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क्रिसमस 2023 : जानिए पूरी दुनिया के केक, क्रिसमस, सेलिब्रेशन के कनेक्शन के बारे में

टीम Her Circle |  दिसंबर 25, 2023

क्रिसमस में गिफ्ट के साथ-साथ किसी और चीज को लेकर सबसे अधिक उत्साह होता है तो वह है केक। पूरी दुनिया में केक की अलग-अलग वेरायटी देखने और खाने को मिलती है, लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में शादियों में केक खिलाने और काटने के अलग-अलग रिवाज हैं, तो आइए जान लेते हैं कि पूरी दुनिया में केक से जुड़ी क्या-क्या संस्कृति है। 

हर एक आकार का अलग मतलब 

किसी दौर में विदेश के कई देशों में केक के अलग-अलग आकार से जुड़ीं अलग-अलग परंपराएं रही हैं। जैसे दिल के आकार का अगर केक बनाया जा रहा है, तो उसका मतलब है कि केक जिसे दिया जा रहा है, उससे आप सच्चा प्यार करते हैं, अगर केक के साथ अंगूठी भी दी गई है, तो इसका मतलब है कि जल्द ही उनकी सगाई होगी, वहीं अगर घोड़े की नाल दी जा रही है, तो इसका सीधा सम्पर्क लक से लगाया जाता है। इसी तरह, अगर केक पर पर्स बना कर दिया जाता है, तो इसका मतलब भी लक से लगाया जाता है और शादी की घंटियां अगर केक पर सजाई जाती है, तो इसका मतलब शादी के शुभ संकेत से होता है। 

ऊंचे-ऊंचे होते थे केक

पुराने दौर की बातें करें तो शादी के केक सात मंजिल के ऊंचे बनाये जाते थे। वहीं मध्यकाल में, मसालेदार बन्स को एक विशाल ढेर में रखा जाता था। ऐसी मान्यता थी कि अगर नवविवाहित कपल या जोड़े पेस्ट्री के टॉवर पर किस करेंगे, तो वे जीवन भर समृद्धि में रहेंगे। जैसे-जैसे शादी में केक की जगह फिर मिठाइयों ने ले ली। 

सफेद केक और इससे जुड़े प्रचलन 

पुराने दिनों में, लोग सोचते थे कि सफेद शादी के केक को शान्ति और सुकून का प्रतीक माना जाता था। लेकिन हकीकत तो यह है कि आइसिंग चीनी से बनी होती है, जो सफेद होती है। जैसे-जैसे समय बीतता गया, सफेद आइसिंग एक स्टेटस सिंबल बन गयी। किस दौर में केक की आइसिंग को 'रॉयल ​​आइसिंग' का नाम दिया गया था और आपको जान कर हैरानी होगी कि सन 1804 में महारानी विक्टोरिया और प्रिंस अल्बर्ट की शादी के में सफेद केक काटा गया था। 

बच्चे के नामकरण से जुड़ा प्रचलन 

पुराने समय में, शादी करने के बाद, जो भी प्रेमी युगल होते थे, वो केक का ऊपरी हिस्सा या लेयर या परत उसे फ्रिज करके रख देते थे और अपने पहले बच्चे के नामकरण के दिन उसे निकालते थे। लेकिन इस प्रथा में अब पूरी तरह से बदलाव आ चुके हैं।

फ्रांस और केक 

फ्रांस का ‘गेटो डे रोइस’ चलन यह दर्शाता है कि केक सिर्फ जन्मदिन के लिए नहीं है और खिलौने का मतलब सिर्फ बच्चों के लिए नहीं होता है। खासतौर से फ्रांस में ‘गेटो डे रोइस’ या किंग केक, जनवरी में एपिफेनी के ईसाई अवकाश के सम्मान में और बारहवीं रात (Twelfth Night celebration) के उत्सव का हिस्सा है। यहां अलग-अलग तरह के केक के प्रकार होते हैं, जिनमें पफ पेस्ट्री, चॉक्स पेस्ट्री, स्पॉन्ज केक या क्रीम और फलों से भरा मेरिंग्यू को केक का रूप दिया जाता है। केक कटने के बाद अगर ये सबसे पहले आपके हिस्से में  आएगा,तो इसका मतलब है कि आप उस पार्टी के किंग हैं। साथ ही पुर्तगाली में मीठी ब्रेड या स्वीट ब्रेड की परम्परा है। 

चीन, केक और चांद 

चीन में अगर केक से जुड़े चलन की बात करें, तो एक हजार से अधिक वर्षों पहले से चीन के लोग मध्य शरद ऋतु फसल उत्सव का जश्न मनाने के लिए मून केक खाते हैं, जहां किसी उत्सव में जब परिवार एक साथ आते हैं, तो केक बांटते हैं और साझा करते हैं, साथ ही शराब पीते हैं और कविताएं भी पढ़ते हैं और चंद्रमा को देखते हैं। परंपरागत रूप से वे केक गोल होते हैं, जिन्हें पूर्णिमा के चंद्रमा के आकार को दर्शाने का एक प्रतीक माना गया था, क्योंकि यह माना जाता था कि चंद्रमा मौसमी चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

रशिया और सूर्य (सन ) केक 

रशिया के केक बेहद अच्छे होते हैं और यहां का ट्रेडिशन भी काफी लोकप्रिय रहता है, जबकि वसंत के महीने में सूरज की वापसी का प्रतीक माना जाता है और 'सन' केक कट किया जाता है। 

एंजल फूड केक : अमेरिका 

अमेरिका में काफी दिलचस्प तरीके से केक खाने की परम्परा है। यह जानना दिलचस्प है कि किस तरह 19वीं शताब्दी से अस्तित्व में है और संभवतः पेंसिल्वेनिया डच द्वारा इसकी शुरुआत हुई थी। दिलचस्प बात यह है कि जो अंडे की जो जर्दी होती थी और बाकी नूडल्स की जो बची हुई चीजें होती थीं, उन्हें फेंट कर इसे बनाया जाता था।  यह भी जगजाहिर है कि  डच अपने खाना पकाने में विशेष पैन का उपयोग करने के कौशल के लिए भी जाने जाते थे। इसलिए वहां से इसकी शुरुआत हुई। 

स्ट्रुडेल : जर्मनी

जर्मनी की बात करें तो वहां पुराने दौर से ही स्ट्रुडेल की परम्परा रही है, इसे ग्लूटन फ्री बनाया जाता रहा है। और इसे लम्बे रोल के आकार में बांट दिया जाता है। यह अपने फाइनल रूप में पेस्ट्री वाली फीलिंग भी देता है। 

कब कहां शुरुआत 

बता दें कि भारत की सबसे पहली बेकरी दक्षिण भारत के एक छोटे से शहर में थी, तो भारत की पहली पहली बेकरी भी वहीं स्थापित हुई। इतिहासकारों के अनुसार, सबसे पहले केक बनाने की शुरुआत मिस्र के लोगों ने किया था। इसे ब्रेड और शहद से बनाया जाता था और फिर इसे पत्थरों पर इसे सेंका जाता था। फिर ग्रीक में चीज केक बनाने की शुरुआत हुई। फ्रूट केक रोम में बननी शुरू हुई। रोम में ही केक में यीस्ट डालने की शुरुआत हुई। 16 वीं शताब्दी में केक में अंडे मिलाने की शुरुआत इतालवियों ने की। 

कहां कैसे मनाया जाता है क्रिसमस 

अब क्रिसमस और केक के कनेक्शन के बारे में तो आपने जान लिया है, अब कुछ और दिलचस्प जानकारी भी आपको लेनी चाहिए कि आखिर कहां किस तरह मनाया जाता है यह त्यौहार। अगर ग्रीस की बात करें तो यहां क्रिसमस के पेड़ और नावों को सजाने का प्रचलन हमेशा से रहा है। ऐसी मान्यता है कि कई सालों पहले, क्रिसमस ट्री किंग ओटो 1833 द्वारा एक बड़ी सजी हुई नाव के बगल में लगाया गया था, जिसे परिवारों ने पारंपरिक रूप से समुद्री यात्राओं से अपने परिवार के लोगों की वापसी मान ली थी, इसलिए जश्न मनाया था।  आज भी जब आप एथेंस और थेसालोनिकी जैसे शहरों में जायेंगे तो आपको वहां पेड़ों के किनारे बड़ी जलती हुईं नावें दिखाई देंगी और यह नजारा अद्भुत होता है। जर्मनी में यह दिन खासतौर से सजे बाजार और खरीदारी के साथ मनाया जाता है। क्रिसमस के दौरान यहां लोग काफी शॉपिंग करते हैं। बाजारों में घूमते हैं और शराब पीना पसंद करते हैं। वहीं बात अगर स्विट्जरलैंड की की जाए तो क्रिसमस का आगमन, कैलेंडर सजाने के रूप में होता है। अर्जेंटीना में भी क्रिसमस काफी दिलचस्प तरीके से मनाते हैं। दरअसल, इस मौके पर अर्जेटीना में क्रिसमस के मौके पर लोग कागज के लालटेन जला कर आसमान की तरफ उड़ा देते हैं।  यह कागज के पैराशूट बलून की तरह होते हैं। रात में यह नजारा देखना और भव्य और खूबसूरत दिखता है। मेक्सिको में काफी दावतें होती हैं क्रिसमस के मौके पर। लोग एक दूसरे के घरों में जाते हैं और इस वक्त को पूरी तरह से एन्जॉय करना पसंद करते हैं, एक दूसरे को गिफ्ट देने का सिलसिला भी चलता ही रहता है।

कहां कैसे मनाया जाता है क्रिसमस 

अब क्रिसमस और केक के कनेक्शन के बारे में तो आपने जान लिया है, अब कुछ और दिलचस्प जानकारी भी आपको लेनी चाहिए कि आखिर कहां किस तरह मनाया जाता है यह त्यौहार। अगर ग्रीस की बात करें तो यहां क्रिसमस के पेड़ और नावों को सजाने का प्रचलन हमेशा से रहा है। ऐसी मान्यता है कि कई सालों पहले, क्रिसमस ट्री किंग ओटो 1833 द्वारा एक बड़ी सजी हुई नाव के बगल में लगाया गया था, जिसे परिवारों ने पारंपरिक रूप से समुद्री यात्राओं से अपने परिवार के लोगों की वापसी मान ली थी, इसलिए जश्न मनाया था।  आज भी जब आप एथेंस और थेसालोनिकी जैसे शहरों में जायेंगे तो आपको वहां पेड़ों के किनारे बड़ी जलती हुईं नावें दिखाई देंगी और यह नजारा अद्भुत होता है। जर्मनी में यह दिन खासतौर से सजे बाजार और खरीदारी के साथ मनाया जाता है। क्रिसमस के दौरान यहां लोग काफी शॉपिंग करते हैं। बाजारों में घूमते हैं और शराब पीना पसंद करते हैं। वहीं बात अगर स्विट्जरलैंड की की जाए तो क्रिसमस का आगमन, कैलेंडर सजाने के रूप में होता है। अर्जेंटीना में भी क्रिसमस काफी दिलचस्प तरीके से मनाते हैं। दरअसल, इस मौके पर अर्जेटीना में क्रिसमस के मौके पर लोग कागज के लालटेन जला कर आसमान की तरफ उड़ा देते हैं।  यह कागज के पैराशूट बलून की तरह होते हैं। रात में यह नजारा देखना और भव्य और खूबसूरत दिखता है। मेक्सिको में काफी दावतें होती हैं क्रिसमस के मौके पर। लोग एक दूसरे के घरों में जाते हैं और इस वक्त को पूरी तरह से एन्जॉय करना पसंद करते हैं, एक दूसरे को गिफ्ट देने का सिलसिला भी चलता ही रहता है।

 

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