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होम / एन्गेज / प्रेरणा / एचीवर्स

सड़क मजदूर से सरपंच बननेवाली नौरोति देवी, बच्चियों को सीखा रही हैं कंप्यूटर

रजनी गुप्ता |  मार्च 12, 2025

राजस्थान के किशनगढ़ जिले में जन्मीं नौरोति देवी ने यूं तो कभी स्कूल का मुंह भी नहीं देखा था, लेकिन रोड कंस्ट्रक्शन के दौरान मजदूरी के मद्देनजर आवाज उठाकर न सिर्फ आंदोलन की आवाज बनीं, बल्कि राजस्थान के हरमाड़ा में ग्राम पंचायत सरपंच भी बनीं। आइए जानते हैं, नौरोति देवी की प्रेरित करनेवाली कहानी। 

सुप्रीम कोर्ट में पाई ऐतिहासिक जीत

image courtesy: @thebetterindia.com

अपनी निर्भीकता, तेजी से सिखने की क्षमता और नेतृत्व गुण के कारण वे न सिर्फ स्वयं सशक्त बनीं, बल्कि अपने क्षेत्र के गांवों में जाकर अन्य महिलाओं को भी सशक्त किया और उनकी साथिन बन गईं। पुरुष मजदूरों के मुकाबले महिला मजदूरों की मजदूरी में असामान्य अंतर को देखते हुए नौरोति देवी ने अपनी पहली लड़ाई वर्ष 1981 में रोड कंस्ट्रक्शन के दौरान एक मजदूर के रूप में लड़ी थी। अपने साथ अन्य मजदूरों का समर्थन जुटाकर नौरोति देवी ने मजदूर किसान शक्ति संगठन नामक एक गैर सरकारी संगठन के सक्रिय सदस्य के रूप में सूचना के अधिकार अभियान में भाग लिया। सुप्रीम कोर्ट तक गए इस मामले ने न सिर्फ ऐतिहासिक जीत हासिल की, बल्कि इसी अभियान ने वर्ष 2005 में केंद्र सरकार द्वारा पारित सूचना के अधिकार यानी आरटीआई की नींव रखी। 

लिटरसी ट्रेनिंग प्रोग्राम ने दिखाई नई राह   

गौरतलब है कि अपनी जीत से प्रेरित होकर उन्होंने न सिर्फ हरमाड़ा से 4 किलोमीटर दूर तिलेनिया के बेयरफुट कॉलेज में 6 महीने के लिटरसी ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया, बल्कि कॉलेज में काम भी करने लगी। कॉलेज में काम करते हुए उन्होंने कंप्यूटर चलाना भी सीख लिया और अपने नेतृत्व गुणों की बदौलत गांवों की महिलाओं का समर्थन और विश्वास हासिल करके उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने लगीं। सिर्फ यही नहीं कई घरों का दौरा कर उन्होंने युवा लड़कियों से बात कर उन्हें स्कूलों में दाखिला भी दिलवाया। हालांकि बेयरफुट कॉलेज में काम करने के साथ-साथ महिला विकास में लगी नौरोति देवी ने लगातार अपने कामों से ज्ञान के साथ काफी सम्मान भी जुटाया। यह उनकी लोकप्रियता ही थी, जिससे प्रभावित होकर उनके गांव के कुछ लोग उनके पास पंचायत चुनाव लड़ने के अनुरोध के साथ आए, जिसे उन्होंने न सिर्फ सहर्ष स्वीकार किया, बल्कि जीत भी हासिल की। 

सरपंच बनकर लड़ी शराब माफिया के खिलाफ लड़ाई

image courtesy: @thebetterindia.com

 वर्ष 2010 में हरमाड़ा की सरपंच बनकर उन्होंने खुद को पूरी तरह से गांव के विकास में समर्पित कर दिया। सरपंच के तौर पर अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने न सिर्फ शराब माफिया के खिलाफ लड़ाई लड़ी, बल्कि वॉटर बॉडीस, टॉयलेट्स, घरों और हैंडपंप के लिए सराहनीय प्रयास भी किए। हालांकि इन सबमें उन्होंने अपने कंप्यूटर नॉलेज का बहुत अच्छा इस्तेमाल किया। वर्ड और एक्सेल की जानकार नौरोति देवी, इंटरनेट का इस्तेमाल करना भी बखूबी जानती हैं और इसी के जरिए न सिर्फ वे देश-दुनिया से जुड़ी रहती हैं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं और लड़कियों को भी कंप्यूटर सीखा रही हैं। गौरतलब है कि अब तक वे 700 से अधिक बच्चों और महिलाओं को कम्प्यूटर की ट्रेनिंग दे चुकी हैं और अब भी उनका ये कारवां जारी है।  

70 की उम्र में भी कायम है सीखने-सिखाने का उत्साह 

गौरतलब है कि महिला सशक्तिकरण के साथ सफलता की कहानी बन चुकी नौरोति देवी कभी स्कूल नहीं गईं, लेकिन उनके द्वारा पढ़ाए गए बच्चों में दो अब स्कूल टीचर बन चुके हैं और उन्हीं की तरह आस-पास के गांवों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। हालांकि वर्ष 2015 में ग्राम सरपंच के तौर पर अपने 5 वर्ष का बेहतरीन कार्यकाल पूरा कर चुकी नौरोति देवी ग्रामीणों की लाख कोशिशों के बावजूद दुबारा सरपंच नहीं बन पाईं, क्योंकि वर्ष 2015 में आए सरकारी कानून के अनुसार अब सरपंच बनने के लिए कम से कम कक्षा 8 और जिला परिषद एवं पंचायत समिति चुनाव के लिए कक्षा 10 तक की पढ़ाई अनिवार्य कर दी गई है। हालांकि 70 वर्ष की हो चुकीं नौरोति देवी पर उम्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। आज भी वे उसी उत्साह से सीखती और सिखाती हैं। 

भारत की सीमा पार भी चर्चित हैं नौरोति देवी की कहानी

image courtesy: @thebetterindia.com

अपने  समाज के साथ पूरी तरह अपने परिवार के प्रति प्रतिबद्ध नौरोति देवी अन्य बच्चों के साथ अपने चार पोते-पोतियों को भी कंप्यूटर की शिक्षा देती हैं। फॉर्मल कंप्यूटर ट्रेनिंग के लिए नामांकित हो चुकी नौरोति देवी कंप्यूटर को अपनी जिंदगी का खास हिस्सा मानती हैं। उनके अनुसार वे जानती थी कि अपने नॉलेज  के साथ वे दुनिया को दिखा पाएंगी कि वे क्या कर सकती हैं, लेकिन इसे दिखाने में जिस माध्यम ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई वो कंप्यूटर ही है। हालांकि उनकी कहानी भारत की सीमा पार चीन, जर्मनी और अमेरिका में भी काफी चर्चित है, जहां उन्होंने यात्राएं की।

 

lead image courtesy: @thebetterindia.com

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