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इस क्रिसमस, सिर्फ तोहफों को नहीं, इंसानियत को तवज्जो देना सिखाएं बच्चों को

अनुप्रिया वर्मा |  दिसंबर 25, 2023

क्रिसमस एक खास मौका होता है, जब बच्चों को पूरी उम्मीद होती है कि उन्हें तोहफे मिलेंगे, ऐसे में कई बार वे महंगे गिफ्ट्स के बारे में सोच बैठते हैं और कई बार नहीं मिलने पर वे दुखी भी हो जाते हैं, चूंकि तोहफे मिलना किसको अच्छा नहीं लगता है, लेकिन इसकी आदत बना लेनी भी सही नहीं है, क्योंकि फिर आपके बच्चे बात-बात में सिर्फ गिफ्ट्स के बारे में ही सोचेंगे। इसलिए जरूरी है कि इस क्रिसमस पर बच्चों को भौतिक यानी मटरलिस्टिस्क चीजों से भी इतर कुछ अलग और बेहतर इंसान बनाने के बारे में सोचें और आप यह कैसे कर सकती हैं, आइए विस्तार से जानते हैं। 

वर्ष 2015 में जर्नल ऑफ कंज्यूमर रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, बच्चों के भौतिकवादी होने के पीछे के मुख्य कारण होते हैं कि वे सफल होने का मतलब, हमेशा जरूरत से ज्यादा गुणवत्ता और महंगी चीजों का उपभोग करना समझ लेते हैं। साथ ही यह समझने लगते हैं कि अगर वह महंगी चीजें नहीं रखेंगे, तो आकर्षित नहीं लगेंगे, फिर आगे चल कर वह इसी तरह इमोशन पर सामान को तरजीह देने लगते हैं, जो कि बिल्कुल सही नहीं होता है। 

हर खास मौके पर गिफ्ट्स देना ही जरूरी नहीं 

बच्चों के दिमाग में यह बिल्कुल नहीं बिठाइए कि उन्हें हर खास मौके पर गिफ्ट्स मिलेंगे ही, क्योंकि जैसे-जैसे उनकी आदत बनेगी, उनका ध्यान बाकी किसी खुशी में नहीं जाएगा, बल्कि सिर्फ इन्हीं बातों में जाएगा कि उन्हें बस गिफ्ट्स मिले, फिर वह सिर्फ और सिर्फ गिफ्ट्स के लिए ही जीना शुरू कर देंगे। 

मानवता न भूलें 

यह बेहद जरूरी है कि आप अपने बच्चे को सिखाएं कि एक बेहतर इंसान बने रहना भी कितना जरूरी है और इसके लिए उन्हें सबसे पहले अपने लालच का त्याग करना छोड़ना होगा, ऐसे में जो लोग उन्हें गिफ्ट्स नहीं दे पाते हैं, उनसे वह दूर नहीं हो, उनके मन में कभी यह ख्याल नहीं आना चाहिए कि जो भी गिफ्ट्स नहीं देते हैं, वे जरूरी लोग या अच्छे लोग नहीं होते हैं। अगर ऐसा होगा, तो बच्चे ह्यूमन इमोशन को समझना भूल जायेंगे। सिर्फ उनका ध्यान इन भौतिक चीजों में ही रहेगा और भविष्य में हो सकता है कि वह आपके साथ भी कोई इमोशनल टच न रखें। बच्चों को यह भी सिखाएं कि गिफ्ट देने वाले के ओहदे या कद को नहीं देखें और उसके आधार पर किसी भी तरह की तुलना न करें कि किसने बेहतर गिफ्ट दिया है, किसने कम। वरना, भविष्य में वह 

शेयरिंग की सीख 

यह एक अहम बात है, जो बच्चों को उनके पेरेंट्स ही सीखा सकते हैं, बचपन से उनमें यह आदत लगाएं कि कभी किसी ने कुछ दिया है, तो उसे अन्य बच्चों के साथ बांटें, ऐसे में आपको शेयरिंग और केयरिंग वाली सीख बच्चों को सिखाने में आसानी होगी। उन्हें लोगों को तवज्जो देना सिखाएं, तभी आगे चल कर वे लोगों की इज्जत करना सीखेंगे। 

बात मनवाने के लिए गिफ्ट का जरिया

कई माता-पिता ऐसा भी करते हैं कि अगर उनके बच्चे उनकी किसी बात को नहीं मानते हैं, तो वे उन्हें गिफ्ट्स का लालच देकर मनवाने के लिए मजबूर करते हैं, बच्चे भी इस आदत को अपना लेते हैं, फिर भविष्य में केवल गिफ्ट्स ही मिलने पर वह आपकी बातों को तवज्जो देते हैं, इसलिए यह बेहद जरूरी है कि बच्चों के साथ गिफ्ट्स के आदान-प्रदान का सिलसिला नहीं रखें। 

बच्चों के लिए रोल मॉडल का चुनाव

यह भी बेहद जरूरी है कि बच्चों को वैसे रोल मॉडल या आदर्श से परिचित करवाया करें, जो कि सामान्य हों, सामान्य और सादी जिंदगी जीते हों, लेकिन अच्छी सोच रखते हों, ताकि वे बच्चों के लिए सही तरीके से प्रेरणा बन सकें, इसलिए बच्चों के रोल मॉडल का चुनाव करते हुए भी इन बातों का ख्याल रखें कि वे आपके बच्चों की जिंदगी को किस तरह से प्रभावित कर सकते हैं।

 

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