सेहत के लिए चलना यानी कि वॉक करना एक सही पर्याय माना जाता है। लेकिन क्या आप रेट्रो वॉकिंग के बारे में जानती हैं। जी हां, रेट्रो वॉकिंग के जरिए आप खुद को सेहतमंद करने की तरफ आगे बढ़ा सकती हैं। रेट्रो वॉकिंग एक अनोखी और प्रभावी व्यायाम का तरीका है। रेट्रो वॉकिंग का मतलब होता है, पीछे की तरफ चलना। यह सामान्य चलने से काफी अलग होता है और साथ ही शरीर के विभिन्न हिस्सों को भी सक्रिय करता है। आप रेट्रो वॉकिंग को खेल की तरह भी ले सकती हैं। रेट्रो वॉकिंग एक सरल, लेकिन प्रभावी तरीका है जिससे आप न केवल अधिक कैलोरी बर्न कर सकते हैं, बल्कि अपने शरीर के बैलेंस, मसल कंट्रोल और मानसिक सतर्कता को भी बढ़ा सकते हैं। यदि इसे नियमित वॉकिंग और सही डाइट के साथ जोड़ा जाए, तो वजन घटाने में यह काफी कारगर हो सकता है। आइए जानते हैं इसके फायदे और नुकसान।
रेट्रो वॉकिंग के जरिए अधिक कैलोरी घटाना विस्तार से

रेट्रो वॉकिंग को रिवर्स वॉकिंग भी कहा जाता है। रेट्रो वॉकिंग सामान्य पैदल चलने की तुलना में प्रति मिनट लगभग 40 प्रतिशत अधिक कैलोरी जलाता है। यह शरीर को अधिक ऊर्जा खर्च करने के लिए प्रेरित करता है। इससे आपको अपना वजन संतुलन रखने में भी सहायता मिलती है। इस अभ्यास के जरिए आप अपना मेटाबॉलिज्म भी सुधार सकती हैं। इस अभ्यास के जरिए आपकी मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। यह अभ्यास घुटनों और अन्य जोड़ों पर कम दबाव डालता है, जिससे जोड़ों में दर्द या सूजन की समस्या में राहत मिल सकती है। इसके साथ ही वॉकिंग के जरिए आप खुद को मानसिक तौर पर भी फिट रख सकती हैं। ध्यान दें कि अगर आप इंक्लाइन यानी कि ढलान पर या फिर ट्रेडमिल पर धीमी गति से पीछे की ओर चलती हैं, तो यह और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जिससे कैलोरी बर्न रेट और भी बढ़ जाता है। जानकारों के अनुसार आप अपने वजन के अनुसार अपनी कैलोरी को घटा और बढ़ा सकते हैं। 60 किलो का व्यक्ति अगर 30 मिनट रेट्रो वॉकिंग करता है, तो 180 से 2010 कैलोरी बर्न करता है। 70 किलोग्राम का व्यक्ति अगर 30 मिनट चलता है, तो 210 से 240 कैलोरी को बर्न करता है। 80 किलोग्राम का व्यक्ति रेट्रो वॉक के जरिए 240 से 270 कैलोरी के बीच घटा सकता है। हालांकि आपको जरूरी हालातों में रेट्रो वॉकिंग नहीं करनी चाहिए। खासकर उस वक्त जब बैलेंस की समस्या हो, घुटने या फिर पैर में दर्द हो। अगर आपको चक्कर या फिर वर्टिगो की भी समस्या है, तो आपको रेट्रो वॉकिंग नहीं करनी चाहिए।
जोड़ों के लिए कैसे होगा फायदेमंद रेट्रो वॉकिंग

हम आपको यह बता चुके हैं कि जोड़ों के लिए रेट्रो वॉकिंग काफी फायदेमंद होता है। चलने से पैरों की मसल्स मजबूत बनती है। यह एक तरह से जोड़ों के लिए एक प्रभावी और सुरक्षित व्यायाम है, जो विशेष रूप से घुटनों और कूल्हों के दर्द से राहत प्रदान करने में सहायक है।रेट्रो वॉकिंग में सामान्य वॉकिंग की तुलना में अधिक मानसिक एकाग्रता की आवश्यकता होती है, जिससे संतुलन और समन्वय में सुधार होता है। यह विशेष रूप से वृद्ध व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह गिरने के जोखिम को कम करता है। हालांकि अगर आप किसी भी तरह के पैर या फिर जोड़ों के दर्द से परेशान है, तो रेट्रो वॉकिंग एक प्रभावी और सुरक्षित व्यायाम हो सकता है। लेकिन इसके लिए आपको एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें। बिना डॉक्टर के सलाह को आपको पैर दर्द की दिक्कत के बीच रेट्रो वॉकिंग शुरू नहीं करनी चाहिए। क्योंकि किसी भी नए न्यायाम को शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य में रेट्रो वॉकिंग के फायदे

मानसिक तनाव को कम करने के लिए भी रेट्रो वॉकिंग काम करता है। इसमें संपूर्ण ध्यान और संतुलन की आवश्यकता होती है, जिससे मानसिक परेशानी कम होती है और मानसिक स्थिति में सुधार होता है। इस अभ्यास से मानसिक तनाव और चिंता में कमी आती है। इसमें संतुलन बनाए रखना और नए तरीके से चलना मानसिक साहस को बढ़ाता है, जिससे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यह मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास में सुधार करता है। यदि आप खुद को दिमागी तौर पर रिलेक्स करना चाहते हैं, तो आप रेट्रो वॉकिंग कर सकती हैं।
रेट्रो वॉकिंग के नुकसान विस्तार से

रेट्रो वॉकिंग करने के दौरान आपको चलने में सावधानी रखनी है। अगर समतल जगह नहीं है, तो आपको ध्यान से देखते हुए चलना है। अगर आप इस पर ध्यान नहीं देंगी, तो गिरने का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर पर जिन लोगों को पैरों की समस्या है, उन्हें चलने के दौरान अधिक ध्यान देना है। जानकारों का कहना है कि रेट्रो वॉकिंग से हैमस्ट्रिंग्स, ग्लूट्स और काफ मसल्स पर अधिक दबाव पड़ता है। यदि मांसपेशियों की लचीलापन कम है या अत्यधिक प्रयास किया जाता है, तो खिंचाव या चोट का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही अगर आपको घुटने में दर्द की समस्या है, तो भी आपको निगरानी में आराम के साथ रेट्रो वॉकिंग करनी चाहिए। घुटने के पुराने दर्द या ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्तियों को इस अभ्यास से पहले चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। रेट्रो वॉकिंग में सामान्य चलने की तुलना में गति कम होती है। यदि किसी को समय की पाबंदी है या अधिक दूरी तय करनी है, तो यह अभ्यास समय लेने वाला हो सकता है।
रेट्रो वॅाकिंग के दौरान सावधानी कौन सी होनी चाहिए विस्तार से

हमेशा रेट्रो वॉकिंग के लिए सही और सुरक्षित जगह का चुनाव करें। शुरुआत में कम समय और गति से अभ्यास करें, और धीरे-धीरे समय और गति बढ़ाएं। संतुलन बनाए रखने के लिए हाथों का उपयोग जरूर करें। समतल और रुकावट रहित स्थान से खुद को दूर रखें। साथ ही अगर आपको किसी प्रकार की शारीरिक समस्या है, तो इस अभ्यास को शुरू करने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर लें। रिवर्स वॉकिंग करते समय अपने आस-पास की स्थिति पर ध्यान दें। यदि संभव हो, तो किसी साथी के साथ अभ्यास करें जो आपकी मदद कर सके। जब भी आप रेट्रो वॉकिंग शुरू करें, तो हमेशा धीरे-धीरे करें और फिर अभ्यास के बाद अपनी गति को बढ़ाए। इस अभ्यास के लिए आपको सावधानी और संयम दोनों की जरूरत होती है। भीड़ वाली जगह पर रेट्रो वॉकिंग नहीं करनी चाहिए। शुरुआत में किसी के साथ ही रेट्रो वॉकिंग करनी चाहिए। अगर आपको रेट्रो वॉकिंग की समस्या है, तो पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। साथ ही पैरों में अच्छी ग्रिप वाले जूते भी पहननी चाहिए।
रेट्रो वॉकिंग के नियम
रेट्रो वॉकिंग के दौरान 5 से 10 मिनट के लिए धीमी और संतुलित चाल रखें। अपनी गति और संतुलन के अनुसार धीरे-धीरे समय को बढ़ाएं। कुशनिंग देने वाले जूते का इस्तेमाल करें। इससे पैर को मुड़ने या फिर फिसलने का खतरा कम रहता है। वॉक करते समय हमेशा अपने शरीर को सीधा रखें और झुके नहीं। हमेशा अपनी गर्दन को हल्का मोड़कर पीछे की दिशा पर रखें। चलते समय बीच-बीच में पीछे मुड़कर देखें या फिर किसी साथी की मदद लें। अगर आगे कुछ भी आने का अंदेशा हो, तो तुरंत रुक जाएं।