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होम / एन्गेज / रिलेशनशिप्स / पेरेंटिंग

'मां के हाथों से चम्पी करवाने से बाल ही नहीं रिश्ते भी सुधरते हैं', जानिए क्यों जरूरी है पेरेंट्स के साथ वक्त बिताना

टीम Her Circle |  दिसंबर 05, 2023

छोटे शहर से बड़े शहर में काम या पढ़ाई के लिए जाते हुए हम यह भूल जाते हैं कि शायद हमें फिर से अपने माता-पिता के साथ उस तरह से समय बिताने का मौका नहीं मिलेगा, जिस तरह से बचपन में मिला करता था, लेकिन फिर भी जरूरी है कि आप अपने माता-पिता के साथ रहें या न रहें, आपको उनके साथ समय बिताने के रास्ते ढूंढने ही चाहिए, आइए जानते हैं विस्तार से कि माता-पिता के साथ वक्त गुजारना क्यों जरूरी होता है। 

माता-पिता हर दम नहीं रहेंगे साथ  

हमें इस बात का अनुमान शायद ही होता है कि हम अपने माता-पिता के साथ हमेशा नहीं रहेंगे या फिर यूं कह लें कि माता-पिता हमारे साथ शायद हमेशा नहीं रहेंगे। ऐसे में हम कई बार अपने पेरेंट्स से शिकायत करते रहते हैं या फिर उनकी छोटी बातों का भी बुरा मान कर कई बार नाराज होकर बैठ जाते हैं, जबकि हकीकत यह है कि हमें इस बात को भूलना ही नहीं चाहिए कि पेरेंट्स हमेशा साथ नहीं होते हैं, तो उनके लिए आप जो भी करना चाहें, कर देना चाहिए। 

त्योहारों में घर जाने की प्लानिंग करें ही 

ऐसा अक्सर होता है कि माता-पिता से दूर रह कर अगर आप रह रही हैं या नौकरी कर रही हैं तो कई बार त्योहारों के समय ऑफिस से छुट्टी नहीं मिलने पर या फिर शायद कई बार आपको महंगे टिकट्स होने या फिर ट्रेन या हवाई यात्रा के टिकट उपलब्ध न हो पाने की वजह से चाहते हुए भी न जाने की नौबत आ जाती है और साल भर जो माता पिता सोच कर बैठे रहते हैं कि बच्चे घर आएंगे ही, उन्हें त्योहार अकेले ही मनाना पड़ता है और इस बात से उन्हें काफी तकलीफ भी हो जाती है और कई बार वो हताश होकर बैठे रहते हैं। इसलिए बेहतर है कि आप पहले से हर साल घर जाने के लिए एक बजट बना लें और फिर टिकट लेते हुए अधिक परेशान होने की कोशिश न करें कि अरे, मेरे इतने पैसे खर्च होने वाले हैं, इससे आपको मानसिक रूप से भी कोई दबाव महसूस नहीं होगा और आप आराम से अपने पेरेंट्स के साथ समय बीता पाएंगे। 

उनके नखरे उठाने में हर्ज नहीं है 

यह बात स्पष्ट तो हो जाती है कि आपके पेरेंट्स को एक उम्र के बाद, छोटी-छोटी बातों का बहुत अधिक बुरा लग जाता है और वे मन पर बात लेकर बैठे रह सकते हैं, ऐसे में आप भी उन पर गुस्सा करेंगी और अपने मन में अगर यह बातें बिठा लेंगी कि हमारे पेरेंट्स बच्चों जैसी हरकतें क्यों कर रहे हैं, तो इसमें काफी परेशानी होगी और धीरे-धीरे आप और वे दोनों चिड़चिड़े हो जायेंगे, इसलिए बेहतर है कि उनकी मानसिक स्थिति और उम्र को समझते हुए आप भी उनके साथ बच्चे बनने की कोशिश करेंगे, तो वे बेहद खुश रहेंगे, इसमें आप बड़े हो चुके हैं अब, इस तरह की सोच लाने की जरूरत ही नहीं है, आपको अपने तरीके से जीने का हक़ है, लेकिन उनकी जिम्मेदारी भी आपकी है और उन्हें सिर्फ फाइनेंशियल हेल्प करने से नहीं होगा, उन्हें आपके दुलार और पुचकार की जरूरत है, तो आपको यह करना ही होगा। इसलिए इस पर अपनी अधिक ऊर्जा लगाने की बजाय एन्जॉय करें और उनकी हां में हां मिला दें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। 

तकनीकी मदद करें 

जब आप छोटी थीं और आपकी उम्र अधिक नहीं थी, उस वक्त तकनीकी रूप से आपको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि कभी आपको उन्होंने सिखाया और पूरे धैर्य के साथ सिखाया, तो अब आपका समय है कि आप उन्हें अच्छे से सिखाएं और तकनीकी कमियों का मजाक न बनाएं और उन्हें भी समय के साथ चलने के लिए मदद करें। ऐसे में न सिर्फ वो तकनीकी चीजों को सीखना शुरू कर देंगे, बल्कि आपको अपने माता-पिता के साथ वक़्त बिताने का भी मौका मिलेगा। 

करें वीडियो चैट्स 

यह सही है कि आपको काम करते हुए और व्यस्त रहते हुए कई बार फुर्सत नहीं मिलती है कि वीडियो चैट्स के लिए समय निकालें, ऐसे में हर दिन नहीं तो कम से कम हफ्ते में दो बार भी आप वीडियो चैट्स पर बात कर लेंगी, तो आपके परिवार वालों को इस बात की संतुष्टि होगी, उन्हें अपनी जिंदगी की सारी बातें बताने से भी खुशी और तसल्ली मिलेगी और यही नहीं, उन्हें इस बात की भी संतुष्टि मिलेगी कि आप अच्छे तरह से अपनी जिंदगी में मग्न हैं और खुश हैं और सुकून से हैं, पेरेंट्स को इससे ज्यादा खुशी किसी बात से नहीं मिलती है कि आप खुश रहें, तो उनकी तसल्ली के लिए ऐसा करें, अपनी मां से कभी कोई रेसिपी पूछ लें, यह सब उन्हें खुश कर देगा, कभी उनके लिए तोहफे भी भेज दें, उन्हें अच्छा लगेगा। 

नयी चीज सीखाने के लिए प्रेरणा 

इस बात का भी आपको ध्यान रखना जरूरी है कि आप अपने पेरेंट्स को हमेशा कुछ न कुछ नया करने के लिए प्रेरित करें, अगर मुमकिन हों और शाम के समय आप समय निकाल सकें, तो उनके साथ किसी क्लासेज का हिस्सा बनें और फिर खुद भी उनके साथ सीखें, तो इससे उनका मनोबल बढ़ेगा और अगर आप किसी क्लासेज में जाना नहीं चाहती हैं, तो अपने पेरेंट्स के किसी पुराने शौक में पूरा समय दीजिए, कभी उनके साथ कुछ पेंटिंग कर लीजिए, तो कभी उनके साथ म्यूजिक सीख लें या कोई इंस्ट्रूमेंट बजा लें, कभी खाना पका लें तो कभी बागवानी कर लें, यह सब आपके लिए नया करने का भी मौका होगा और अपने पेरेंट्स की रुचियों को और अधिक बढ़ावा देने के लिए भी अच्छा होगा। 

शॉपिंग या आउटिंग पर ले जाएं

कई बार एक ही तरह की जिंदगी जीने से बोरिंग हो जाती है, जाहिर है कि आपके पेरेंट्स के साथ भी ऐसा हो सकता है कि अगर उनकी जिंदगी में भी नयापन आएगा और इसके लिए जरूरी है कि आपको अपनी शॉपिंग और आउटिंग में अपने पेरेंट्स को शामिल करना चाहिए, इससे उन्हें भी अच्छा लगेगा और आपके साथ वक़्त बिताने का भी मौका मिलेगा। 

पेरेंट्स के बचपन की बातें 

आपको एक काम यह भी करना चाहिए कि अपने पेरेंट्स से उनके बचपन की बातों के बारे में सुनें, उनके कॉलेज, स्कूल, बचपन के खेल, बचपन की शैतानियां और उनकी पढ़ाई लिखाई से जुड़े जो भी किस्से या कहानियां हैं, सबमें कुछ न कुछ दिलचस्प बातें जरूर होती हैं, इसलिए उनसे जब आप ये बातें करेंगी तो उन्हें भी अपना बचपन फिर से जीने का मौका मिलेगा और आप भी अपने पेरेंट्स को एक नए नजरिये देख पाएंगी। इसलिए अपने पेरेंट्स से उनकी जुड़ीं पुरानी बातें जरूर सुना करें। 

चम्पी करवाएं 

चम्पी करवाना बालों के लिए अच्छा होता है और रिश्तों के लिए और वो भी अगर माता-पिता का साथ मिले, तो और अधिक, इसलिए कोशिश करें कि चम्पी करवाएं। इससे भी आपके पेरेंट्स के साथ आपको वक़्त बिताने का पूरा मौका मिल जाएगा और यकीनन उन्हें बेहद पसंद भी आता है कि उनके साथ आपने समय बिताया है, तो एक बार यह कोशिश करें। 

ओल्ड स्कूल कह कर मजाक न बनाएं

इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि कई बार हम ओल्ड स्कूल वाली बातें कह कर, माता-पिता को नाराज कर देते हैं और फिर मजाक बनाते हैं, जबकि यह बेहद जरूरी है कि आपको उनकी पुरानी बातें सहमति वाली न भी लगें, तब भी आप उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश हरगिज न करें और उनका मजाक बिल्कुल न बनाएं, इससे उन्हें तकलीफ ही होती है, इसलिए उनके मन को कभी दुखी न करें।

 

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