कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकारों को लेकर एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आयी है। इस रिपोर्ट अनुसार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के पास अधिकारों की संख्या पर खास अध्ययन किया गया है। विश्व बैंक की महिला, व्यवसाय और कानून 2023 की एक रिपोर्ट में इस पर रोशनी डाली गई है। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कि कैसे कामकाजी महिलाओं को कार्यस्थल पर मिलने वाली आजादी के अधिकारों में पुरुषों के मुकाबले 74.4 प्रतिशत ही अधिकार दिए जाते हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार कई ऐसी जगहें हैं, जहां महिलाएं कार्यस्थल पर पुरुषों को बराबरी की टक्कर दे रही हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व बैंक के सूचकांक पर एक कामकाजी महिला के जीवन चक्र में कुल आठ संकेतकों पर पुरुषों की बराबरी महिलाएं कर रही हैं। याद दिला दें कि भारत का अंक मुंबई में लागू कानूनों और विनियमों पर संग्रहित आंकड़े (डेटा) पर आधारित है। अगर बात विश्व स्तर पर की जाए तो, 190 अर्थव्यवस्थाओं में से सिर्फ 14 देशों ने पूरे 100 नंबर प्राप्त किए हैं। इन देशों में कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, आइसलैंड, आयरलैंड , पुर्तगाल, स्पेन, नीदरलैंड, स्वीडन, लातविया, लक्जमबर्ग के नाम शामिल हैं। वहीं इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत ने इस मामले में 100 नंबर प्राप्त किए हैं, जहां काम करने वाली महिलाओं के निर्णय को प्रभावित करने वाले कानूनों और शादी से संबंधित बाधाएं आती हैं। दूसरी तरफ बच्चों के पैदा होने के बाद महिलाओं के काम को प्रभावित करने वाले कानून, वेतन को प्रभावित करने वाले कानून, किसी भी व्यवसाय को शुरू करने और चलाने में महिलाओं के सामने आने वाली बाधाओं के साथ संपत्ति और लैंगिग अंतर( जेंडर गैप) के साथ महिलाओं के पेंशन को लेकर बनाए गए कानूनों में भारत का अंक कम हो जाता है। खासतौर पर महिलाओं के वेतन को प्रभावित करने वाले कानून से जुड़े मामले में भारत का स्कोर काफी कम है। इस पूरे रिपोर्ट में कामकाजी महिलाओं से जुड़े अधिकारों को लेकर सिफारिश भी की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी रात में काम करने की अनुमति के साथ औद्योगिक क्षेत्र में भी काम करने की स्वतंत्रता देनी चाहिए।
वाकई, यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसके बारे में खुल कर बातचीत आनी ही चाहिए।
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