थियेटर पर्सनैलिटी नेहा सिंह का मानना है कि जिस तरह आधी रात को पुरुष बेखौफ होकर मुंबई की सड़कों पर निकल पड़ते हैं, वैसी आजादी महिलाओं को क्यों नहीं मिली हुई है? आखिर ये शहर पुरुष और महिला दोनों का है, तो क्यों सिर्फ एक ही तबका आजादी को महसूस करे और दूसरा तबका डर के मारे घर में कैद रहे? हालांकि उनकी इस सोच को बल मिला था मुंबई की तीन महिलाओं द्वारा लिखी गई किताब ‘व्हाय लॉयटर’ से। इसे पढ़कर उन्होंने तय कर लिया कि वे भी रातों में सिर्फ घूमने के इरादे से अपनी सहेलियों के साथ मुंबई की सड़कों पर निकलेंगी, जिससे दूसरी महिलाओं के लिए वे भी एक उदाहरण बन सके और कोई उन्हें यह न कहे कि महिलाओं को रातों को घूमना नहीं चाहिए। हालांकि अपनी इस मुहिम की शुरुआत उन्होंने अपनी सहेलियों से की थी, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए उनसे कई और महिलाएं जुड़ती गई और आज वे सभी एकजुट होकर मुंबई की सड़कों पर निकलती हैं। दिलचस्प बात यह है कि अब उनके इस मुहिम में उनकी मां भी उनके साथ जुड़ गई हैं। आइए इस वीडियो के माध्यम से उनके बारे में विस्तार से जानते हैं।