बच्चों को अनुशासन सिखाने के साथ-साथ यदि आप चाहती हैं कि आपका बच्चा पॉजिटिव और मेंटली हेल्दी हो तो आपको भी अपने परवरिश के तरीकों में बदलाव लाते हुए पॉजिटिव पैरेंटिंग स्किल डेवेलप करने होंगे। आइए जानते हैं किन बातों का ख्याल रखते हुए आप पॉजिटिव पैरेंटिंग स्किल में माहिर हो सकती हैं।
कोई टास्क नहीं, जिम्मेदारी है पॉजिटिव पैरेंटिंग

बात जब पॉजिटिव पैरेंटिंग की आती है, तो लोग समझते हैं बच्चों की बदतमीजियों को नजरअंदाज करते हुए पॉजिटिव एटीट्यूड अपनाना, जो बिल्कुल सही नहीं है। पॉजिटिव पैरेंटिंग का अर्थ है बच्चों में आत्मविश्वास जगाना और उन्हें दूसरों के प्रति रिस्पेक्ट, ग्रेटिटयूड और दया का भाव विकसित करना, जिससे वे भूलकर भी किसी के साथ दुर्व्यवहार न कर सकें। इससे बच्चे आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ जिम्मेदार भी बनते हैं। हालांकि ये कोई ट्यूशन या क्लास नहीं है, जिसे आप पूरे दिन में एक घंटे या दो घंटे सिखाकर बच्चों से बेहतर रवैये की उम्मीद करें। पॉजिटिव पैरेंटिंग एक लाइफस्टाइल की तरह है, जिसे आपको हर दिन बच्चों के साथ पूरे धैर्य से जीना पड़ेगा और इसकी शुरुआत आप जितनी जल्दी करेंगी, आपके और आपके बच्चे के लिए उतना ही बेहतर होगा।
धैर्य और क्रिएटिविटी अपनाएं, इरिटेशन नहीं
अक्सर देखा गया है कि कुछ नया सिखने के नाम पर बच्चे आनाकानी या नखरे दिखाने शुरू कर देते हैं। यदि आपको लगता है कि बच्चे जानबूझकर बदतमीजी कर रहे हैं, तो आपको उन्हें सजा देने की बजाय क्रिएटिविटी के साथ सिखाने की कोशिश करनी होगी। यकीन मानिए बार-बार के अभ्यास, धैर्य और क्रिएटिविटी के साथ आप बच्चों को कुछ भी सिखा सकती हैं। यदि आप एक होममेकर होने की बजाय वर्किंग वूमन हैं, तब आपको अपनी चुनौतियों के मद्देनजर बच्चों को कुछ नया सिखाने के क्रम में थोड़ा बदलाव लाना होगा। सबसे पहले आप इस बात का ख्याल रखिए कि ऑफिस-घर को बैलेंस करने में मचनेवाली चिढ़ को बच्चों पर न उतारें। इसके अलावा अपने व्यस्त समय में से कुछ समय उनके लिए भी निकालें, जिससे वे अकेलापन न महसूस करें। इस समय में आप चाहें तो बच्चों की पसंद का कोई गेम खेल सकती हैं, उनके साथ मस्ती कर सकती हैं या फिर उनकी दिन भर की बातें भी सुन सकती हैं। याद रखिए इस तरह आपके बच्चे न सिर्फ आपसे दूर रहने के बावजूद करीब रहेंगे, बल्कि आपसे अपनी हर छोटी-बड़ी बात भी शेयर करेंगे।
उनके व्यवहार पर नजर रखें, लेकिन प्यार से

अपने घर के महौल को स्ट्रेस फ्री रखते हुए बच्चों के सामने लविंग कपल नजर आना भी पॉजिटिव पैरेंटिंग का एक हिस्सा है। दरअसल बच्चों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि उनके मम्मी-पापा एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। अपनों के अलावा आपका व्यवहार दूसरों के प्रति भी काफी सकारात्मक होना चाहिए, क्योंकि बच्चे जो देखेंगे, वही सीखेंगे और उसी तरह दूसरों के साथ बिहेव भी करेंगे। इसके अलावा संभव हो तो उनकी मस्ती-मजाक में शामिल होकर आप भी मस्ती करें। ऐसे में उनसे अपनी बात कहना आपके लिए काफी आसान हो जाएगा। हां, यदि वे घर या स्कूल के किसी व्यक्ति का मजाक उड़ा रहे हों, तो आप उन्हें आप तुरंत रोक दें, वरना उनकी यह आदत लंबे वक्त में आपके लिए ही परेशानी बन जाएगी। हालांकि उन्हें टोकते या उनकी किसी बात पर अपना विरोध जताते समय इस बात का ख्याल रखें कि आपका रवैया सामान्य हो। उनकी गलतियों पर भी उन्हें इस तरह समझाएं कि उन्हें खुद अपने रवैये पर पछतावा हो। हालांकि बच्चा यदि अपनी गलती मान ले, तो उसकी तारीफ करना न भूलें। संभव हो तो आप उसे कोई छोटा सा गिफ्ट भी दे सकती हैं।
बच्चों को आत्मविश्वासी बनाएं, चोट न पहुंचाएं

इसमें दो राय नहीं कि पैरेंटिंग एक बहुत बड़ा टास्क है, आपकी छोटी सी लापरवाही आपके बच्चे के मन पर गलत प्रभाव डाल सकती है, जो शायद हमेशा के लिए उसके मन-मस्तिष्क पर अंकित रह जाए। ऐसे में कोशिश कीजिए कि अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाते हुए ऐसा कोई काम न करें, जिससे उनके आत्मविश्वास को चोट पहुंचे। अपने बच्चों की कमियों की बजाय उनकी खूबियों को महत्व दें और गलती से भी उनकी गलतियों का जिक्र किसी दूसरे के सामने न करें। इसके अलावा अनुशासन सिखाने के नाम पर उनके साथ सख्ती करने से खास तौर पर बचें, वर्ना हो सकता है अनजाने में ही आप उनके साथ-साथ अपने लिए भी परेशानियां खड़ी कर लेंगी। बच्चों के लिए बचपन एक बेशकीमती तोहफे की तरह होता है, जो पूरी उम्र उनके साथ रहता है। ऐसे में कोशिश कीजिए कि पॉजिटिव पैरेंटिंग के साथ आप उन्हें एक सुलझा, समझदार और पॉजिटिव इंसान बना सकें।