img
हेल्प
settings about us
  • follow us
  • follow us
write to us:
Hercircle.in@ril.com
terms of use | privacy policy � 2021 herCircle

  • होम
  • कनेक्ट
  • एक्स्क्लूसिव
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प

search

search
all
communities
people
articles
videos
experts
courses
masterclasses
DIY
Job
notifications
img
Priority notifications
view more notifications
ArticleImage
होम / एन्गेज / संस्कृति / पॉप-कल्चर

विश्व नृत्य दिवस : जानें इतिहास और इस दिन के महत्व को

टीम Her Circle |  अप्रैल 29, 2024

जीवन में नृत्य एक अद्भुत कला है, जो इस विधा में माहिर है, वह जिंदगी के एक खूबसूरत हिस्से को जी रहा होता है, तो अंतर्राष्ट्रीय दिवस के बहाने आइए जान लेते हैं नृत्य की दुनिया की खास विधाओं को और इस दिन के महत्व के बारे में भी विस्तार से। 

क्या है इस दिन का महत्व

प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को यह दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है। दरअसल, विश्व नृत्य दिवस की शुरुआत 1982 में हुई थी और इसकी शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय नृत्य परिषद द्वारा की गई थी। अंतर्राष्ट्रीय नृत्य परिषद एक गैर-लाभकारी संगठन है। साथ ही आपको इसके बारे में यह भी जानकारी होनी चाहिए कि यह संयुक्त राष्ट्र के महत्वपूर्ण शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन, जिसे हम यूनेस्को के नाम से ही जानते हैं, उसका ही एक हिस्सा है। विश्व नृत्य दिवस का उद्देश्य नृत्य जैसी कला को एक बड़ा और व्यापक रूप देना है और साथ ही समाज में नृत्य के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ नृत्य कला का भी समर्थन करना और प्रोत्साहन देना है। आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस को मनाने या सेलिब्रेट करने के लिए 29 अप्रैल के लिए चुना गया, क्योंकि इसके पीछे एक अच्छी और कलमात्मक वजह है, जी हां,  क्योंकि इस दिन इंनोवोर और इस कला के विद्वान और आधुनिक बैले की शुरुआत करने वाले महान और मशहूर कलाकार जीन जॉर्जेस नोवरे का जन्मदिन है, आपको यह भी बता दें कि नावेरा फ्रांस के एक पारंगत बैले डांसर थे, जिन्‍होंने नृत्य पर ‘लेटर्स ऑन द डांस’ नाम की एक किताब भी लिखी थी, जिसमें नृत्य कला से जुड़ी कई चीजें मौजूद हैं। इसे पढ़ने पर आपको यह महसूस होगा कि आप नृत्य कर रहे हैं।  

ये हैं विश्व की खास महिला डांसर्स 

 

आपको बता दें कि नतालिया ओसिपोवा एक रूसी बैलेरीना हैं, जिन्हें सबसे करिश्माई और एथलेटिक डांसर के रूप में जाना जाता है। इनकी खास बात यह है कि ये पारंपरिक भूमिकाएं दर्शाती हैं और फिर नृत्य को दर्शाती हैं, इनके लाइव एक्सपेरिएंस देखना अपने आप में एक अद्भुत अनुभव माना जाता है। अगर बात मार्गोट फोन्टेन की करें, तो मार्गोट फोन्टेन यकीनन अब तक की सबसे प्रसिद्ध अंग्रेज बैले नृत्यांगना हैं। उन्होंने अपना पूरा करियर रॉयल बैले के साथ बिताया है और इस वजह से ही इस महान डांसर को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा प्राइमा बैलेरीना एसोलुटा नियुक्त किया गया था। विश्व के मशहूर डांसर्स की फेहरिस्त में सिल्वी गुइल्म का भी नाम आता है गौरतलब है कि सिल्वी गुइल्म एक फ्रांसीसी डांसर हैं , जिन्हें 19 वर्ष की असाधारण कम उम्र में ओपेरा नेशनल डी पेरिस में एटोइल नर्तकी नियुक्त किया गया था। उनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने शास्त्रीय बैले में क्रांति ला दी थी और एक नई तरह की क्लासिकल बैलेरीना की शुरुआत की। अगर बात अन्ना पावलोवा की की जाए, तो अब तक की सबसे प्रसिद्ध बैलेरिनाओं में से एक हैं। उनकी खासियत यह थी कि इंपीरियल रूसी बैले और बैले रसेस की एक प्रमुख कलाकार थीं। वह द डाइंग स्वान की भूमिका निभाने के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं और दुनिया भर में दौरा करने वाली पहली बैलेरीना बनीं। जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का दौरा किया तो उनके सम्मान में एक मिठाई भी बनाई गई। अगर बात  मार्था ग्राहम की की जाए, तो अमेरिकी नृत्य शैली को भी उन्होंने खास बनाया था। दरअसल, वह एक अमेरिकी डांसर और कोरियोग्राफर थीं। और उनको इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने अमेरिकी नृत्य को नया आकार दिया। अगर बात कारमेन अमाया की की जाये तो वह बार्सिलोना में पैदा हुई थीं और वह एक स्पेनिश रोमानी फ्लेमेंको डांसर और गायिका थीं। उन्हें ‘महानतम फ्लेमेंको डांसर’ के रूप में जाना जाता है। वह फुटवर्क में महारत हासिल करने वाली पहली महिला फ्लेमेंको डांसर थीं।

भारत के सांस्कृतिक नृत्य 

अगर भारत के सांस्कृतिक नृत्यों की बात करें, तो तमिलनाडु में होने वाला भरतनाट्यम नृत्य खास माना जाता है। इसके अगर उद्भव की बात करेंगे, तो मंदिरों को समर्पित देवदासियों की नृत्य कला से उपजा है, यह एक तरह का एकल नृत्य फॉर्म है, आपको यह भी जानकर आश्चर्य होगा कि भरतनाट्यम भारत का सबसे पुराना शास्त्रीय नृत्य है। और  यह शास्त्रीय नृत्य भरत के नाट्यशास्त्र पर आधारित है। वहीं अगर कथक नृत्य की बात करें, तो यह उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मध्य प्रदेश और भारत के पश्चिमी और पूर्वी भागों में भी किया जाता है। खासतौर से बनारस, जयपुर और लखनऊ में अलग-अलग अंदाज में इस नृत्य को किया जाता है। अगर बात कथकली की करें, तो यह मलयालम के मुख्य नृत्यों में से एक हैं। इस नृत्य में रामायण और महाभारत की कहानियां नृत्य के माध्यम से दिखाए जाते हैं, कुचिपुड़ी भी भारत के एक महत्वपूर्ण नृत्यों में से एक है। कुचिपुड़ी शास्त्रीय नृत्य का उद्गम मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ है और यह 7 वीं शताब्दी के आरम्भ में भक्ति आंदोलन के रूप में परिणाम स्वरूप अस्तित्व में आया। इनके अलावा, मोहिनीअट्टम, सत्रीया नृत्य और मणिपुरी नृत्य भी महत्वपूर्ण नृत्यों में से एक हैं। 

उत्तर-पूर्व के नृत्य

अगर हम उत्तर-पूर्व के नृत्य की बात करेंगे, तो असम में ऐसे कई नृत्य हैं, जो प्रचलित हैं, जिनमें से बिहू भी खास है, इस नृत्य से जुड़ी सबसे अहम बात यह होती है कि इस नृत्य को साल में तीन बार प्रदर्शित किया जाता है। इसे पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा किया जाता है और नर्तक पारंपरिक रंगीन असमिया परिधान पहनते हैं।  यह नृत्य बेहद तीव्र गति से किया जाता है। इसके अलावा, झुमरा भी एक लोकप्रिय लोक नृत्य है। भाओना भी काफी शौक से किया जाता है। अरुणाचल प्रदेश के लोकप्रिय नृत्यों में से एक है पोपिर। यह अरुणाचल  प्रदेश के सियांग जिले की आदिम जनजाति द्वारा किया जाने वाला कर्मकांड  संबंधी नृत्य है। साथ ही साथ नागालैंड के बैम्बू नृत्य को देखने भी दूर-दूर से लोग आते हैं, यह भी बेहद खूबसूरत नृत्यों में से एक है।

ये हैं भारत की लोकप्रिय महिला डांसर्स

भारत की अगर लोकप्रिय क्लासिकल महिला डांसर्स की बात की जाये, तो सबसे पहले नाम रुक्मिणी देवी का आता है, उन्हें भरतनाट्यम नृत्य की सबसे मशहूर डांसर के रूप में जाना जाता है। वह सबसे शानदार कलाकारों में से एक मानी जाती हैं। वह अपने क्षेत्र में बड़ी महारथी के रूप में जानी जाती थी। भारतीय डांसर के रूप में मृणालिनी साराभाई का नाम भी काफी सम्मान से लिया जाता है। बता दें कि मृणालिनी साराभाई भरतनाट्यम और कथकली नृत्य दोनों में निपुण थीं। वह पुरुष-प्रधान नृत्य शैली कथकली सीखने और प्रदर्शन करने वाली पहली महिला थीं, इसलिए उनका नाम नृत्य के क्षेत्र में एक हस्ताक्षर है। एक खास बात यह भी है कलामंडलम कल्याणिकुट्टी अम्मा को इसलिए भी याद किया जाता है, क्योंकि उन्होंने मोहिनीअट्टम जैसी शास्त्रीय नृत्य शैली को विलुप्त होने के कगार से वापस लाने के लिए पूर्ण रूप से संघर्ष किया। इनके अलावा, शोभना नारायण और यामिनी कृष्णमूर्ति जैसी कई महिलाएं हैं, जिन्हें शास्त्रीय नृत्य को एक पहचान दिलायी।

शेयर करें
img
लिंक कॉपी किया!
edit
reply
होम
हेल्प
वीडियोज़
कनेक्ट
गोल्स
  • © herCircle

  • फॉलो अस
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प
  • हमें जानिए
  • सेटिंग्स
  • इस्तेमाल करने की शर्तें
  • प्राइवेसी पॉलिसी
  • कनेक्ट:
  • email हमें लिखें
    Hercircle.in@ril.com

  • वीमेंस कलेक्टिव

  • © 2020 her circle