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होम / एन्गेज / स्वास्थ्य / न्यूट्रिशन

सर्दियों की सबसे लोकप्रिय हरी पत्तेदार सब्जी बथुआ है पोषक तत्वों से भरपूर

टीम Her Circle |  दिसंबर 15, 2024

सर्दियों के दौरान सब्जी मंडियों में आम तौर पर विभिन्न सब्जियों के साथ हरी पत्तेदार सब्जियों की भरमार होती है, लेकिन इन सभी सब्जियों में विटामिन ए और सी के साथ आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर बथुआ की बात ही अलग है। आइए जानते हैं बथुआ साग से जुड़ी कुछ खास बातें। 

एक बथुआ के अनेक लाभ

बथुआ को आप सर्दियों के मौसम की सबसे लोकप्रिय सब्जी कह सकती हैं, क्योंकि बथुआ का सेवन शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी आपको फिट रखता है। त्वचा में निखार लाने के साथ-साथ ये आपके चेहरे पर ग्लो भी लाता है। इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर बथुआ में आपकी इम्युनिटी बढ़ानेवाले तत्व भी पाए जाते हैं, जिससे आप सर्दियों की आम बीमारी के साथ-साथ अन्य बीमारियों से भी बच सकती हैं। पकाकर खाने के साथ-साथ यदि आप इसके पत्तों को कच्चा चबाती हैं, तो इससे आपके दांतों के साथ मुंह की भी सुरक्षा होती है। सांसों की बदबू के साथ पायरिया और दांतों से जुड़ी अन्य बीमारियों में ये बेहद फायदेमंद है। यदि आप किडनी स्टोन से पीड़ित हैं, तो बथुआ के साग का सेवन जरूर करें। इसके लिए बथुआ का साग उबालकर इसका रस छान लें और उसमें इसमें चीनी या गुड़ मिला लें। इस रस को लगातार पीने से कुछ ही दिन में आपकी किडनी का स्टोन पिघलकर यूरिन के रास्ते निकल जाएगा।

बड़ों के साथ बच्चों के लिए भी फायदेमंद 

स्किन और दांतों के साथ कॉन्स्टिपेशन से जुड़ी डाइजेस्टिव बीमारियों में भी बथुआ कारगर है। इसी के साथ बथुआ गठिया और लकवा में भी फायदेमंद है। आपकी शारीरिक समस्याओं के अलावा आपके बच्चों की सेहत का भी बेहतर ख्याल रखता है बथुआ। विशेष रूप से यदि आपके बच्चे पेट के कीड़े और पेट दर्द से परेशान हैं, तो आप उन्हें बथुआ हर रोज खिलाएं, इससे उनको बेहद फायदा मिलेगा। इसके अलावा जिन्हें त्वचा से जुड़ी बीमारियां, जैसे, सफेद दाग, फोड़े-फुंसी और खुजली की शिकायत है, उन्हें बथुआ को उबालकर उसका रस जरूर पीना चाहिए। इससे उनकी स्किन से जुड़ी सारी समस्याएं जड़ से खत्म हो जाएंगी। 

पूरे साल में सिर्फ दो माह मिलती है ये सब्जी

सर्दियों के मौसम में बथुआ के साथ मेथी, पालक, सरसों, मूली, चना और चौलाई जैसी कई हरे पत्तेदार सब्जियां बाजार में आ जाती हैं, लेकिन इन सबमें मात्र बथुआ एक ऐसी सब्जी है, जो सर्दियों में आपके शरीर को न सिर्फ गर्म रखती है, बल्कि आपके शरीर को हाइड्रेट भी करती है। हालांकि दिलचस्प बात यह है कि पूरे वर्ष में सर्दियों के मौसम के दौरान ये सिर्फ दो माह ही बाजार में मिलती हैं। ऐसे में पूरे भारत में इसका सेवन किया जाता है। हालांकि पूरे देश के अलग-अलग प्रांतों में इसे पकाने की विधियां भी अलग-अलग होती हैं। मूल रूप से बथुआ के साग की सब्जी बनाई जाती है, लेकिन उत्तर भारत में जहां इसे अरहर और चना दाल के साथ पकाया जाता है, वहीं पश्चिमी भारत में इसे आटे में मिलाकर पराठे बनाकर खाए जाते हैं। रही बात सब्जी बनाने की तो उसे बनाने का तरीका भी अलग-अलग प्रांतों के अनुसार अलग-अलग होता है। कहीं-कहीं इसकी मठरी और स्नैक्स भी बनाए जाते हैं, जिससे इसका सेवन साल भर किया जा सके। 

वजन कम करने में कारगर है बथुआ 

प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और ओमेगा-3 फैटी एसिड के साथ पानी से भरपूर बथुआ के साग में वो सभी जरूरी पोषक तत्व हैं, जिससे आप अपना पूरा शरीर स्वस्थ रखते हुए कई बीमारियों का इलाज घर बैठे कर सकती हैं। डॉक्टर्स के अनुसार 100 ग्राम बथुआ के साग में 44 कैलोरीज, 7 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4 ग्राम प्रोटीन और 0.8 ग्राम फैट होते हैं। ऐसे में यदि आप हर रोज 100 ग्राम इस साग का सेवन करती हैं, तो पूरे साल के लिए पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के साथ-साथ आप अपने वजन को भी कंट्रोल कर सकती हैं। दरअसल सर्दियों में अक्सर ठंड के कारण एक्सरसाइज पर विराम लग जाता है और वजन बढ़ने की समस्या शुरू हो जाती है। ऐसे में कम कैलोरी और फाइबर से भरपूर बथुआ के साग को खाना न सिर्फ आपके वजन को कंट्रोल करता है, बल्कि आपके अधिक खाने की क्रेविंग को भी कम करता है। इससे आपको पेट भरा-भरा लगता है। 

डाइजेशन के साथ हड्डी से जुड़ी परेशानियां भी रहती हैं दूर

बथुआ में मौजूद फाइबर आपके डाइजेशन का पूरा ख्याल रखता है। इंटेस्टाइन में जमी गंदगी को साफ करने के साथ आपको ब्लोटिंग, कॉन्स्टिपेशन और पेट फूलने जैसी परेशानियों को भी दूर करता है। इंटेस्टाइन के साथ बथुआ का साग आपके लिवर का भी बेहतर ख्याल रख सकता है, बशर्ते आप हर रोज बथुआ का जूस पिएं। डॉक्टर्स के अनुसार एक वयस्क व्यक्ति को हर रोज कम से कम 10ml जूस पीना ही चाहिए। शरीर की अंदरूनी सेहत का ख्याल रखने के साथ बथुआ का साग आपके हड्डियों का भी विशेष ख्याल रखता है। आम तौर पर सर्दियों के दौरान हड्डियों के जोड़ों में मौजूद सिनोवियल फ्लूइड (synovial fluid), जिसे आम बोलचाल की भाषा में ग्रीस भी कहा जाता है, सूखने लगता है, जिससे बुजुर्गों के साथ-साथ कम उम्र के लोगों में भी जोड़ों की परेशानी बढ़ जाती है। ऐसे में बथुआ में मौजूद कैल्शियम और फास्फोरस जोड़ों के दर्द में आराम देने के साथ-साथ हड्डियों को भी मजबूती देते हैं। 

हीमोग्लोबिन बढ़ाने के साथ खून की सफाई भी

सर्दियों के मौसम में बथुआ का साग आपके शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के साथ-साथ खून की सफाई भी करता है, बशर्ते इसका इस्तेमाल नीम के साथ किया जाए। दरअसल बथुआ में मौजूद प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं, जिससे न सिर्फ खून साफ होता है, बल्कि मुंहासों के साथ स्किन से जुड़ी अन्य समस्याएं भी कम होती हैं। यदि आप काफी दिनों से दाद-खाज-खुजली से परेशान हैं, तो आपको हफ्ते में एक बार बथुए के रस में नमक और नींबू मिलाकर अवश्य पीना चाहिए। इसके अलावा यदि आपको पीरियड्स इश्यू हैं या आपको पीरियड्स रुक-रुककर आ रहे हैं, तो आपको हफ्ते में एक बार बथुए के जूस में काला नमक मिलाकर पीना चाहिए। खून से जुड़ी परेशानियों के अलावा बथुए का सेवन आपके ब्लड सर्कुलेशन को भी अच्छा रखता है। 

बथुआ खाएं लेकिन सावधानी से

आम तौर पर पोषक तत्व वाले बथुआ के साग से रोटी, पराठा, सब्जी, दाल या सूप और रायता बनाया जाता है, जो शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसके अंतर्गत बथुआ को आलू या दाल के साथ मिलाकर स्वादिष्ट सब्जी बनाई जा सकती है। पके हुए दाल और अपने मनपसंद गेहूं, बाजरा, ज्वार या मक्के के आटे में मिलाकर आप इससे पराठा भी बना सकती हैं। बथुआ का पराठा स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। इसके अलावा सर्दियों में बथुआ का सूप बनाकर पीना भी स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। बथुआ को उबालकर आप इसका रायता भी बना सकती हैं, जो पाचन के लिए बहुत अच्छा होता है। हां, इन चीजों को बनाकर खाते या खिलाते समय इस बात का उचित ख्याल रखें कि आप बथुआ को अधिक मात्रा में न खाएं। इसके अधिक सेवन से आपके शरीर में ऑक्सालेट की मात्रा बढ़ सकती है। साथ ही यदि आप प्रेग्नेंट हैं, तो प्रेग्नेंसी के दौरान बथुआ का साग खाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें, क्योंकि बथुआ के साग की तासीर गर्म होती है। इसके अलावा बथुआ के साग में ऑक्जेलिक एसिड होता है, जिससे मिसकैरेज होने का खतरा रहता है। 

 

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