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होम / एन्गेज / साहित्य / किताब-घर

5 चुनिंदा महिला गीतकार, जिन्होंने अपने गीतों से किया हिंदी सिनेमा को गुलजार

रजनी गुप्ता |  जनवरी 30, 2025

हिंदी सिनेमा में महिला गीतकारों का योगदान उल्लेखनीय रहा है, खासकर उनकी उर्दू शायरी ने गीतों को एक खास रंग और गहराई दी। फिलहाल आइए जानते हैं पांच ऐसी चुनिंदा महिला गीतकारों के बारे में, जिन्होंने अपनी शायरी और गीतों से हिंदी सिनेमा को समृद्ध किया। 

सरोज मोहिनी नैय्यर

स्वतंत्र भारत की महिला गीतकारों में पहला नाम सरोज मोहिनी नैय्यर का नाम आता हैं। उनकी कविताओं और गीतों में उर्दू शायरी का गहरा प्रभाव दिखता था। उन्होंने सामाजिक और मानवीय पहलुओं को अपने लेखन में खूबसूरती से उकेरा। हालांकि अपने करियर में उन्होंने मात्र 4 गाने लिखें, जिनमें दो फिल्मी और 2 नॉन फिल्मी हैं। सरोज मोहिनी नैय्यर ने गीत लेखन की शुरुआत तब की, जब इस क्षेत्र पर पूरी तरह पुरुषों का अधिकार था और महिलाओं के लिए माना जाता था कि उन्हें घर के अंदर रहना चाहिए। ऐसे समय में सरोज मोहिनी ने वर्ष 1955 में आई गुरु दत्त - मधुबाला की फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’ में 'प्रीतम आन मिलो' गीत लिखे और अपने पहले गीत से ही चर्चा में आ गईं। इस गीत को गायक और संगीतकार सी.एच. आत्मा ने प्रस्तुत किया था। हालांकि गीता दत्त द्वारा गए इस गीत को गुलज़ार ने 1982 में आई अपनी कॉमेडी-ड्रामा फिल्म ‘अंगूर’ में एक बार फिर इस्तेमाल किया था। इस गीत के बाद उन्होंने वर्ष 1956 में आई फिल्म ‘ढ़ाके की मलमल’ के लिए एक और गीत लिखा, लेकिन वो गीत इतना लोकप्रिय नहीं हो पाया। इस गीत को भी गायक और संगीतकार सी.एच. आत्मा ने प्रस्तुत किया था। हालांकि उन्हीं के संगीत निर्देशन में सरोज मोहिनी नैय्यर ने दो और नॉन फिल्मी गीत लिखे और फिर अपनी घर-गृहस्थी में राम गईं। हालांकि ये बात बेहद कम लोग जानते हैं कि सरोज मोहिनी नैय्यर, मशहूर संगीतकार ओ.पी. नैय्यर की पत्नी थीं और उनसे शादी करने से पहले वह एक स्टेज डांसर हुआ करती थीं।

माया गोविंद

सरोज मोहिनी नैय्यर के बाद माया गोविंद का नाम हिंदी सिनेमा के गीतों में एक प्रमुख स्थान रखता है। उनकी शायरी में उर्दू के शब्दों की कोमलता और गहराई स्पष्ट झलकती है। उन्होंने रोमांटिक और भावुक गीतों में अपनी खास छाप छोड़ी। बतौर गीतकार उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1974 में आई फिल्म ‘आरोप’ के सुपरहिट गीत ‘नैनों में दर्पण है’ के साथ की थी। उसके बाद उन्होंने ‘कैद’, ‘सावन को आने दो’, ‘झूठी’, ‘नाजायज’, ‘चाहत’, ‘ऐतबार’, ‘पिघलता आसमान’, ‘दलाल’, ‘याराना’, ‘टक्कर’ और ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’ जैसी और कई फिल्मों के लिए गीत लिखकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 

अमृता प्रीतम

हिंदी और पंजाबी साहित्य का कोहिनूर कही जानेवाली अमृता प्रीतम को यूं तो साहित्य के क्षेत्र में ज्यादा जाना जाता है, लेकिन उन्होंने सिनेमा के लिए भी गीत लिखे हैं, जिनमें उनकी ही उपन्यास ‘पिंजर’ पर आधारित हिंदी फिल्म ‘पिंजर’, ‘कादंबरी’ और ‘डाकू’ तथा पंजाबी फ़िल्म ‘तोड़ पंजाबण दे’ शामिल हैं। उनके लिखे गीतों और शायरी में अधिकतर उर्दू और पंजाबी का मेल देखने को मिलता है। विशेष रूप से ‘पिंजर’ का गीत ‘चरखा चलाती मां’, उनकी प्रसिद्ध कविता है, जिसे आप काव्य शैली का एक बेहतरीन उदाहरण कह सकती हैं। अमृता प्रीतम के उपन्यासों की तरह अपनी कविताओं में भी उन्होंने मानवीय संवेदनाओं, प्रेम, और विभाजन के दर्द को खूबसूरती से व्यक्त किया है। इनमें उनकी प्रसिद्ध कविता ‘आज आखां वारिस शाह नूं’ (आज वारिस शाह से कहती हूं) भारत-पाक विभाजन के दर्द का जीवंत दस्तावेज़ मानी जाती है, इसे कई फिल्मों और नाटकों में भी लिया गया है। 

रानी मलिक

90 के दशक में बॉलीवुड की सबसे मशहूर महिला गीतकारों में रानी मलिक का नाम काफी अदब से लिया जाता है, हालांकि अन्य गीतकारों की तरह संगीत जगत में ये अपना दबदबा नहीं बना पाईं। हालांकि अपने करियर की धमाकेदार शुरुआत उन्होंने 1990 में आई फिल्म ‘आशिकी’ के चार्टबस्टर गीत ‘धीरे-धीरे से मेरी जिंदगी में आना’ लिखकर की थी। इस गीत को बाद में वर्ष 2015 में ऋतिक रोशन और सोनम कपूर को लेकर बने एक वीडियो गीत में रीमिक्स भी किया गया था, जो उस दौरान काफी ट्रेंडिंग था। हालांकि इस गीत के अलावा वे कई और सुपरहिट गीत लिख चुकी हैं, जिनमें ‘फिल्म मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’ का ‘चुरा के दिल मेरा, ‘हाउसफुल 3’ का ‘मालामाल’, ‘याराना’ का ‘जादू-जादू’, ‘फूल और कांटे’ का ‘तुमसे मिलने को दिल करता है’, ‘दिल है के मानता नहीं’ का ‘हम तो मशहूर हुए’, ‘जान तेरे नाम’ का ‘ हम लाख छुपाए प्यार मगर’ और ‘छोटे सरकार’ का ‘एक नया आसमान’ जैसे कई चार्टबस्टर गाने लिख चुकी हैं, लेकिन वो पहचान इन्हें नहीं मिली जिनकी ये हकदार थीं।

कौसर मुनीर

कौसर मुनीर वर्तमान दौर की उभरती हुई बेहतरीन गीतकारों में से एक हैं। उनके गीतों में आधुनिकता और उर्दू शायरी का बेमिसाल संगम देखने को मिलता है। कौसर मुनीर ने हिंदी सिनेमा में अपने लेखन की शुरुआत वर्ष 2003 में सोनी चैनल पर आए टीवी शो ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ से की थी। उसके बाद बतौर गायिका उन्होंने न सिर्फ न ‘टशन’ और ‘अंजाना अंजानी’ जैसी लोकप्रिय फिल्मों के लिए गाने गाए, बल्कि ‘फैंटम’, ‘बजरंगी भाईजान’, ‘बारिश और चाउमीन’, ‘डियर जिंदगी’, ‘बेगम जान’, ‘जलेबी’ और ‘शिमला मिर्ची’ फिल्मों के साथ ‘रॉकेट बॉयज’ वेब सीरीज के लिए स्क्रिप्ट भी लिखे। गीत लेखन की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2008 में आई फिल्म ‘टशन’ से की थी। उनके लिखे गीतों की संख्या 100 से भी अधिक है और लोकप्रिय फिल्मों में ‘एक था टाइगर’, ‘धूम 3’, ‘हीरोपंती’, ‘बजरंगी भाईजान’, ‘डियर जिंदगी’, ‘पैडमैन’, ‘गुंजन सक्सेना’ और ‘शिद्दत’ शामिल है. अपने गीतों के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार स्टारडस्ट अवार्ड्स के साथ स्टार स्क्रीन अवार्ड्स और जी सिने अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है।

 

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