चिट्टी एक यात्रा है। यात्रा अपनेपन की। यात्रा भावनाओं की। यात्रा किसी को महसूस करने की। यात्रा लिखावट के जरिए अपना स्नेह जाहिर करने की। हालांकि सोशल मीडिया के जमाने में चिट्ठी से लोगों का मोह उतर गया है। अब अगर बात करनी है, तो उसके लिए सीधे तौर पर व्हाट्सएप का सहारा लिया जाता है। वीडियो कॉल के जरिए एक दूसरे को देखकर खैरियत पूछ ली जाती है। हालांकि, तकनीक ने हमारे जीवन को एक दूसरे से जोड़ना जितना आसान किया है, वहीं इसकी कीमत भी कम कर दी है। ऐसे में हम सभी के लिए बेहद जरूरी है कि हम चिट्ठी की कीमत को समझें। आइए जानते हैं विस्तार से कि व्हाट्सएप के जमाने में खत लिखने की कीमत क्या होती है।
भावनाओं का सैलाब / खत्म होती बात

खत नें 'प्रिय' लिखने के साथ ही भावनाओं का आगमन होने लगता है, जो कि अंत में जाकर भावनाओं का सैलाब बन जाता है, जहां खत के एक पन्ने को भरना इतना आसान होता था कि और भी अधिक पन्नोें की आवश्यकता अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में लगती है। वहीं अगर व्हाट्सएप की बात की जाए, तो वहां पर हाय और हैलो के साथ ऊपरी बातों को महत्व देना पड़ता है। कई बार अगर किसी बात पर विवाद भी हो जाता है, तो व्हाट्सएप मैसेज के जरिए कम्युनिकेशन गेप होने लगता है, क्योंकि सामने वाला अपनी बात अच्छी तरह से समझा नहीं पाता। व्हाट्सएप वीडियो कॉल की सुविधा आने के बाद कई बार एक दूसरे को सॉरी बोल बात खत्म कर दी जाती है, लेकिन वहीं खत के जरिए आप अपनी भावनाओं को साफ शब्दों में बयान करते हैं और बताते हैं कि सामने वाले की कीमत आपके दिल में कितनी बड़ी है। ऐसे में अपनी भावनाओं को बयान करने के लिए खत के जरिए भावनाओं को व्यक्त करने का रास्ता मिलता है।
रिश्तों की बताती जरूरत / जरूरी होने पर रिश्ते

खत का इंतजार इस बात की गवाही देता है कि आपके जीवन में सामने वाला व्यक्ति कितना जरूरी है। तभी, तो लोग दूर देश में बैठकर गांव में अपने शहर घर पर चिट्ठी भेजा करते थे, जहां साफ लफ्जों में यह लिखा जाता था कि घर की याद आती है, मां के खाने की याद आती है। वहीं व्हाट्सएप पर हम एक दूसरे की जरूरत को समझ नहीं पाते हैं। वीडियो कॉल और मैसेज के जरिए हम हमेशा एक दूसरे के संपर्क में होते हैं, ऐसे में दूरी की कीमत रिश्तों के लिहाज से महसूस नहीं हो पाती है।
बढ़ता रिश्ता/ घटने लगा नाता

चिट्ठी जहां एक दूसरे के साथ रिश्ते को गंभीर और करीब करती हुई दिखाई देती है। वहीं 2 मिनट के वीडियो कॉल और वक्त मिलने पर व्हाटअपस की एक शब्दों की बातें, रिश्तों को गहराई में जाने नहीं देती है। खत के जरिए जहां लोग अपने जीवन को साझा कर पाते थ, वहीं व्हाट्सएप में कैसे हो, कहां जा रही हो, खाना खाया क्या और मस्ती मजाक से ज्यादा रिश्ता उठ नहीं पाता है। साथ ही व्हाट्सएप के मैसेज में भावनाओं को व्यक्त करने के लिए इमोजी का सहारा लेना पड़ता है। खत में आपकी लिखावट सामने वाले के कानों में आपकी आवाज का रस घोल देती थी।
इंतजार की कीमत/ हमेशा मौजूद रहना

व्हाट्सएप में जहां हर मिनट पर वीडियो और मैसेज के जरिए आनलाइऩ दिखाई देना आपकी अहमियत को आम बना देता है। ऐसे में खत इंसान की कदर करना, उसका इंतजार करना सीखाती है। किसी अपने की चिट्ठी का इंतजार उसके फिर से घर लौटने का संदेश बन कर आती है, जो कि रिश्तों में अपनेपन की चाशनी घोल देती है। खत के पन्नों की महक आपको अपनेपन का एहसास कराती है। भावनाओं की और इंसान की कदर करना सिखाती है।
बातों का विस्तार/कम होती बातें

खत के जरिए बातों का विस्तार होता दिखाई देता है। एक लंबे खत का जवाब दूसरे लंबे खत से होता था। खत के जरिए बिगड़ी बात बनाई जाती है और बनी हुई बात में मिठास घोला जाता रहा है। हालांकि व्हाट्सएप और वीडियो कॉल के जरिए हम एक दूसरो के केवल देख पाते हैं या फिर सुन पाते हैं, लेकिन समझ नहीं पाते हैं। ऐसे में वक्त के साथ बातें कम होती जाती हैं। कई बार विवाद होने पर एक दूसरे को ब्लॉक तक करने की नौबत आ जाती है और खत रूठे हुए को मनाने का एक खास जरिया बन जाती है।