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जानिए महिलाओं का योग के इतिहास में योगदान

टीम Her Circle |  जून 26, 2024

महिलाओं के जीवन में क्यों योग एक महत्वपूर्ण गतिविधि है या होनी चाहिए, साथ ही महिलाएं कैसे इस क्षेत्र में अपना करियर भी बना सकती हैं। आइए जानते हैं विस्तार से। 

प्राचीन काल में योग और महिलाएं 

इस बारे में हमें जानकारी जरूर होनी चाहिए कि अगर हम प्राचीन काल से लेकर आज के आधुनिक काल तक की कहानी या इतिहास या सफर को देखेंगे, तो पाएंगे कि योग की कहानी में एक महिला ने कई भूमिकाएं निभाई हैं। दरअसल, योग, वह अभ्यास है जो कुछ हजार साल पहले से प्राचीन भारत में एक पहचान बना चुका है और साथ ही साथ कई बार जिस तरह से सामाजिक-राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य बदला है, उसमें खासतौर से आध्यात्मिक, भावनात्मक और शारीरिक परिवर्तन में बदलाव आया है। ऐसे में अगर योग में महिलाओं की पहुंच की बात की जाए, तो इसके उद्भव और विकास के बारे में अधिक शोध और अध्ययन नहीं किया गया है। उनकी उपस्थिति को आसनों के प्रैक्टिस तक के उल्लेख में ही सीमित किया गया है। अगर एक और परिदृश्य में देखेंगे तो आप पाएंगे कि महिलाओं और योग को लेकर कई गलतफहमियां भी रही हैं, जैसे योग को पश्चिम में लोकप्रियता नहीं मिली, तब तक महिलाओं ने कोई योगाभ्यास नहीं किया। इससे साफ जाहिर होता है कि योग को लेकर काफी गलतफहमियां रहीं। 

महिला और योग से जुड़ीं महत्वपूर्ण जानकारी 

भक्ति योग के उल्लेख की बात करें, तो पहली बार कृष्ण ने भगवद गीता में प्रेम और भक्ति के माध्यम से ईश्वर तक पहुंचने के एक सुलभ तरीके के रूप में किया है। योगिक परिदृश्य में इसे मजबूत और महत्वपूर्ण उपस्थिति के रूप में देखा जाता है। उदाहरण के लिए, अक्का महादेवी और मीराबाई ने क्रमशः कृष्ण और शिव के प्रति अपनी दृढ़ भक्ति में शक्तिशाली पुरुषों को चुनौती दी और कई गीतात्मक रचनाएं भी लिखीं, जो आज भी गाई जाती हैं।

योग क्रांति और महिलाएं 

अगर हम 18वीं शताब्दी के मध्य तक की बात करें, तो भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश था और कई राष्ट्रवादी स्वतंत्रता चाहते थे। ऐसे में स्वामी विवेकानन्द जैसे विचारशील नेताओं ने अपने ब्रिटिश शासकों को उखाड़ फेंकने के लक्ष्य के साथ शारीरिक रूप से मजबूत और बौद्धिक रूप से सक्षम युवाओं के विकास को प्रभावित किया। आसन अभ्यास की भी बात करें, तो अन्य शारीरिक अभ्यासों, जैसे कुश्ती, यूरोपीय जिम्नास्टिक और कलाबाजी को भी साथ-साथ करना शुरू किया गया। दिलचस्प बात यह रही कि कृष्णमाचार्य, जिन्हें आधुनिक योग का जनक माना जाता है, उन्होंने अपनी पहली महिला शिष्या को स्वीकार किया। और फिर इस दौर से कई महिला दूरदर्शी शिक्षकों (विशेषकर पश्चिम में) ने योग के हमारे अभ्यास और ज्ञान को गहराई से प्रभावित किया है। वहीं महिलाओं के अधिकारों के संबंध में बड़ी दुनिया में बदलाव को दर्शाना शुरू किया।

पहली महिला योग शिक्षिका

20 वीं शताब्दी की शुरुआत की बात करें, तो इस वक्त तक महिलाओं ने योग का अभ्यास शुरू कर दिया था और दूसरों को योग सिखाने की शुरुआत भी कर दी थी। दरअसल, महिला योग शिक्षकों की बात करें, तो  20वीं सदी की सबसे प्रभावशाली महिला योग शिक्षिका के रूप में इंद्रा देवी थीं।  इंद्रा देवी को आधुनिक योग के पितामह कृष्णमाचार्य ने योग सिखाया था। वहीं 1960 और 70 के दशक में, कई योगियों ने भारत आने की शुरुआत की। ऐसे में महिला योग ट्रेनर के रूप में नैन्सी गिलगॉफ पट्टाबी जोइस भी छात्रा बनीं योग की,  जिन्होंने महिलाओं को योग सिखाने में कृष्णमाचार्य का अनुसरण किया था। फिर 80 से 90 के दशक में महिलाएं मैसूर में योग सीखने आने लगी थीं।

 

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