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होम / एन्गेज / रिलेशनशिप्स / पेरेंटिंग

भाई-बहन में हो तकरार, तो सिर्फ काम आये प्यार

टीम Her Circle |  फ़रवरी 27, 2024

भाई- बहन के बीच का झगड़ा सुलझाना जितना आसान लगता है, उतना होता नहीं है। जी हां, भाई बहन एक दूसरे से जितने जल्दी मन मुटाव खत्म करके बात करते हैं, उससे भी अधिक रफ्तार में दोनों के बीच लड़ाई और बहस होती रहती है। ऐसे में सबसे बड़ी मुश्किल माता-पिता के सामने आती है कि कैसे भाई और बहन के बीच का झगड़ा सुलझाया जाए। अगर माता- पिता किसी एक बच्चे का पक्ष लेते हैं, तो इससे दूसरे बच्चे के मन में अपने भाई और माता-पिता के प्रति दूरी आ सकती है। इसलिए जरूरी है कि माता-पिता साथ मिलकर दो भाई-बहन के बीच का झगड़ा सुलझाएं। आइए जानते हैं विस्तार से।

बच्चों की तुलना न करें

अक्सर माता-पिता दो बच्चों की लड़ाई में एक बच्चे को सही और दूसरे को गलत बता देते हैं। खासकर बड़े और छोटे भाई-बहन में ऐसा होता है कि बड़े वाले बच्चे को हर बार यह सुनना पड़ता है कि आप बड़े हैं और आपकी बहन छोटी, ऐसे में माता-पिता का झुकाव छोटे बच्चे की तरफ ज्यादा बढ़ जाता है और बचपन से ही बड़े बच्चे के मन में यह भाव आ जाता है कि माता-पिता की नजर में उनकी कोई कीमत नहीं और इससे अंत में यह होता है कि भाई-बहन के बीच का विवाद वक्त के साथ गहराता जाता है और दोनों के बीच मनमुटाव बना रहता है, क्योंकि एक बच्चे को माता-पिता गलत बता देते हैं और दूसरा बच्चे खुद को सही समझने लगता है। 

घूमने की करें प्लानिंग

आप यह भी कर सकती हैं कि दोनों बच्चों के बीच हुई लड़ाई के बाद आप कहीं बाहर जाने की योजना बना सकती हैं। अपने बच्चों की दिलचस्पी के हिसाब से घूमने के लिए किसी स्थान का चयन करें या फिर आप अपने बच्चों को साथ में लेकर मूवी डेट पर भी लेकर जा सकती हैं। झगड़े के वातावरण से बाहर निकलने के बाद आपके बच्चे घूमने की जगह पर एक दूसरे के करीब आ सकते हैं। घूमने से उनका दिमाग नकारात्मकता से सकारात्मकता की तरफ बढ़ता है। 

सुनें दोनों बच्चों की बात

झगड़े के बाद अगर बच्चे आपके पास शिकायत लेकर आते हैं, तो सबसे पहले आपको दोनों बच्चों की बात सुननी चाहिए। दोनों की बातें एक साथ सुनने की कोशिश न करें, बल्कि दोनों बच्चों की मन की बात अलग-अलग सुनें और फिर उस पर प्रतिक्रिया दें। दोनों को बताएं कि दोनों ने क्या गलती की है और समझाएं कि आपका भाई या बहन आपके लिए गलत नहीं सोचता है। इससे दोनों को झगड़े में हुई अपनी गलतियां पता चलेंगी और साथ ही सामने वाले व्यक्ति को समझने का भी मौका मिलेगा।

झगड़े के बीच में न बोलें

बच्चों के बीच हो रहे झगड़े के बीच कभी भी माता-पिता को नहीं बोलना चाहिए। लड़ाई के बीच में नहीं बोलना चाहिए। ऐसे में न चाहते हुए भी आप एक को बचाने की खातिर दूसरे को गलत बता देंगे और इसे बच्चे के साथ आपका आपसी रिश्ता उलझन जाएगा। किसी एक को सही ठहराने की बजाए आपको दोनों को शांत करना चाहिए और झगड़ा समाप्त होने के कुछ देर तक दोनों ही बच्चों को स्पेस दें, ताकि थोड़ा शांत होने के बाद उन्हें समझाया जा सकें। झगड़े के बाद तुरंत उन्हें समझाने से बात संभलने की बजाय उलझ सकती है।।

खुद भी सुलझ जाते हैं रिश्ते 

झगड़ा होने के बाद बच्चे को आपके पास आने दें और उन्हें वक्त दें, ताकि बच्चे खुद आपसी विवाद को खत्म करने की पहल करें। ऐसा करने से बच्चे खुद से ही अपने रिश्ते को संभालने और सुलझाने की कोशिश करेंगे और इसके साथ ही आत्मनिर्भर भी बनेंगे। कुछ वक्त बीतने के बाद बच्चे खुद ही अपने रिश्ते के माहौल को सहज करने की कोशिश करते हैं। 

 

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