटिंग कैंडल आम बात हो गई, जब मैंने शुरू किया था, तब यह काफी बड़ी बात होती थी। मैं मेले में जाती थी, वहां के लोगों को देखती थी और फिर वहां से बात करती थी।

एक महिला को दूसरी महिला को सपोर्ट करना जरूरी है 

भारती कहती हैं कि उन्हें लगता है कि एक महिला को दूसरी महिला को सपोर्ट करना जरूरी है। पहले के जमाने में सास अपनी बहू या मां अपनी बेटी को सपोर्ट नहीं करते थे, इसलिए कई महिलाएं आगे नहीं आ पाती थी, लेकिन वर्तमान दौर में हम जैसे लोग सपोर्ट करते हैं और वे आगे बढ़ती हैं तो मुझे खुशी मिलती है। मेरे देवर आज भी कहते हैं कि आप क्यों काम कर रही हो, आपको किस चीज की कमी है। क्या जरूरत है। कई लोग ये बातें करते हैं, लेकिन मुझे इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैंने काम करना जारी रखा। मुझे तो कोई रात के दो बजे भी कहेगा कि कैंडल बना कर दो, तो मैं बना दूंगी। मैंने शुरू में मोहल्ले में कैंडल देना शुरू किया था, दुकानों में भी ले जाती थी देने। तो परिवार में सब कहते थे कि बनर्जी परिवार में यह सब कुछ कौन करता है कि बैग में कैंडल लेकर घर-घर जाते हो । लेकिन मुझे इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता था। मैंने अपनी खुशी के लिए जो रास्ता अपनाया, उससे खुश हूं। आज इतने सालों में मुझे काफी तसल्ली मिलती है कि मैं अपना कुछ कर रही हूं। 

जिस दिन मिला डेढ़ लाख का ऑर्डर 

भारती कहती हैं कि  मेरे कैंडल की  खासियत है कि इसमें अधिक कार्बन नहीं निकलता है। मुझे ख़ुशी है कि  धीरे-धीरे मैंने जाकर स्कूल में भी ट्रेनिंग देना शुरू किया और भी लोग मेरे पास आते हैं सीखने के लिए। मेरे पास अधिक लोग नहीं है, एक्सट्रा दो तीन लोग हैं बस। मेरे से सीख कर कई लोग बाहर जाकर भी काम करते हैं। मैं घर से ही सारा काम करती हूं। मैं कहीं फैक्ट्री नहीं चलाती हूं। मेरा काम वर्ड ऑफ माउथ से होता है, लोग को काम पसंद आता है, वे और लोगों को बताते हैं, तो और ग्राहक बढ़ते हैं। मुझे एक बार डेढ़ लाख का ऑर्डर मिला था, वह मेरे लिए काफी उत्साह वाला दिन था, उस दिन लगा कि सही में लोगों को मेरा काम पसंद आ रहा है। भारती कहती हैं कि लोगों का विश्वास मैंने जीता हैं और इसलिए मैं अपने काम में खुद शामिल रहती हूं, किसी पर काम नहीं छोड़ती हूं। 

उम्र या पढ़ाई को न मानें सीमा 

भारती साफ शब्दों में कहती हैं कि वह सभी लड़कियों से यही कहना चाहेंगी कि भले ही आपका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हो, लेकिन आपको अपने लिए, अपनी खुशी और तसल्ली के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए, अगर पहले नहीं कर पाए, तो अभी करना चाहिए। आपकी क्रिएटिविटी की कोई उम्र या सीमा नहीं होती है, इसलिए जब लगे, तभी इसे शुरू कर देना चाहिए। अपनी जिंदगी जीने का हक सिर्फ आपके पास होना चाहिए। भारती कहती हैं कि मुझे कैंडल बना कर सुकून मिलता है, मुझे लगता है कि हमेशा मेरे आस-पास रंग हैं, तो मेरी जिंदगी में रंग हैं। मैं तो यही कहती हूं, इतने मेंटल केस होते हैं सुकून नहीं मिलता है लोग को तो, खाली नहीं बैठना चाहिए, कुछ न कुछ करते ही रहना चाहिए।

 

 

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