सिर्फ हमारे देश में ही नहीं, हर देश में डॉक्टर्स या मेडिकल फिल्ड से जुड़े लोगों का रूतबा काफी बड़ा होता है। ऐसे में हर पैरेंट्स यही चाहते हैं कि उनके बच्चे मेडिकल फिल्ड में अपना करियर बनाएं। आइए जानते हैं मेडिकल में करियर बनानेवालों के लिए कितने विकल्प मौजूद हैं।
बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस)

एमबीबीएस यानी बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी को हम डॉक्टर भी कहते हैं। डॉक्टर बनने की पूरी प्रक्रिया में पांच वर्ष लगते हैं, या यूं कहिए 12वीं के बाद आप चाहें तो 5 वर्ष कड़ी मेहनत करके डॉक्टर बन सकती हैं, जिसमें चार वर्ष की पढ़ाई और एक वर्ष की इंटर्नशिप शामिल होती है। हालांकि एमबीबीएस में अपना करियर बनाने के लिए पहले आपको 12वीं के बाद नीट की परीक्षा पास करनी होगी। आम तौर पर एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान छात्रों को मेडिकल पाठ्यक्रमों के अंतर्गत एनाटॉमी (शरीर रचना), पैथोलॉजिकल साइंस (रोग विज्ञान) और फार्माकोलॉजी (औषध विज्ञानं) इन विषयों की पूरी जानकारी दी जाती है। एमबीबीएस परीक्षा में बैठने के लिए छात्रों को 12वीं में कम से कम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होते हैं। इस परीक्षा में बैठने के लिए निर्धारित आयु सीमा 17 वर्ष से 25 वर्ष है।
पैरामेडिकल
पैरामेडिकल कोर्स करनेवाले छात्रों को पैरामेडिक कहते हैं, जो अस्पताल में चिकित्सा विभाग के साथ मिलकर काम करते हैं और मरीजों को एक्स-रे, सोनोग्राफी, फिजियोथरेपी जैसी हेल्थ केयर सर्विस प्रदान करते हैं। हेल्थ केयर सर्विस के साथ इमरजेंसी कंडीशन में फर्स्ट ऐड के तौर पर पहला ट्रीटमेंट भी पैरामेडिक ही देते हैं। यही वजह है कि अस्पताल के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में अधिकतर पैरामेडिक स्टाफ होते हैं। पैरामेडिकल कोर्स तीन प्रकार के होते हैं, जिनमें डिग्री पैरामेडिकल कोर्स 1.5 से 4 वर्ष, डिप्लोमा पैरामेडिकल कोर्स 1 से 2 वर्ष और सर्टिफिकेट पैरामेडिकल कोर्स 1 से 2 वर्ष का होता है। इसे आप 12वी पास करने के बाद कर सकती हैं।
नर्सिंग
नर्सिंग पाठ्यक्रम के तहत बायोकेमिस्ट्री और विभिन्न अंग प्रणालियों के साथ मनोरोग नर्सिंग, कीमोथेरेपी, ईएनटी, मां और बच्चे की देखभाल, प्रसव और उसकी तैयारी, इन सभी के बारे में विस्तार से पढ़ाया जाता है। हालांकि नर्सिंग में दाखिला, प्रवेश परीक्षा में मिले अंकों, भरे गए कॉलेज विकल्पों के साथ कॉलेज में उपलब्ध सीटों पर आधारित होता है। नर्सिंग के लिए छात्रों को पूरी तरह से तैयार करने के लिए एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, मेडिकल-सर्जिकल, प्रसूती और स्त्री रोगों के साथ क्लिनिकल रोटेशन और इंटर्नशिप भी करवाई जाती है। नर्सिंग के लिए छात्रों को 12 वीं में किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से 45 प्रतिशत अंकों के साथ विज्ञान में उत्तीर्ण होना बेहद जरूरी है।
बैचलर ऑफ फार्मेसी (बी फार्मा)

बैचलर ऑफ फार्मेसी चार साल का ग्रेज्युएशन कोर्स है, जो पूरी तरह से फार्मास्युटिकल दवाइयों और मानव शरीर पर होनेवाले इसके गुणों और प्रभाव पर आधारित है। बैचलर ऑफ फार्मेसी के अंतर्गत छात्रों को फार्मास्यूटिक्स, फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री, फार्माकोग्नोसि और फार्माकोलॉजी पढ़ाया जाता है। इसके अंर्तगत मानव शरीर रचना, दवा की खुराक, मानव शरीर पर दवाओं से होनेवाली क्रिया-प्रतिक्रया, दवाओं के निर्माण में उपयोग किए जानेवाले तत्व और स्टोरेज के दौरान उनकी क्वालिटी बनाए रखने पर जोर दिया जाता है। फार्मा के बाद छात्र चाहें तो बीफार्मास्यूटिक्स, फार्माकोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी और क्लिनिकल फार्माकोलॉजी जैसे सब्जेक्ट में स्पेशियलाइजेशन के साथ एम फार्मा (मास्टर ऑफ फार्मेसी) भी कर सकते हैं। बी फार्मा के बाद आप चाहें तो केमिकल टेक्नीशियन, ड्रग इंस्पेक्टर, फार्मासिस्ट के अलावा हेल्थ इंस्पेक्टर और रिसर्च ऑफिसर के रूप में भी करियर बना सकती हैं। बी फार्मा में दाखिले के लिए आपको फिजिक्स, केमिस्ट्री के साथ मैथमैटिक्स, कंप्यूटर साइंस, बायोटेक्नोलॉजी या बायलॉजी में से किसी एक विषय में 12वी की परीक्षा पास करनी होगी।
बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिकल एंड सर्जरी (बीएएमस)
यदि ये कहें तो गलत नहीं होगा कि देश के दूर-दराज इलाकों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने और चिकित्सा के मद्देनजर पर्यटकों को भारत में आकर सस्ती कीमत पर चिकित्सा उपचार दिलाने में बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिकल एंड सर्जरी ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। यह डिग्री एमबीबीएस के समान है, जिसे 1993 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने मान्यता दी थी। इसकी लोकप्रियता की वजह यह भी है कि आयुर्वेद भारत के प्राचीन उपचार पद्धतियों के साथ, कारगर उपचार पद्धतियों में से भी एक रहा है। यही वजह है कि भारत के साथ पूरी दुनिया में यह लोकप्रिय है। यही वजह है कि वर्तमान समय में लाखों छात्र इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इस कोर्स की अवधि साढ़े चार साल है। इसके अलावा लाइव प्रैक्टिकल एक्सपोजर के साथ 1 साल की इंटर्नशिप भी शामिल है। इसमें भी दाखिले के लिए एमबीबीएस की तरह आपका 12वी में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी में 50 प्रतिशत मार्क्स के साथ नीट की परीक्षा पास करना जरूरी है।
जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम)
जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी, साढ़े तीन साल का डिप्लोमा प्रोग्राम है, जिसमें छ: महीने की इंटर्नशिप भी शामिल है। 12वी की परीक्षा पास करने के बाद नर्सिंग की तरफ पहला कदम माने जानेवाले जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी का डिप्लोमा कोर्स करके आप पब्लिक या प्राइवेट अस्पतालों के साथ क्लिनिक में भी रोजगार पा सकती हैं। इसके अलावा चिकित्सा जागरूकता को बढ़ावा दे रही एनजीओ या किसी चिकित्सा समुदाय में स्वयंसेवक के तौर पर भी काम कर सकती हैं। इस डिप्लोमा कोर्स की सामान्य फीस 20,000 से लेकर डेढ़ लाख रूपये है, जिसे करके आप सालाना डेढ़ लाख से 3 लाख रूपये कमा सकती हैं।
बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस)

बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी के अंतर्गत छात्रों को डेंचर, डेंटल समस्याओं और सर्जरी के बारे में पढ़ाया जाता है। एमबीबीएस की तरह बीडीएस के तहत दांतों का डॉक्टर बनने के लिए भी छात्रों को 12वीं के बाद पांच वर्ष की पढ़ाई पूरी करनी होती है, जिसमें चार वर्ष की पढ़ाई और एक वर्ष की इंटर्नशिप शामिल है। डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया, भारत की एकमात्र डेंटल प्रोग्राम सर्विस है। अगर यह कहें तो गलत नहीं होगा कि मेडिकल फिल्ड में एमबीबीएस के बाद बीडीएस की भारी मांग है। यूजी डिग्री प्रोग्राम के तहत इस कोर्स को फुल टाइम या पार्ट टाइम के जरिए किया जा सकता है।
ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा (रूरल हेल्थ केयर)
मेडिकल क्षेत्र में रूचि रखनेवालों के लिए ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के अंतर्गत दसवीं कक्षा के बाद 1 साल का डिप्लोमा कोर्स भी करियर के लिए बेहतर विकल्प है। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के मद्देनजर छात्रों को स्वास्थ्य सेवाओं के साथ प्राथमिक चिकत्सा, स्वच्छता और रोगी से जुड़ी मुख्य बातें सिखाई जाती हैं। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत की समस्याओं से निपटते हुए ग्रामीण लोगों को स्वच्छता के साथ सामान्य स्वास्थ्य मुद्दे और परिवार नियोजन के बारे में सिखाना है। इस कोर्स के बाद आप ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ता के तौर पर केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार में नौकरियों के लिए भी आवेदन का सकती हैं। इस डिप्लोमा कोर्स के लिए आप 10,000 से 1,50,000 रूपये की फीस देकर सालाना 2 लाख से 8 लाख रूपये सालाना वेतन पा सकती हैं।
डिप्लोमा इन ओटी (ऑपरेशन थियेटर) टेक्नीशियन

इस कोर्स के जरिए छात्रों को ऑपरेशन थियेटर के उपकरणों के प्रयोगों के साथ उन्हें सहेजने और ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन थियेटर को तैयार करना सिखाया जाता है। इस कोर्स को डिप्लोमा और डिग्री दोनों तरह कर सकते हैं, जिनमें डिप्लोमा के शॉर्ट फॉर्म को DOTT और बैचलर डिग्री को बीएससी इन ओटी (BSc in OT ) कहा जाता है। इसके अलावा डिप्लोमा कोर्स जहां 2 वर्ष का होता है, वहीं डिग्री कोर्स 3 वर्ष का होता है, जिसे आप विज्ञान विषय के साथ 12वी के बाद कर सकती हैं। इन कोर्सेस के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा नहीं ली जाती, बल्कि कॉलेज अपने स्तर पर प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं और मेरिट के आधार पर कॉलेज में दाखिला मिलता है। यदि फीस की बात करें तो डिप्लोमा कोर्स की फीस लगभग 5000 से 3 लाख रूपये होती हैं और डिग्री की फीस 15000 से 5 लाख से भी अधिक होती है। फीस के अलावा वेतन की बात करें तो शुरुआत में हर महीने 15000 से लेकर 25000 तक वेतन मिलता है और जैसे-जैसे ऑपरेशन थियेटर में आपका अनुभव बढ़ता जाता है आपकी सैलरी भी बढ़ती जाती है।