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होम / एन्गेज / संस्कृति / पॉप-कल्चर

विश्व चॉकलेट दिवस स्पेशल: चॉकलेट से जुड़ी प्यारी मिठास की संस्कृति

टीम Her Circle |  जुलाई 04, 2025

चॉकलेट से भला कौन प्यार नहीं करता। चॉकलेट की मिठास हर किसी के बचपन में यादें जोड़ती हैं। बचपन में जहां मां से हम चॉकलेट खरीदने के लिए पैसे मांगते हैं, वहीं बड़े होकर विदेश से आने वाले अपने दोस्त से भी हम चॉकलेट ही मंगवाते हैं। शायद यही वजह है कि चॉकलेट के प्रेम भरी मिठास से कोई मुंह नहीं मोड़ सकता है। चॉकलेट की इसी लोकप्रियता को देखते हुए हर साल 7 जुलाई को विश्व में चॉकलेट दिवस मनाया जाता है। यह दिन न केवल इस स्वादिष्ट मिठास को सेलिब्रेट करने का अवसर है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे चॉकलेट एक सांस्कृतिक, भावनात्मक और ऐतिहासिक प्रतीक बन चुका है। हर रिश्ते के साथ भारतीय खान-पान की संस्कृति में भी चॉकलेट ने अपनी एक खास जगह बना ली है। आइए जानते हैं विस्तार से।

जानें क्या है चॉकलेट का इतिहास

उल्लेखनीय है कि चॉकलेट का जन्म मध्य अमेरिका की सभ्यताओं और खासतौर से माया और एज्टेक के लोगों से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कोको बीजों को देवों का तोहफा माना और उससे बनी कड़वी पेय को पूजा और औषधि में उपयोग में लाया। कोको बीज इतना मूल्यवान था कि इसका इस्तेमाल मुद्रा के तौर पर भी किया जाता था। इसके बाद 16 वीं शताब्दी में स्पेनिश विजताओं ने कोको को यूरोप लेकर आ गए। उसमें चीनी व दूध मिलाकर उसे स्वादिष्ट चॉकलेट में बदल दिया। इसके बाद चॉकलेट धीरे-धीरे पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गई और आज इसने अपनी पहचान विश्व स्तर पर बनाई है।

चॉकलेट से जुड़ी मिठाई की संस्कृति

चॉकलेट सिर्फ एक मिठाई का रूप नहीं है, बल्कि भावनाओं की मीठी नदी है। बच्चों की मुस्कान से लेकर भाई-बहन के रिश्ते की मिठास भी चॉकलेट से आती है। प्रेमियों के बीच के मधुर संबंध की बात हो या फिर कुछ मीठा हो जाए का स्वाद हो, यह सारे रास्ते चॉकलेट की गली से ही होकर गुजरते हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि दुनिया में चॉकलेट एक ऐसी संस्कृति बन चुकी है, जो कि हर उम्र, हर जाति और हर भाषा के पार जाकर अपना जुड़ाव और मिठास को फैलाती है। चॉकलेट की मिठास की संस्कृति में सबसे पहले प्रेम का भाव आता है। वैलेंटाइन्स डे हो या एनिवर्सरी, चॉकलेट सबसे सुंदर और मीठा तोहफा माना जाता है। यह सिर्फ एक उपहार नहीं, बल्कि ‘मैं तुम्हें याद कर रहा हूं’, ‘मुझे तुमसे प्यार है’, या ‘मैं माफी चाहता हूं’ जैसी अनकही बातों को कहने का तरीका बन गया है।

बचपन का प्यार से रिश्ते की मिठास तक

बचपन में चॉकलेट को पाना किसी लग्जरी लाइफ को जीना होता था। किसी दोस्त से साझा की गई चॉकलेट या मां के हाथ से मिली एक छोटी-सी मिठाई या ये सब यादों में हमेशा मिठास घोलते हैं। साथ ही ईद, दिवाली और होली जैसे त्योहारों पर मिठाई में भी चॉकलेट का पर्याय मिल जाता है, जो कि दिखाता है कि आपस में साझा किए गया चॉकलेट हमारे सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करने का एक माध्यम बन चुकी है। इतना ही नहीं सेहत के लिए भी कई बार चॉकलेट को सही माना जाता है। अगर संतुलित मात्रा में ली जाए तो डार्क चॉकलेट स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती है। यह तनाव कम करने, दिल की सेहत सुधारने और मूड बेहतर बनाने में सहायक होती है। इसलिए इसे ‘गिल्ट-फ्री मिठाई’ भी कहा जाता है। यह भी माना गया है कि अगर हम चॉकलेट का आनंद लेने की कला को समझदारी से अपनाते हैं, तो यह हमारी सेहत के लिए अच्छा माना गया है। लेकिन यह भी जान लें कि अत्यधिक चीनी और फैट से इसमें खामियां भी पैदा हो जाती है। इसलिए जरूरत से अधिक चॉकलेट का सेवन नहीं करना चाहिए।

विश्व में लोकप्रिय चॉकलेट

विश्व में चॉकलेट की कई तरह की लोकप्रियता है। स्विट्जरलैंड में सबसे अधिक मिल्क चॉकलेट पसंद की जाती है, जो कि अच्छी गुणवत्ता के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय है। बेल्जियम में प्रालाइन और आलू चॉकलेट के लिए जाना जाता है। मैक्सिको में पारंपरिक मसाले जैसे मोल सॉस के प्रयोग से पारंपरिक चॉकलेट बनाया जाता है। जापान में मैचा, वसाबी फ्लेवर्ड चॉकलेट को सबसे अधिक पसंद किया जाता है। भारत में बीन-टू-बार, हॉट चॉकलेट को सबसे अधिक पसंद किया जाता है।

भारतीय त्योहारों में चॉकलेट की भूमिका

पहले जहां बहनें भाइयों को घर की बनी मिठाई भेजती थीं, अब चॉकलेट गिफ्ट बॉक्स आम हो गए हैं। कई कंपनियां अब "फेस्टिवल एडिशन चॉकलेट" बनाती हैं—गोल्ड फॉयल, राखी थाली, दीपावली ग्रीटिंग्स के साथ, जहां चॉकलेट को गिफ्ट के तौर पर रखा जाता है। इसके अलावा चॉकलेट के लिए सबसे लोकप्रिय समय वैलेंटाइन्स डे और फ्रेंडशिप डे बन जाता है। युवा वर्ग पारंपरिक मिठाई की बजाय चॉकलेट को पसंद करता है, खासकर हार्ट-शेप बॉक्स या पर्सनलाइज्ड चॉकलेट। इसके अलावा, ईद, क्रिसमस और गुरुपर्व के दौरान भले ही सेवईं और केक जैसे परंपरागत पकवान हों, लेकिन चॉकलेट गिफ्ट हैंपर अब हर तरह के भारतीय त्योहारों का हिस्सा बन गए हैं।

चॉकलेट पर किसी शहर का नाम 

स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख शहर को दुनिया की चॉकलेट राजधानी माना जाता है। इसके अलावा अन्य लोकप्रिय शहरों पर गौर किया जाए, तो बेल्जियम भी चॉकलेट के लिए लोकप्रिय है। हर्शी चॉकलेट का जन्म अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में हुआ है। इटली का टोरो शहर भी चॉकलेट के लिए मशहूर है। भारत में ऊटी को अक्सर चॉकलेट का शहर कहा जाता है। यहां की हैंडमेड चॉकलेट पूरे भारत में प्रसिद्ध है, खासकर डार्क, मिल्क, फ्रूट एंड नट, और मसाला फ्लेवर। कई सारे बीन-टू-बार चॉकलेट बेंगलुरु में मिल जाते हैं। इसे प्रीमियम चॉकलेट का बड़ा बाजार भी कहा जाता है। महाराष्ट्र के मुंबई में फ्यूजन चॉकलेट मिठाइयां सबसे अधिक पाई जाती हैं। दिल्ली का एनसीआर खास तौर पर चॉकलेट गिफ्टिंग, कैफे और बुटीक चॉकलेट ब्रांड्स के लिए लोकप्रिय है।

भविष्य में चॉकलेट का बदलता रूप शुगर फ्री से लेकर प्लांट तक

यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि बदलते वक्त के साथ चॉकलेट को भी सेहतमंद किया जा रहा है। चॉकलेट से परहेज न करते हुए कई लोग ऐसे पर्याय की तरफ आगे बढ़ रहे हैं, जहां पर चॉकलेट का स्वाद भी बरकरार रहे और इसका सेहत पर कोई असर भी न पड़े। इस वजह से लोग कम शुगर या बिना शुगर वाले विकल्पों की तरफ अपने हाथ आगे कर रहे हैं। चॉकलेट में शुगर को रिप्लेस करने के लिए स्टीविया यानी कि प्राकृतिक शुगर का इस्तेमाल किया जाता है। गुड़ और खजूर की प्यूरी के साथ ड्रायफूट्स को मिलाकर बिना शुगर के चॉकलेट बनाए जा रहे हैं। बच्चों के लिए रागी, ज्वार और मिलेट्स के कई सारे पर्याय को मिलाकर खजूर के पाउडर के उपयोग के साथ बनाया जा रहा है। इससे बच्चों की चॉकलेट खाने की मांग पर भी सेहतमंद तरीके से हामी भरी जा सकती है।

चॉकलेट और पारंपरिक मिठाई का मेल

यह मान लें कि चॉकलेट और पारंपरिक मिठाई का मेल त्योहारों के मामले में नवीन फ्यूजन ट्रेंड बन गया है। इसमें सबसे लोकप्रिय चॉकलेट लड्डू है, जो कि बेसन या फिर नारियल लड्डू में चॉकलेट का फ्लेवर मिलाकर बनाया जाता है। इसके साथ चॉकलेट बर्फी भी काफी लोकप्रिय है, जिसे खोया और काजू में डार्क चॉकलेट मिलाकर इसे तैयार किया जाता है। यहां तक गुलाब जामुन और रसगुल्ला में भी चॉकलेट मिलाकर पारंपरिक गुलाब जामुन और रसगुल्ले को चॉकलेट का टच दिया जाता है। यहां तक बंगाल की लोकप्रिय संदेश को भी चॉकलेट के साथ मिलाकर बनाया जाता है।

 

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