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Mother’s Day Special : साहित्य की दुनिया को मिली मां की ममता की छांव, त्याग और समर्पण

टीम Her Circle |  मई 11, 2025

'मदर्स डे' यानी 'मां का दिन। देखा जाए, तो मां का हमारा जीवन में होना किसी खास दिन का मोहताज नहीं है। मां से हमारे जीवन का हर दिन है। मां से हमारा अस्तित्व है और मां से ही हमारी पहचान है। मां की अहमियत क्या होती है, यह सबसे अधिक तब अहसास होता है, जब मां हमारे साथ नहीं होती। मां हमारे पास नहीं होती। साहित्य की दुनिया में भी मां की मौजूदगी को लेखकों ने अपनी कलम से दिखाने का काबिल प्रयास किया है। आइए विस्तार से जानते हैं मां पर आधारित 5 किताबों  के बारे में, जो मां के मातृत्व, त्याग और मां और बच्चे के रिश्ते की गहरी भावनाओं को उजागर करती है।

मराठी उपन्यास ‘मां’ में संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा

यह एक मराठी उपन्यास है। इसे श्रीवपुकाले ने लिखा है। यह उपन्यास एक गहरे भावनात्मक विषय पर आधारित है, जो कि और बच्चे के रिश्ते की जटिलताओं को छूता है। इस उपन्यास में लेखक ने एक तरह से मां के त्याग, समर्पण और प्रेम को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से चित्रित किया है। इस कहानी का सार यह है कि ‘मां’ उपन्यास में एक मां की संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा को दिखाया गया है, जिसमें वह अपने बच्चों के भविष्य के लिए हर संभव प्रयास करती है, चाहे वह शारीरिक या मानसिक तौर से कष्ठ भरा हो। उपन्यास में यह दिखाया गया है कि एक मां अपने बच्चे के लिए कितनी बार अपनी इच्छाओं और सपनों को त्याग देती है। इस उपन्यास के लेखक वपुकाले की लेखनी में गहराई और संवेदनशीलता समझ आती है। उन्होंने मां के प्रेम और त्याग को सहजता के साथ दिखाया है। उनके शब्दों में दर्द और खुशी दोनों की कहानी छिपी है, जो कि एक मां के दिल को व्यक्त करता है। इस उपन्यास को पढ़ने के हुए पाठक के दिल में गहरी भावनात्मक कनेक्ट पाठकों से कर पाती है। ‘मां’ उपन्यास एक तरह से समाज की जटिलताओं और पारंपरिक मूल्यों का भी हल्का-सा स्पर्श मिलता है। इसमें एक भारतीय परिवार की वास्तविकता, जहां मां का स्थान सर्वोपरि होता है, जो कि इसे बहुत सुंदर तरीके से दर्शाया गया है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो यह उपन्यास मां के अपार प्रेम और संघर्ष की एक मजबूत और संवेदनशील कहानी को पेश करता है, जिसे हर पाठक अपनी आत्मा में महसूस कर सकता है।

रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता ‘मां’ ममता और स्नेह

रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता ‘मां’ एक तरह से मां के प्रति गहरे सम्मान और प्रेम को दिखाती है। टैगोर की कई सारी रचनाओं के बीच मां पर लिखी हुई उनकी यह कविता सबसे अधिक पसंद की जाती है। उल्लेखनीय है कि मां एक बच्चे की नजर से लिखी हुई कविता है, जो कि अपनी मां की ममता, स्नेह और उनकी मौजूदगी को जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। इस कविता में यह बताया गया है कि मां सिर्फ जन्म देने वाली नहीं, बल्कि हर दुख-सुख की साथी, प्रथम गुरु और सुरक्षा का पर्याय है। सरल, कोमल और भावुक लेखन के जरिए उन्होंने मां की गोद में सिर रखकर सोते हुए बच्चे के नजरिए से लेखन किया है। टैगोर की लिखने की शैली गीतात्मक और चित्रात्मक होती है, जिससे पाठक कविता को केवल पढ़ा नहीं जाता है, बल्कि महसूस भी किया जाता है। टैगोर की कविता मां की भावना को सरल पर गहराई से व्यक्त करती है कि कई बार आंखें नम हो जाती है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो ‘मां’  टैगोर की उन श्रेष्ठ कविताओं में से एक है जो पारिवारिक प्रेम और मानवीय संवेदना को बहुत ही कोमलता से छूती है। यह कविता मातृत्व के सर्वोच्च स्वरूप का सजीव चित्रण है। इसका प्रभाव इतना गहरा होता है कि यह कविता पाठक को अपनी मां की यादों में ले जाती है और एक गहरा आत्मीय अनुभव कराती है।

‘कह दे मां क्या अब देखूं’/  ‘मां और ममता’

महादेवी वर्मा की कविता ‘कह दे मां क्या अब देखूं’ उनकी मातृत्व और ममता के प्रति गहरी संवेदनाओं का प्रतीक है। इस कविता में महादेवी वर्मा ने प्रकृति की सुंदरता और मानव जीवन की पीड़ा के बीच संतुलन की तलाश की है। यह कविता महादेवी वर्मा की संवेदनशीलता और मानवीय करुणा को दर्शाती है। उन्होंने प्रकृति और मानव जीवन के बीच के रिश्ते को गहराई से समझा और व्यक्त किया। मां और ममता कविता में महादेवी वर्मा ने ममता का गहरा वर्णन किया है। उन्होंने मां के मन और उनके जीवन को अपनी लेखनी के जरिए प्रेरणादायी सफर में तब्दील किया है, जो कि पढ़ने में बेहद सुखद लगता है। उन्होंने बेहद संवेदनशील और भावनात्मक शैली का इस्तेमाल अपनी इस कविता लेखनी में किया है।

 ‘ममता’ शिक्षाप्रद कथा

मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘ममता’ एक शिक्षाप्रद कथा है, जो कि मातृत्व की गहरी भावना और मानवीय संवेदनाओं को उजागर करती है। इस कहानी में मां की ममता और त्याग को प्रमुख तौर पर दर्शाया गया है। यह कहानी यह सीख देती है कि हमें अपने क्रोध और अहंकार को त्याग कर दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। कहानी यह भी बताती है कि हमें समाज में अच्छे कार्य करने चाहिए और साथ ही दूसरों की मदद भी करनी चाहिए। 

‘मां’ पर सबसे लोकप्रिय कविताएं

हिंदी साहित्य में मां पर कई सारी लोकप्रिय कविताएं मौजूद हैं। हरिवंश राय बच्चन ने इसे बेहद भावुक तौर पर प्रस्तुत किया है। हरिवंश राय बच्चन की कविता ‘मां’ सीधे तौर पर  मातृत्व के प्रति गहरी श्रद्धा और भावनात्मक जुड़ाव को व्यक्त करती है। इतना ही नहीं यह कविता हरिवंश राय बच्चन की संवेदनशीलता और मानवीय करुणा को दर्शाती है। उन्होंने मां के प्रति अपने प्रेम और श्रद्धा को काफी सरल और प्रभावशाली शब्दों में जाहिर किया है। एक तरह से हरिवंश राय बच्चन ने मां के चरणों में जन्नत, मां के प्यार की गहराई और उसकी अनमोलता का अहसास कराते हैं। यह कविता मां के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना को जागृत करती है और पाठकों को अपनी मां के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए प्रेरणा भी देती है। ‘मां’ पर सुभद्राकुमारी चौहान ने भी कविता लिखी है। उनकी यह कविता अत्यंत सरल, कोमल और भावनात्मक शैली में मां की छवि को दिखाती है। इस कविता के माध्यम से सुभद्राकुमारी चौहान ने माँ की ममता और वात्सल्य को अत्यंत सुंदरता से प्रस्तुत किया है। कवि ने यह दर्शाया है कि माँ अपने बच्चे के प्रति कितनी स्नेहपूर्ण और समर्पित होती है। इसके अलावा मां पर लिखी हुई धर्मवीर भारती की कविता ‘मेरी मां’ भी काफी प्रभावी है। धर्मवीर भारती की यह कविता माँ के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना को उजागर करती है। कवि ने सरल और प्रभावशाली शब्दों में माँ की ममता और त्याग को चित्रित किया है। यह कविता पाठकों को अपनी माँ के प्रति आभार और स्नेह व्यक्त करने की प्रेरणा देती है। 

‘मां की गोद’ -शांति, सुकून, सुरक्षा और प्रेम

अगर बात बालकृष्ण शर्मा नवीन की कविता ‘मां की गोद’ की करें, तो यह एक भावुक कविता मानी गई है। इस कविता में कवि ने मां की गोदी की शांति, सुकून, सुरक्षा और प्रेम को जीवन का प्रतीक बताया है। उन्होंने लिखा है कि मां की गोद में शरण लेने वाले के पास जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति होती है। कवि ने बताया है कि मां की गोदी में हर दुख और चिंता दूर हो जाती है। मां की गोदी में केवल प्रेम और स्नेह की अनुभूति होती है। यह कविता मां के प्रति कवि की गहरी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाती है। कवि ने सरल और प्रभावशाली शब्दों में मां की ममता और त्याग को चित्रित किया है। यह कविता पाठकों को अपनी मां के प्रति आभार और स्नेह व्यक्त करने की प्रेरणा भी देती है। एक तरह से देखा जाए, तो मां पर लिखी हुई हिंदी साहित्य की हर कविता और कविता एक प्रभावशाली पठन योग्य रचना मानी गई है।

 

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