ऐसा कई बार होता है जब भी बच्चे को लेकर सारे दोष मां के सिर पर बांध दिए जाते हैं या फिर कई बार ऐसा होता है कि अगर कभी किसी महिला ने निर्णय लिया कि वह एक उम्र के बाद ही मां बनेंगी, तो इस पर भी लोग कई तरह के ताने कसते हैं, जबकि मां तो मां होती है, उन्हें कभी भी किसी भी हालात में जज नहीं किया जाना चाहिए। आइए जानें विस्तार से।
मां को न तौलें उम्र के तराजू से

एक उम्र के बाद अगर आप मां बनने का निर्णय लेती हैं, तो किसी को भी यह हक नहीं है कि वे आपको जज करें या कुछ भी बातें सुनाएं। हर एक महिला का यह अपना अधिकार होता है या होना चाहिए कि वह कब मां बनें या कब नहीं, यह पूरी तरह से उन पर निर्भर होना चाहिए, क्योंकि सबसे ज्यादा जिम्मेदारी मां की ही होती है। पिता कितना भी कहे या चाहे एक मां को ही पूरा समय इस बात पर देना पड़ता है कि मां बनने की एक बड़ी जिम्मेदारी वह पूरी करने में सक्षम है या नहीं या फिर वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार है या नहीं। ऐसा भी मुमकिन है कि कई बार किसी महिला को कुछ शारीरिक रूप से कठिनाई, हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है। ऐसे में किसी मां को यह कहना अरे, इतनी देर कर दी हो मां बनने में यह बिल्कुल ठीक नहीं। एक उम्र बनने के बाद भी मां के प्यार में कोई कमी नहीं आती है, मां तो बस मां ही होती है।
यह तो मां नहीं बन सकती ….

अमूमन हम किसी पर भी बड़ी आसानी से छींटाकशी किसी के सामने भी कर देते हैं कि अरे ! इसको तो लगता है कि बहुत गंभीर बीमारी है, यह कभी मां नहीं बनेगी या यह मां नहीं बन सकती क्या ऐसे सवाल एक महिला से कभी नहीं किये जाने चाहिए, न ही उन पर सवालिया निशान बनाना चाहिए। मां नहीं बनने के पीछे भी एक महिला के जीवन में कई सारी बातें चलती रहती हैं और उनकी मनोदशा समझना बेहद जरूरी है। इसलिए किसी महिला पर ये कमेंट बिल्कुल भद्दे कमेंट्स की तरह हैं। इसलिए इस तरह के कमेंट्स से बिल्कुल बचना चाहिए।
बहुत उम्र के बाद मां बनी है न ! साइड इफेक्ट्स दिख रहा है

ऐसा भी कई बार होता है कि अगर किसी महिला ने उम्र होने के बाद बेबी प्लानिंग की है और वह मां बनी है, तो कई बार उसे एन्जाइटी और तनाव कई चीजों से जूझना पड़ता है, कई बार वह अपने बच्चे को लेकर अतिरिक्त कॉन्सस भी हो जाती है, लोग इस बर्ताव पर भी बिना सोचे समझे अपनी राय दे देते हैं या बातें सुना देते हैं कि बहुत सालों के बाद इसको बच्चा हुआ है न, इसलिए इसको समझ नहीं आ रहा है कि बच्चे को कैसे रखना है और बच्चे को लेकर क्रेजी हो गई है, एक नयी मां को भी ये बातें बहुत चुभती हैं, इसलिए कभी भी ऐसी बातों को भूल कर भी नहीं कहना चाहिए, यह एक नेचुरल प्रक्रिया है, जो धीरे-धीरे हर महिला सीख ही लेती हैं। इसलिए उन्हें वक्त दें और अपनी सहूलियत के अनुसार ही अपने ऊपर काम करने दें, उन्हें उनके मन के मुताबिक एक स्पेस दें, ताकि वह खुद इस फीलिंग से रूबरू हों और खुद को नियमित बना सकें। उनको ताने देना उन्हें अंदर तक कचोट सकता है और तुरंत बनी मां को बेहद जरूरी है कि उन्हें भावनात्मक रूप से स्ट्रांग बन पाएं, न कि उन्हें इस तरह की चुभने वाली बातें कही जाये।
बच्चा पालने ही नहीं आता है, हम तो ऐसे पालते थे

‘बच्चा पालने ही नहीं आता है, हम तो ऐसे पालते थे’ यह वो एक वाक्य है, जो लगभग हर बुजुर्ग अपने घर की अगली जेनेरेशन जो मां बनी होती हैं, उन्हें दोहराने से गुरेज नहीं करते हैं कि हमें ही अच्छे से बच्चे को पालना आता था, तुम्हें तो कुछ आता ही नहीं है। यह एक बात है, जो मां को बहुत चुभती है, हर मां की अपनी एक जर्नी होती है और हर मां अपने अनुभव से चीजों को सीखने की और उसे अपनाने की कोशिश करती है, एक समय बाद उसे चीजें समझ में आ ही जाती हैं। साथ ही उसके लिए भी सारे अनुभव नए होते हैं, तो वे नयी चीजों को भी अपने तरीके से सीख रही होती हैं, धीरे-धीरे उसके लिए दुनिया नई हो जाती है और वे काफी कुछ सीख पाती हैं, इसलिए एक मां को यह कहना कि उन्हें बच्चे संभालना नहीं आता।
ये सारी तुम्हारी गलती है

यह एक बात भी हर मां को बार-बार सुनाई जाती है कि अगर बच्चे ने कोई भी गलती की तो सारा दोष मां को ही दे दिया जाता है कि उन्हें कुछ नहीं आता है या फिर उनकी वजह से ही बच्चे बिगड़े हैं, जबकि एक मां अपनी परवरिश में ऐसी कोई भी कसर नहीं छोड़ती हैं, लेकिन हर बार मां गलत नहीं होतीं, लेकिन जब बड़े-बुजुर्ग उन पर ताने मारते हैं, उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है और फिर वह मानसिक रूप से यह सोच बैठती हैं कि वह कुसूरवार हैं, इसलिए कोशिश यही होनी चाहिए कि एक मां को अपने बच्चे की परवरिश उनके हिसाब से करने दें, कई बार हम बच्चे के सामने भी यह कह बैठते हैं कि गलती उनकी नहीं उनकी मां की है, तो मां अपने बच्चे को अपने तरीके से समझाने की कोशिश करती हैं, तब भी कह देते हैं कि इसे कुछ नहीं आता है, तब गलती पूरी तरह से बड़ों की होती है, क्योंकि अगर बच्चे के सामने उसकी मां को दोषी ठहरा कर बच्चे की हर गलती को माफ कर दिया जायेगा, तब भी बच्चे बिगड़ेंगे और अपनी मां की इज्जत नहीं करेंगे तो यह बात भी हमेशा दिमाग में रखना चाहिए एक बच्चे के सामने कभी उसकी मां को ताने न दें।
मां खुद भी अपना क्रेडिट किसी को लेने न दें
कई बार मां लोगों से भी यह गलती होती है कि वे अपने जीवन में हमेशा दूसरों को क्रेडिट देने में रह जाती हैं, मुमकिन है कि आप फर्स्ट टाइम मां बनी हैं और आपने बहुत लोगों से मदद ली है, लोगों ने आपको सपोर्ट में हाथ दिया है, लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं कि आप दूसरों को ही सिर्फ क्रेडिट दें कि आप नहीं होती तो क्या होता, बार-बार यह न जताएं कि आपका बच्चा आप खुद पाल ही नहीं पातीं, इससे आप खुद पर ही सवालिया निशान बनाती हैं, मुमकिन है कि आप अनुभव में कम हों, लोगों ने आपकी मदद की, उनके कृतज्ञ रहें, लेकिन सारी चीजों को मानसिक और शारीरिक रूप से आपने झेला है, तो खुद को इसका क्रेडिट दें, दूसरों की नजर में खुद को एहसानमंद नहीं होने दीजिए, वरना वे ताउम्र आपको सुनाते रहेंगे या रहेंगी कि हम नहीं होते तो तेरा बच्चा नहीं पलता, जबकि हकीकत यह है कि एक बच्चे को सबसे अधिक मां की ही जरूरत होती है और यह आपसे अच्छा कोई नहीं कर सकता, इस बात को हमेशा आपको याद ही रखना है, भूलना नहीं है। कई बार हो सकता है आपको यह भी सुनने को मिले कि डिलीवरी के रूम में तो मेरा बेटा था न साथ में इसलिए आसानी से हो गया, ऐसे में यह सीधे तौर पर आप पर ताने कसना ही है और आपके एफर्ट्स को भी भूलना है, आप इस बात को हमेशा दिमाग में रखें कि आपको शक्ति एक मां की शक्ति के रूप में कुदरत ने प्रदान की है और आपसे अच्छा कोई नहीं है। अगर आप एक वर्किंग मॉम हैं और आपके नहीं रहने पर कोई परिवार का सदस्य बच्चे की जिम्मेदारी निभा रहा है, तो इसके लिए थैंकफुल होइए, लेकिन यह उनकी भी जिम्मेदारी है, तो आप सारा क्रेडिट उन्हें कभी नहीं दीजिए, क्योंकि आखिरी में एक मां ही होती हैं, जो सारी जिम्मेदारी पूरी करती हैं।