आपके पसंदीदा डिश या फूड आयटम्स के पीछे एक खास कहानी छुपी है, आइए जानते हैं कि कैसे ये अस्तित्व में आये और इनकी क्या है कहानियां।
सांभर

सांभर दक्षिण भारत के खान-पान का अहम हिस्सा रहा है। ऐसी मान्यता है कि 17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य तंजावुर से इसका जुड़ाव महसूस किया जाता रहा है। एक किंवदंती के अनुसार यह माना जाता है कि एक रसोइये थे, जिनका नाम शाहूजी था, उन्होंने सबसे पहले इसे बनाया था। दरअसल, उन्होंने एक महाराष्ट्र के व्यंजन "अमटी" के साथ एक प्रयोग किया था। इस बारे एक दिलचस्प बात, जो और सामने आती है कि शाहूजी भोंसले (छत्रपति शिवाजी के चचेरे भाई थे और तंजावुर का मराठा साम्राज्य अपनी पाक परंपराओं के लिए जाना जाता था और वहां सांभर का कनेक्शन जुड़ा हुआ मिलता है। अमटी यानी दाल का सूप रूप के साथ एक प्रयोग किया गया और दाल में इमली डाली और कई सारी सब्जियां भी डालीं। तो इस प्रयास के दौरान, शाही रसोइया या खुद शाहूजी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी, जब इसका स्वाद चखा तो उन्हें यह काफी पसंद आया। तंजावुर में फिर शाहूजी ने संभाजी के सम्मान में इस दाल का नाम सांभर रख दिया, मतलब संभाजी का आहार" - संभाजी का भोजन) रखा। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘छावा’ के बाद यह संदर्भ और अधिक लोकप्रिय हुआ।
नाचोज
अभी नाश्ते के रूप में हम बहुत शौक से नाचोज खाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इस नाम को देने के पीछे भी एक खास कहानी है। दरअसल, इनका नाम 1943 में शेफ इग्नासियो अनाया के नाम पर रखा गया था, जिनका उपनाम 'नाचो' था। मूल रूप से, यह केवल तले हुए टॉर्टिला के रूप में थे, जिन पर कटा हुआ चेडर चीज, जलापेनो और मिर्च लगी होती थी। और जब ग्राहकों ने पकवान के नाम के बारे में पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया 'नाचो के एस्पेशियल्स' जिसे बाद में छोटा करके 'नाचोज' कर दिया गया।
सैंडविच

सैंडविच अब हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है, ऐसे में सैंडविच का नाम कैसे आया अस्तित्व में, यह जानना भी बेहद दिलचस्प है। दरअसल, इसका नाम जॉन मोंटेगू, सैंडविच के चौथे अर्ल, 18वीं सदी के एक अंग्रेज अभिजात के नाम पर रखा गया था, जो दो ब्रेड के टुकड़ों के बीच में एक स्पेशल रखना चाहते थे, ताकि वे उसके बीच में मीट रख सकें और आसानी से इसे खा सकें, इसके बाद से यह नाम फेमस हुआ।
टुंडे का कबाब
लखनऊ गए और टुंडे का कबाब नहीं खाया तो क्या खाया, लेकिन इसके नाम के पीछे भी दिलचस्प बात है। दरअसल, हैरानी की बात यह है कि इस डिश का नाम इसे बनाने वाले के नाम पर रखा गया है। उन्होंने 160 मसालों से बनी इस मुलायम और खुशबूदार डिश को एक ऐसे नवाब के लिए बनाया था, जिसके दांत नहीं थे। हाजी मुगल अली, जिसमें ‘टुंडे’ कहा जाता था, एक हाथ से कबाब बनाने में कुशल थे। उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया और ग्लौटी कबाब बनाना शुरू किया।
सीजर सलाद

दरअसल, सीजर सलाद बहुत शौक से अमेरिका और मैक्सिको में खाया जाता है और रेस्टोरेंट के मालिक इतालवी आप्रवासी सीजर कार्डिनी वास्तव में ‘सीजर सलाद’ नामक इस सलाद के जनक हैं। सन1924 में, इस व्यंजन को रसोई में बची हुई सामग्री से बनाया गया था, जो बाद में काफी हेल्दी डिश मान लिया गया।
इडली
इडली सबसे आसानी से बन जाने वाली डिश का नाम है, दक्षिण भारत का यह डिश पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुआ। दरअसल, इडली का इतिहास दिलचस्प है और जानना यह भी दिलचस्प है कि इसकी उत्पत्ति दक्षिण भारत में नहीं, बल्कि इंडोनेशिया की मानी जाती है। 8वीं से 12वीं शताब्दी के दौरान, इंडोनेशिया में केडली नामक एक व्यंजन लोकप्रिय था, जो इडली के समान था। कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि इडली अरब व्यापारियों द्वारा भारत लाई गई थी। जबकि कुछ मानते हैं कि अरब व्यापारी भारत आए और अपने साथ खमीर उठाने की तकनीक लाए, जिससे इडली का विकास हुआ, वहीं कुछ मानते हैं कि प्राचीन कन्नड़ साहित्य में "इडलीगे" नामक व्यंजन था, जो उड़द दाल के घोल से बनाया जाता था। वहीं 12वीं शताब्दी के तमिल साहित्य और संस्कृत ग्रंथों में भी उबले हुए चावल के केक के बारे में लिखा गया है।
केचप

केचप हम सबने एक बार खाया ही है, फिर चाहे वे पकौड़ियां हों या फिर कुछ और हमने हमेशा ही इन्हें बेहद खाया है। दरअसल, लोगों को लगता है कि यह अमेरिका की देन है और यह हॉट डॉग और हैमबर्गर के लिए एक बेहद लोकप्रिय टॉपिंग है और ज्यादातर हर चीज के लिए पसंदीदा डिपिंग सॉस का इस्तेमाल होता ही है, खासकर बच्चों के लिए। यह इतना लोकप्रिय है कि 97 प्रतिशत अमेरिकी घरों में आपको फ्रिज में यह रखे मिल ही जायेंगे। लेकिन केचप की उत्पत्ति वास्तव में चीनी है। केचप शब्द होक्किएन चीनी शब्द के-त्सियाप से आया है, जो कि किण्वित मछली से बना एक सॉस था और यह दक्षिण-पूर्वी चीन में बेहद लोकप्रिय था। अंग्रेजों ने इस सॉस से प्रेरणा ली और इसे घर पर बनाने की कोशिश की। फिर ईस्ट इंडीज में बेनकोलिन को इसके मूल के रूप में सूचीबद्ध किया। आखिरकार, हेनरी जे हेंज नामक ने वर्ष 1876 में उसने अपना खुद का केचप नुस्खा बनाना शुरू कर दिया।
मैगी
आपकी पंसंदीदा मैगी के बारे में खास बात जो सामने आती है कि मैगी का नाम जूलियस माइकल जोहान्स मैगी के नाम पर रखा गया है, जो पहले से पके हुए सूप और मैगी सॉस के जनक हैं। इसका उद्देश्य कामकाजी वर्ग के लिए पैकेज्ड हेल्दी फूड तैयार करना था और इसका नतीजा 1886 में मैगी रेडी-टू-यूज सूप के रूप में सामने आया। बाद में, 1983 में, भारत में इंस्टेंट नूडल्स पेश किए गए। बाद में मैगी सबकी पसंदीदा डिश बन गयी।
डोनट

बच्चों का बेहद पसंदीदा खाद्य पदार्थ है डोनट, जिन्हें खाना बेहद पसंद करते हैं बच्चे। तो डोनट नाम संभवतः आटा और नट के संयोजन से आया है, इनमें पहले छोटे गोल होते थे और कभी-कभी उनमें नट्स भी होते थे। डो-नट शब्द पहली बार 19वीं सदी की शुरुआत में प्रकाशित किया गया था और कुछ इतिहासकारों का सुझाव है कि यह नाम डच आप्रवासियों से आया था, जिन्होंने ओलीकोक्स नामक इसी तरह के तले हुए आटे के गोले बनाए थे। बाद में यह पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुआ।
बिरयानी
बिरयानी भी लोकप्रिय डिश में से एक मानी जाती रही है। इसके बारे में यह जानना दिलचस्प है कि बिरयानी शब्द फारसी शब्द बिरियन से निकला है, जिसका मतलब है पकाने से पहले तला हुआ। ऐसी कहानी कि शाहजहां की रानी मुमताज महलएक बार सेना की बैरक में गईं और उन्हें लगा कि वहां के सैनिकों का खान-पान अच्छा नहीं है। ऐसे में उन्होंने अपने रसोइये से कहा कि संपूर्ण भोजन जैसा कोई डिश बनाइए, जिससे पूरा पोषण मिले। ऐसे में यह डिश बनाई गयी।