मानसिक स्वास्थ्य और नर्सिंग का काम एक-दूसरे से जुड़े हैं। जाहिर सी बात है कि अस्पताल में नर्स की भूमिका सबसे अहम होती है। किसी भी मरीज की मदद के लिए नर्स उनका सबसे बड़ा सहारा होती हैं। कई बार ऐसा होता है कि नर्स को आपातकाल स्थिति में 24 घंटे काम करना होता है। उनके काम में वक्त की कीमत इतनी अधिक है कि सभी नर्स को शिफ्ट के हिसाब से कार्य करना होता है। अस्पताल के वातावारण में मरीजों के बीच रहते हुए अपने कार्य को संभालने के लिए नर्सों के लिए सबसे जरूरी मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना है। आइए विस्तार से जानते हैं कि कैसे नर्स अपनी मानसिक सेहत का ध्यान रखती है।
मरीजों की देखभाल के लिए मानसिक स्वास्थ्य
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कोरोना महामारी के बाद से दुनिया में नर्स की अहमियत बढ़ी है। बिना अपने घर गए हुए कई हजारों नर्स ने कोविड के दौरान लगातार मरीजों की देखभाल की है, जिसका असर उनकी मानसिक सेहत पर भी पड़ा है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि कई नर्स के मानसिक स्वास्थ्य और मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता के बीच संबंध होता है। यह बेहद जरूरी है कि मरीज की देखभाल से पहले नर्सों का मानसिक स्वास्थ्य अच्छी अवस्था में हो, वरना इसका असर उनके काम के साथ मरीजों की सेहत और देखभाल पर भी पड़ सकता है।
खुद की देखभाल की योजना बनाना
जानकारों का मानना है कि नर्सों को काम के दबाव के बीच अपनी मानसिकत सेहत का ध्यान रखना उनके जरूरी कामों में से एक होना चाहिए। सप्ताह में एक दिन की छुट्टी भी इसमें शामिल है। यह भी माना गया है कि नर्सों को अपने अवकाश के दिन टीवी और मोबाइल में व्यस्त रहने के बजाए परिवार और दोस्तों के साथ संबंध को और गहरा करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
महिला मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी
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मुंबई के एक अन्य अस्पताल की नर्स वंदना काले मानती हैं कि उनके होने से महिला मरीजों को कठिन हालातों में हिम्मत मिलती है। अपना अनुभव साझा करते हुए वो कहती है कि नर्स के क्षेत्र में मेरा अनुभव 17 साल का है।अस्पताल में ही नहीं बाहर भी आपात स्थिति में हम मौजूद रहते हैं। कोरोना महामारी के दौरान हमने 24 घंटे काम किया है। महिला मरीज के लिए हम अपनी ड्यूटी से अधिक करने की कोशिश में रहती हैं। कई बार पुरुष डॉक्टर के सामने महिला मरीज असहज या घबरा जाती हैं। ऐसे में हमें देखकर उन्हें हौसला मिलता है।
मानसिक सेहत के लिए मेडिटेशन
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वंदना ने आगे अपनी मानसिक सेहत की देखभाल को लेकर कहा कि अपनी मानसिक सेहत को ठीक रखने के लिए हम मेडिटेशन सबसे अधिक करना पड़ता है। योग भी काफी अच्छा रहता है मानसिक सेहत के लिए, लेकिन मेडिटेशन से मानसिक और शारीरिक तौर पर अधिक आराम मिलता है। हमारे काम में तनाव रहता ही है। मरीजों का ध्यान देना, उनकी दवाई के समय का ध्यान रखने के साथ आपात स्थिति में हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। कई सारे मरीजों की देखभाल वार्ड के हिसाब से हमें करनी होती है। ऐसे में हमारा ध्यान इस बात पर रहता है कि खुद की सेहत को अनदेखा नहीं करना। अस्पताल के तनाव और काम की थकान को मेडिटेशन ( ध्यान) के जरिए कम करने की कोशिश करते हैं।
मरीजों से मिलता साहस
अपने निजी जीवन का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि जब घर में किसी तरह का तनाव होता है, तो अस्पताल हमारे लिए तनाव कम करने की जगह होता है। हम अस्पताल में जाकर मरीज की तकलीफ देखकर अपनी निजी समस्या को भूल जाते हैं। मरीज के दुख और परेशानी को देखकर हम उसका हिस्सा बन जाते हैं। इस तरीके से निजी और प्रोफेशनल जीवन में हम अपने तनाव को संतुलित करते हैं।