बारिश और साहित्य का नाता प्रेम, विरह, उल्लास, पुनर्जन्म और प्रकृति से जुड़ा हुआ रहता है। साहित्य की दुनिया में बारिश एक तरह से कई तरह की भावनाओं का सैलाब लेकर आती है। बारिश को साहित्य में कई सारे प्रतीकों के रूम में देखा गया है। खासतौर पर प्रेम की ताजगी, विरह की पीड़ा, प्रकृति की खूबसूरती के साथ खेती की उपज और मानवीय भावनाओं की गहराई को दिखाया गया है। आइए विस्तार से जानते हैं कि साहित्य की दुनिया में बारिश पर लोकप्रिय कविताओं के जरिए।
कालिदास की मेघदूत में ‘बारिश’ का जिक्र

महाकवि कालिदास की ‘मेघदूत’ संस्कृत साहित्य की एक अमर काव्यकृति मानी जाती है। इस कविता में बारिश की व्याख्या बहुत खूबसूरती से की गई है। यहां पर बारिश का वर्णन न केवल प्रकृति की सुंदरता दिखाने के लिए किया गया है, बल्कि भावनाओं को अभिव्यक्त करने प्रतीकात्मकता और वातावरण निर्माण के लिए भी है। अपनी इस कविता में कालिदास ने बादल के आगमन का चित्रण अत्यंत कोमल और कल्पनाशील भाषा में किया है। उन्होंने बादलों को अपने प्रियजन की तरह दिखाया है। कालिदास ने मेघों से गिरती बूंदों, भूमि की गंध, नदियों के उफान और पर्वतों की हरियाली का वर्णन बेहद काव्यात्मक रूप से किया है। कालिदास ने बारिश को प्रकृति की चेतना से जोड़ा है और बताया है कि वन में नए फूल खिलते हैं। पशु-पक्षी आनंदित होते हैं और प्रेमियों के मिलन का मौसम होता है, लेकिन अपनी प्रेयसी से दूर है।
गुलज़ार की कविताएं ‘अंधेरे में भीगती बारिश’ की समीक्षा

गुलजार की लिखी हुई लोकप्रिय कविता ‘अंधेरे में भीगती बारिश’ बेहद सरल लिखी हुई है। गुलजार की खूबी यह है कि उनकी लिखी हुई कविता की साधारण होते हुए भी ऐसे अंदाज में लिखते हैं कि वे आम नहीं रह जाते हैं। उदाहरण के तौर पर देखा जाए, तो उन्होंने अपनी इस कविता में लिखा है कि बारिश में जब भीगता हूं मैं , कोई चेहरा धुल जाता है मुझसे। गुलजार की कविताओं में एक बात स्पष्ट है कि वे आपके भीतर चुपचाप उतरती है। अंधेरे में भीगती बारिश जैसी कविता उन अहसासों की बात करती है, जो अक्सर शब्दों में बयान नहीं होती है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो "अंधेरे में भीगती बारिश" गुलज़ार की उस रचनात्मक शक्ति का प्रतीक है जिसमें वे भीतर के अंधेरे को भी रोशनी की तरह इस्तेमाल करते हैं, ताकि पाठक अपने भीतर उतर सके। यह कविता (या शीर्षक) हमें यह बताती है कि कभी-कभी अंधेरे में भी रोशनी होती है, और कभी-कभी बारिश सिर्फ बाहरी नहीं होती, वो भीतर भी गिरती है।
हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘रिमझिम बरसात’ की समीक्षा

हरिवंशराय बच्चन ने अपनी कविता ‘रिमझिम बरसात’ नें उन्होंने बरसात के माध्यम से जीवन, प्रेम, प्रकृति के गहरे रिश्ते को दिखाने का सराहनीय प्रयास किया है। 'रिमझिम बरसात' में बच्चन जी ने वर्षा की हल्की फुहारों को प्रेम और जीवन के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है। वर्षा की बूँदों की रिमझिम आवाज़ में वे जीवन की अनिश्चितताओं और सुंदरताओं को महसूस करते हैं। कविता में प्रेमिका की यादें, जीवन की नीरवता और प्रकृति के साथ एकात्मता की भावना व्यक्त होती है।बच्चन जी की काव्य शैली काफी सरल है। अपनी इस कविता रिमझिम बरसात में भी उन्होंने वर्षा के माध्यम से प्रेम और जीवन को प्रस्तुत किया गया है। कविता में प्रकृति, विशेषकर वर्षा, को प्रेम और जीवन के साथ जोड़ा गया है। वर्षा की बूँदों की रिमझिम आवाज़ में प्रेमिका की यादें और जीवन की अनिश्चितता गूंजती हैं। प्रकृति के इस रूप में कवि ने प्रेम और जीवन के गहरे संबंधों को चित्रित किया है। बच्चन जी की यह कविता प्रकृति के साथ एकात्मता की भावना व्यक्त करती है।
महादेवी वर्मा की कविता ‘घटा घिर आई’ की समीक्षा

महादेवी वर्मा की कविता ‘घटा घिर आई’ प्रकृति, प्रेम और आत्मानुभूति के माध्यम से कवि अपनी गहरी भावनाओं को व्यक्त करता है। उनकी इस कविता में वर्षा के आगमन के साथ उत्पन्न होने वाली भावनाओं और वातावरण का चित्रण किया गया है। महादेवी वर्मा ने वर्षा के माध्यम से प्रेम, विरह और आत्मानुभूति और गहरी भावनाओं को व्यक्त किया है। महादेवी वर्मा की काव्य शैली अत्यंत सरल और प्रभावशाली है। उन्होंने प्रकृति के विभिन्न तत्वों का उपयोग करके मानवीय भावनाओं का चित्रण किया है। वर्षा, बादल, और आकाश जैसे प्राकृतिक प्रतीकों का उपयोग करके उन्होंने प्रेम, विरह, और आत्मानुभूति की गहरी भावनाओं को व्यक्त किया है। महादेवी वर्मा ने अपनी कविता में प्रकृति और मानवता का संबंध भी दिखाया है। महादेवी वर्मा की कविताओं में एक आध्यात्मिक नारी चेतना झलकती है। “घटा घिर आई” में एक स्त्री की गहन अनुभूति, उसका विरह, तड़प और अंतःवेदना प्रकट होती है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो यह कविता पाठक को भीतर तक स्पर्श करती है और एक गहन आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती है।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘सावन’ की समीक्षा

हिंदी साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक रामधारी सिंह दिनकर हैंं। उनकी कविताएं हमेशा राष्ट्रभक्ति और भावनाओं की तीव्रता को दिखाती है। ‘सावन" उनकी एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें प्रकृति, प्रेम और मानवीय भावनाओं का सुंदर चित्रण मिलता है। "सावन" कविता में दिनकर जी ने वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए मानवीय भावनाओं, प्रेम और विरह को गहराई से प्रस्तुत किया है। यह कविता न केवल प्रकृति के सौंदर्य का चित्रण करती है, बल्कि इसमें नायक की आंतरिक वेदना, अकेलापन और प्रेम की तीव्र अनुभूति भी समाहित है। सावन ऋतु यहाँ केवल मौसम नहीं, बल्कि स्मृतियों और भावनाओं की एक प्रतीकात्मक छवि बन जाती है। दिनकर जी ने बहुत ही सरल भाषा में इसे लिखा है। उनकी इस कविता में सांस्कृतिक और भावनात्मक गहराई भी दिखाई पड़ती है। दिनकर जी की यह रचना उनकी काव्य-प्रतिभा, भावनात्मक गहराई और प्रकृति के प्रति उनके लगाव को दिखाती है।
अज्ञेय की कविता ‘बादल को घिरते देखा है’ की समीक्षा
आधुनिक हिंदी साहित्य के लोकप्रिय कवियों में एक नाम अज्ञेय का भी है। अज्ञेय ने इस कविता के जरिए बादलों के आगमन को केवल एक दृश्य के रूप में नहीं दिखाया है, बल्कि एक अनुभव के तौर पर प्रस्तुत किया है। इस कविता में कवि एकांत यानी कि अकेले में बैठकर प्रकृति के बदलते रूपों का साक्षात्कार करता है। कवि इस कविता के जरिए बादलों को धीरे-धीरे छाने, आकाश के रंग बदलने और दूर बादलों के मंडराने की प्रक्रिया को शांत चित्त होकर देखता है। कवि इस कविता के हर शब्द में जीवन की सीख को देखता है। कविता की भाषा अत्यंत संवेदनशील है। इस कविता नें अपनी लेखनी के जरिए अज्ञेय ने बहुत कुछ महसूस कराने की कोशिश की है। बादल यहाँ केवल प्रकृति तत्व नहीं, बल्कि मन की चंचलता, भावनाओं और अनुभव की गहराई का प्रतीक हैं। घिरते बादल एक तरफ भय, अनिश्चितता और परिवर्तन का संकेत करते हैं, वहीं दूसरी ओर ध्यान, प्रतीक्षा और अनुभव के जागरण के भी प्रतीक बनते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए, तो अज्ञेय की यह कविता आधुनिक कविता की उच्चतम उपलब्धियों में से एक मानी जाती है, जो पाठक को बाहरी संसार से भीतर की यात्रा पर ले जाती है।