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होम / एन्गेज / संस्कृति / पॉप-कल्चर

दिवाली पर गेंदा फूल की सजावट का जानें महत्व, मिलती है एकता की सीख

टीम Her Circle |  नवंबर 01, 2024

जब भी त्यौहार आता है, तो बाजारों में गेंदा फूल की बागवानी त्योहार के रंग को महका जाती है। इस पार दिवाली और छठ एक साथ आ रहे हैं, ऐसे में गेंदा फूल की खेती भी जोर पकड़ लेती है। सितंबर से दिसंबर तक खेतों में वैज्ञानिक तरीके से भी गेंदा फूल की खेती की जाती है। गेंदा फूल का भारतीय संस्कृति में सबसे खास महत्व है। फूलों की रंगोली, शादी की सजावट से लेकर पूजा और त्योहारों में गेंदा फूल का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है। यहां तक बाजार में इन दिनों दिवाली की सजावट में नकली गेंदा फूलों की भी बिक्री जोरों पर हो रही है। आइए विस्तार से जानते हैं गेंदा फूल से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारी कि कैसे यह खूबसूरत फूल हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है।

क्या है गेंदा फूल की विशेषता

गेंदा फूल का इस्तेमाल न सिर्फ सजावट और पूजा-पाठ के लिए किया जाता है, बल्कि औषधि के तौर पर भी यह फूल काफी काम आता है। इस फूल को सुखाकर पीसने के बाद इसके पाउडर का उपयोग त्वचा के लिए लाभकारी माना जाता है। इसके साथ ही कपूर के साथ गेंदा फूल के पाउडर को मिलाकर इसे जलाने से घर भी महक हो उठता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा भी आती है। माना गया है कि गेंदा फूल और फूल न होकर फूलों का एक गुच्छा है। साथ ही हर मौसम में बाजार में गेंदा फूल जरूर मौजूद होते हैं। यह हर मौसम में मिलने वाला सबसे किफायती और खूबसूरत फूल है। गेंदा फूल कई दिनों तक ताजा भी रहता है और अपनी महक को बनाए रखता है। मुरझाने के बाद भी गेंदा फूल अपनी खूबसूरती को बनाए रखते हैं।

समर्पण और एकजुटता का प्रतीक गेंदा फूल

गेंदा फूल न केवल अपनी खूबसूरती के लिए लोकप्रिय है, बल्कि जीवन की सीख भी इस फूल से मिलती है। गेंदा फूल का रंग पीला और केसरिया होता है। यह दोनों ही रंग आपकी प्रेम, एकता और त्याग को दर्शाते हैं। एक तरफ गेंदा फूल का रंग त्याग को दिखाता है, तो वहीं यह शांति का भी प्रतीक बन जाता है। गेंदे फूल में बहुत से बीज भी पाए जाते हैं। इसके हर एक बीज में कई सारी पंखुड़ियां भी होती हैं, जो कि एकता को दिखाती है।

सकारात्मकता और ज्ञान का फूल

गेंदे फूल को सकारात्मकता और ज्ञान का फूल भी माना जाता है। इसकी वजह यह है कि गेंदे का फूल पीला है और यह रंग हमेशा से ही सकारात्मकता का अहसास दिलाता है। कहीं न कहीं इस रंग के कारण इसे ज्ञान का भी फूल माना जाता है। इसकी वजह यह है कि सुख और उत्सव के कार्यों में गेंदे के फूल का इस्तेमाल होता है, ताकि इससे पूरे माहौल में ज्ञान का उदय होता है।

गेंदे से मिलती है परिवार की पहचान

भारतीय संस्कृति हमेशा से एकता और परिवार का संदेश देती रही है। गेंदे के फूल को लेकर यह मान्यता है कि परिवार बनाए रखने का ज्ञान गेंदा फूल देता है। इस फूल की विशेषता है कि इसकी प्रत्येक पंखुड़ी में बीज होता है और नए पौधे का जन्म भी इसी से होता है। साथ ही एक फूल में कई सारे फूलों का एक गुच्छा भी होता है, जो कि परिवार के एक साथ रहने और उसके सतत बढ़ने का चिन्ह मानी जाती है। गेंदा फूल बताता है कि परिवार का हर सदस्य भी खुद को तभी पूर्ण कर पाएगा, जब वह परिवार के साथ रहेगा। एकल जीवन में फूलों की ताजगी और मुस्कान नहीं है।

गेंदा फूल और भारत

भारत में खास तौर पर दो तरह के गेंदा की खेती की जाती है, पहला अफ्रीकन गेंदा और दूसरा फ्रेंच गेंदा। अन्य भाषाओं में गेंदा को हंजारी गजरा फूल और गलगोटा भी कहते हैं। प्राचीन काल से ही इसकी लोकप्रियता बरकरार है। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के चंद्रकेतुगढ़ से मिले हुए 300 से 100 ईसा पूर्व की भी सजावट के लिए गेंदा के फूलों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। प्राचीन समय में गेंदा फूल का इस्तेमाल तोरण बनाने के लिए भी किया जाता रहा है।

 

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