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संस्कृति

90 सेकेंड के रील्स वाले इस दौर में 90 के दौर वाला इमोशनल कैसेट कनेक्शन ढूंढती हूं…

अनुप्रिया वर्मा |  जून 26, 2023

मीर हसन की ये शेर ‘सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं, गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं' हर दौर में प्रासंगिक है। चूंकि 90 सेकेंड के रील्स में दुनियाभर के इमोशन समेट लेने वाले इस दौर में कॉम्पेट कैसेट यानी कैसेट से जुड़े इमोशनल कल्चर से शायद ही कभी वाकिफ हो पाए। लेकिन वो दौर इमोशनल कनेक्शन का क्यों था, आइए जानें। 

प्रिय कॉम्पेक्ट ऑडियो कैसेट,

मुंबई के कॉम्पेक्ट घरों में कई सालों से बसेरा होने के बावजूद, तुमसे मेरा कनेक्शन साल दर साल सिकुड़ता नहीं, बल्कि गहरा ही होता जा रहा है। पिछले दिनों जब अपने होम टाउन यानी घर पर थी, तो यूं ही मां का पिटारा खोला (हम बाहर राज्य में रहने वाले सीजनल प्रवासी लोग, पुरानी दुनिया में जाने का या नॉस्टेलजिक होने का एक भी मौका नहीं छोड़ते)तो इसे ही जारी रखते हुए, मां का पिटारा खुला और उसमें तुम अपने कई सारे दोस्तों के साथ नजर आये। आजकल इतने अधिक हेल्थ कॉन्सस हैं लोग। शायद तुम्हें इस बात का सही तरीके से इल्म नहीं, तभी आज के साथ कदमताल करते हुए चलना तुम्हारे लिए कठिन था। लेकिन तुम्हारी जिंदादिली भी कमाल की है कि दीमक से सने होने के बावजूद, तुम्हारी मुस्कान पहले नजर आयी। और यह मुस्कान की चमकार यूं ही नहीं थी। तुमने कितनी जिंदगानियों को अपने सामने देखा है, हर इमोशन को बनते तो उभरते देखा है। कितनी प्यार की जोड़ियों के लिए तुम प्यार की भाषा बने हो। मुझे तो याद है कि हमेशा हम बेटियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए किस तरह मां अपने लिए जो कुछ पल शौक और सुकून के बिताया करती थी, उसके लिए ‘सुकून का सहारा’ तो तुम ही हुआ करते थे। मुझे याद है कि मां के लिए कैसेट प्लेयर को खरीदने के लिए कितने महीने की सेविंग की जद्दोजहद, फिर सुबह-सुबह की शुरुआत नरेंद्र चंचल के भजनों से लेकर, देव आनंद, राजेश खन्ना और नए दौर में गोविंदा के गानों तक, मां के पास सारी वेरायटी थी। मां की जिंदगी जब तक रही, संगीत उनके साथ रहा और तुम उनके सुकून के संगीतमय साथी। मुझे याद है कि काजोल की डबल रोल वाली फिल्म के गाने पर पूरी प्रैक्टिस कराने में किस तरह तुमने मेरा साथ दिया। पंकज उदास के उस एल्बम में जब जॉन का पहला चेहरा देखा था, न जाने कितनी बार, लगातार जॉन का क्रश बरकरार रखने में भी अहम भूमिका तुम्हारी थी, सोनू निगम का हिट सांग दीवाने के गाने आज भी मुझे मुंहजुबानी याद हैं, मेरे लिए इसके रट्टू तोता भी तो तुम ही थे। दिल तो पागल के गाने सुन कर, सपनों के राजकुमार वाली फीलिंग जगाने वाले भी तुम ही थे। अभी अपने दोस्त से जैसे ही मैंने चर्चा की कि मैं तुम्हारे पहियों में ( कैसेट में रील्स) में कलम डाल कर, फिर से तुमको दुरुस्त करने की कोशिश कर रही हूं, उसके चेहरे की मुस्कान को मैं उसे बिना देखे भी महसूस कर पा रही हूं। आज के दौर में गानों पर रील्स बनाने वालों को शायद ही यह बात समझ आये कि उस दौर में रील्स का मतलब 90 सेकेण्ड की इंस्टेंट ख़ुशी से नहीं, बल्कि रील घुमाते हुए अपनों को चाहने वालों के इमोशन को महसूस करने जैसा था। वे सारी यादें, जो मेरी मां ने अपनी जिंदगी में एन्जॉय किया, कई जोड़ियां बनने के तुम जो साक्षी बने, कई बार मेरे दुःख या निराशा को बयां करने में मेरी जुबान बने, मेरे असली मोटिवेशनल स्पीकर बने। मैंने तो मेरे जीवन में सिक्के के दो पहलू वाले मुहावरे का अर्थ भी तुम्हारे साइड ए और साइड बी होने पर ही जाना था। विनोद रिकॉर्ड्स वाली वो दुकान, जहां न जाने कैसेट रिकॉर्डिंग के बहाने कितनी जिंदगानियां कैद हुई होंगी। तुम्हारी इन सभी खूबियों के बावजूद सच कहूं तो अभी इतने सालों के बाद, जब मैंने एक बार फिर से कैसेट प्लेयर से तुम्हारी मुलाकात कराने पर जब तुम्हारे रील्स के फंसने की आवाज सुनाई दी न ! तो ऐसा महसूस हुआ, मानों तुम्हारा खांसना, मेरी पुरानी खुशनुमा यादों में दीमक लग जाना था। 

अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है, मुंबई में कई नए मेट्रो रूट्स की शुरुआत हुई। जाहिर है कि मुंबई में दूरी के अनुसार ही लोग अपने काम, सड़क पर लगने वाले समय के अनुसार ही तय करते हैं, ऐसे में जब ऑटो वाले से यह जानना चाहा कि क्या अब उनके लिए नुकसान होगा, क्योंकि लंबी दूरी के लिए लोग अधिक मेट्रो का इस्तेमाल करेंगे, इस पर उनका जवाब था कि परिवर्तन तो संसार का नियम है, किसी के फायदे, किसी के नुकसान होंगे ही। बदलाव ही संसार का नियम है, ये आत्म-ज्ञान अटल सत्य है और यह भी हकीकत है कि तुमसे अपने एकतरफा प्यार को भी कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वैसे कुछ सालों पहले एक खबर पढ़ी थी कि अब भी ब्रिटेन में तुम्हारे चाहने वाले हैं और इसकी पिछले एक दशक में अपने उच्चतम स्तर पर देखी गई और लगातार सात वर्षों से कैसेट बिक्री में यहां लगातार बढ़ रही है, यह सुन कर कुछ सुकून की सांस तो ली है मैंने। जानती हूं मीर हसन के शब्द‘सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं, गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं', जानती हूं कि तुमसे पहले भी कोई और था, तुम्हारे बाद भी कोई और आया और आगे भी आता रहेगा। लेकिन हकीकत यही है कि आज भी इतने सालों के बाद, तुमसे जब मुलाकात हुई मेरी, मेरे दिल ने बस यही कहा कि समय से पहले, तेजी से बदलती दुनिया में जहां 90 सेकेंड के रील्स में दुनिया समा गई है, तुम्हें वॉलेंटरी रिटायरमेंट पर भेज दिया गया।

वैसे ईमानदारी से कहूं तो इसे लिखते हुए, मेरे बगल में बैठी मेरी दीदी की 6 साल की बेटी काचा बादाम, कोई कैसे इन्हें ये समझाए गाने पर पिछले आधे घंटे में न जाने कितनी बार इसके कई रील्स देख चुकी है। और उसे देख कर भी मेरे चेहरे पर स्माइल है कि ऊपर लिखे ये सारे शब्द, कभी उसके दौर में भी प्रासंगिक जरूर होंगे। 

है न ! 

दिलचस्प तथ्य 

वर्ष 1962 में जब डच इंजीनियर लू ओटेंस शायद ही इस बात से वाकिफ रहे होंगे कि उनके द्वार बनाया गया कैसेट, सिर्फ एक तकनीकी चीज नहीं, बल्कि इमोशनल मोमेंट बन जायेगा। वहीं 1961 में दुनिया का पहला पोर्टेबल टेप रिकॉर्डर बनाया था। कैसेट्स को कभी कॉम्पेक्ट कैसेट के रूप में जाना जाता है। 

साल 1963 में बर्लिन शहर में रेडियो शो इलेक्ट्रॉनिक्स मेला लगाया था, जहां पहली बार ओटेंस ने दुनिया के सामने पहले ऑडियो कैसेट टेप को दर्शाया। इसके बाद जापान ने भी अपना एक अलग वर्जन का ऑडियो कैसेट पेश किया। वहीं यूरोप में इसका उपयोग शुरुआती दौर में व्यक्तिगत संगीत संग्रह रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता था। इसे संगीत सुनने का सबसे उपयोगी माध्यम माना जाता था। मोहल्ले वाला प्यार, बचपन वाला प्यार, दोस्ती यारी को बरकरार रखने वाले प्यार का साक्षी रहा है यह कैसेट प्लेयर। 

जब कैसेट्स खूब बिक्री हुआ करते थे, उस दौर में 100 बिलियन कैसेट के करीब बिक्री हो चुकी थी। कैसेट्स उस दौर में दो तरह के होते थे। पहले से संगीत रिकॉर्ड होता था और दूसरी साइड पूरी तरह से खाली होता था, ताकि रिकॉर्डिंग की जा सके, और इन कैसेटों को उपयोगकर्ता द्वारा उलट पुलट कर दोनों तरफ से इस्तेमाल किया जाता था। पहले से रिकॉर्ड किये हुए कैसेटों को भी आठ-ट्रैक  नामक एक टेप कार्ट्रिज के रूप में जाना जाता था। वहीं ब्रिटेन में कैसेट की बिक्री पिछले एक दशक में अपने उच्चतम स्तर पर देखी गई और लगातार सात वर्षों से कैसेट की बिक्री को बढ़ावा ही मिला है। इसके अलावा, तीन साल पहले एक वेबसाइट में प्रकाशित खबर के अनुसार, अमेरिका की ग्लोबल मार्केटिंग रिसर्च फर्म नील्सन म्यूजिक के मुताबिक 2018 में कैसेट टेप की बिक्री में 23% बढ़ोत्तरी देखी गई है, जानकारों का मानना है कि यह संगीत सुनने के मनोभावों से लोगों को अधिक जोड़ने में सक्षम होती है। तीन साल पहले तक काइली मिनॉग, बिली ऐलिश और लुइस कैपाल्डी जैसे नामचीन कलाकारों ने अपने संगीत को रिलीज करने के लिए कैसेट टेप का ही इस्तेमाल किया है।

 

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