img
हेल्प
settings about us
  • follow us
  • follow us
write to us:
Hercircle.in@ril.com
terms of use | privacy policy � 2021 herCircle

  • होम
  • कनेक्ट
  • एक्स्क्लूसिव
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प

search

search
all
communities
people
articles
videos
experts
courses
masterclasses
DIY
Job
notifications
img
Priority notifications
view more notifications
ArticleImage
होम / एन्गेज / करियर & फ़ायनांस / फ़ायनांस

सैलरी स्लिप की A B C D बन जाएगी आसान, बस ध्यान रखिए ये गणित

प्राची |  जून 30, 2023

नौकरी-पेशा लोगों के लिए सबसे अहम महीने की वो तारीख होती है, जब सैलरी अकाउंट में दिखाई देती है, लेकिन कई बार मामला तब उलझा हुआ लगता है, जब सैलरी स्लिप का गणित समझ नहीं आता है, क्योंकि सैलरी स्लिप में कई ऐसी अंदरूनी जानकारी है, जो कि हमारी कमाई से लेकर इनकम टैक्स से जुड़ी होती है। ऐसे में या तो हम किसी जानकार के पास जाकर सैलरी स्लिप को समझने की कोशिश करते हैं या फिर अपने ऑफिस के किसी सहकर्मी की मदद लेते हैं। हालांकि यह भी दिक्कत आती है कि हमें अपनी सैलरी का खुलासा किसी अन्य व्यक्ति से नहीं करना है। इसलिए जरूरी यह है कि आप खुद सैलरी स्लिप की भाषा को समझें। चलिए हम आपकी मदद करते हैं और आपको बताते हैं विस्तार से कि सैलरी स्लिप से जुड़ी कुछ जरूरी बातें क्या हैं?

बेसिक सैलरी

सबसे पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि बेसिक सैलरी क्या है? देखा जाए, तो बेसिक सैलरी ही आपकी असली सैलरी होती है। इसी के आधार पर आपके सैलरी पैकेज के बाकी जरूरी चीजों का माप तय होता है। बेसिक सैलरी पर हमेशा से टैक्स लागू होता है, जो कि आपकी पूरी सैलरी से 40 से 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। बेसिक सैलरी पर ही आपके बोनस, पीएफ, ग्रेच्युटी जैसे कई लाभ निर्धारित किए जाते है। साथ ही बेसिक सैलरी में कमी होना या इजाफा होना आपके पूरे सैलरी पैकेज को प्रभावित कर सकती है।

हाउस रेंट अलाउंस( मकान किराया भत्ता)

यह आपकी सैलरी का हिस्सा होता है। साथ ही यह टैक्स बचाने में मदद भी करता है, जो लोग किराए पर रहते हैं, वे हाउस रेंट अलाउंस दिखाकर अपना टैक्स बचा सकती हैं। हाउस रेंट अलाउंस के जरिए आपकी सैलरी और एंप्लॉयर की तरफ से मिलने वाले एचाआरए अमाउंट पर निर्भर करती है। इसके लिए आपके पास रेंट एग्रीमेंट होना जरूरी है। टैक्स बचाने के लिए आपको रेंट रिसिप्ट जरूर चाहिए। एचआरए इस आधार पर तय किया जाता है कि वह आपके मूल वेतन के 50 प्रतिशत बराबर होता है। एचआरए में टैक्स छूट का लाभ उन्हीं को मिलेगा, जो कि पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनते हैं। खुद का व्यवसाय करने वालों को इसका लाभ नहीं उठा सकते हैं। एचआर कटौती का दावा करने के लिए किराए की रसीद, मकान मालिक का पैन कार्ड और किराए के समझौते की एक फोटो कॉपी देनी होती है।

लीव ट्रैवल अलाउंस

लीव ट्रैवल अलाउंस पर मिलने वाला पैसा टैक्स फ्री होता है। हर कंपनी यह तय करती है कि उसे अपने कर्मचारी को कितना पैसा लीव ट्रैवल के लिए दिया जाना चाहिए। कंपनी हर साल कुछ छुट्टियां और यात्रा का खर्च देती है। हालांकि आप यात्रा के दौरान अगर किसी तरह के अन्य खर्च करते हैं, तो उसका खर्च कंपनी नहीं देती है। टैक्स में छूट पाने के लिए यात्रा के दौरान के खर्च का बिल आपको भरना होगा। लीव ट्रैवल अलाउंस आपकी पूरी सैलरी का एक अहम भाग होती है।

मेडिकल अलाउंस

मेडिकल बिल या फिर अस्पताल के बिल दिखाकर आप कंपनी से अपने पैसे अकाउंट में रिंबर्स यानी कि वापस ले सकती हैं। इसे आपकी सैलरी सिल्प में मेडिकल अलाउंस के तौर पर दिया जाता है।

परफॉर्मेंस बोनस

आपके काम के आधार पर कंपनी यहां पर बोनस देती है, जिसे परफॉरमेंस बोनस कहा जाता है। कंपनी पहले यह देखती है कि आपने पूरे साल किस तरह काम किया है, उसी हिसाब से रेटिंग देकर दी जाती है। देखा जाए, तो यह कर्मचारी को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है। यह टैक्सेबल होता है, साथ ही आपको मिलने वाली इन हैंड सैलरी से ही जुड़ा रहता है।

प्रोविडेंट फंड

प्रोविडेंट फंड यानी की पीएफ। यह पूरी तरह से आपकी सैलरी से कटने वाले पैसे को एक जगह सुरक्षित करने का तरीका है। इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सहायता करना है। यह आपकी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी होता है। यह पैसा आपके एंप्लायर की तरफ से भी जमा किया जाता है। 20 साल से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी के लिए प्रोविडेंट फंड लागू होता है। शादी, चिकित्सा या फिर किसी भी तरह के आपातकाल( इमरजेंसी) के दौरान यह फंड के रूप में भी कार्य करता है। आप कंपनी छोड़ने के बाद सरकारी वेबसाइट कर्मचारी भविष्य निधि संगठन( EPFO) की वेबसाइट पर जाकर अपने पैसे के लिए आवेदन कर सकती हैं। यहां पर आप अपना अकाउंट बनाकर अपने पीफ में जमा राशि को भी देख सकती हैं। 

प्रोफेशनल टैक्स

यह एक ऐसा टैक्स है, जो कि राज्य सरकार किसी भी पेशेवर, नौकरीपेशा या व्यापार करने वाले पर लगाती है। हालांकि हर राज्य में इस टैक्स को लेकर अलग-अलग नियम है। कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, गुजरात, असम जैसे राज्य में प्रोफेशनल टैक्स लगाते हैं। बता दें कि किसी भी व्यक्ति पर एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 2,500 रुपए का प्रोफेशनल टैक्स लगाया जा सकता है।

कन्वेंस अलाउंस

अगर आप कंपनी के काम से किसी वजह से यात्रा करते हैं, तो इसका भुगतान कंपनी करती है, जो कि आपकी कैश इन हैंड सैलरी का हिस्सा होता है। अगर आप मार्केटिंग या सेल्स विभाग में हैं, तो कन्वेंस अलाउंस अधिक मिलता है। इसमें पहले आपको खुद की जेब से भुगतान करना होता है, बाद में कंपनी आपके अकाउंट में वह पैसे बिल की फोटो कॉपी जमा करने के बाद ट्रांसफर कर देती है।

 

शेयर करें
img
लिंक कॉपी किया!
edit
reply
होम
हेल्प
वीडियोज़
कनेक्ट
गोल्स
  • © herCircle

  • फॉलो अस
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प
  • हमें जानिए
  • सेटिंग्स
  • इस्तेमाल करने की शर्तें
  • प्राइवेसी पॉलिसी
  • कनेक्ट:
  • email हमें लिखें
    Hercircle.in@ril.com

  • वीमेंस कलेक्टिव

  • © 2020 her circle