मौजूदा दौर में वर्किंग मदर के लिए ब्रेस्ट पंप किसी वरदान से कम नहीं है। अगर आप अपने काम की वजह से अपने बच्चे से दूर हैं, तो भी ब्रेस्ट पंप की वजह से आप बच्चे की केयरटेकर या आपका लाइफ पार्टनर आपका दूध आपके बेबी को फीड करा सकता है। ब्रेस्ट पंप की वजह से यह आसानी से हो सकता है। आइए जानते हैं ब्रेस्ट पंप के इस्तेमाल से जुड़ी खास बातें।
ब्रेस्ट पंप के प्रकार

आम तौर पर ब्रेस्ट से पंप करके निकाले गए दूध को एक्सप्रेस्ड मिल्क कहते हैं। मार्केट में दो तरह के ब्रेस्ट पंप मौजूद हैं, एक इलेक्ट्रॉनिक और दूसरा मैन्युअल। यदि आप मैन्युअल ब्रेस्ट पंप से दूध निकाल रही हैं, तो यह इलेक्ट्रिक पंप के मुकाबले दूध निकालने में थोड़ा अधिक समय लगेगा क्योंकि मैन्युअल में थोड़ा ज्यादा आपको प्रेशर अपने ब्रेस्ट पर खुद से लगाना पड़ेगा, जबकि इलेक्ट्रॉनिक पंप में इसकी ज्यादा जरुरत नहीं होती है । मैन्युअल ब्रेस्ट पंप की अच्छी बात यह है कि वे सस्ते, उपयोग में आसान, हल्के होते हैं। यदि इलेक्ट्रॉनिक पंप का इस्तेमाल कर रही हैं तो शुरुआत में कम सेटिंग के साथ इसको शुरू करें। उसके बाद आप स्पीड को बढ़ा सकती हैं। वैसे दोनों का इस्तेमाल कमोबेश एक जैसा ही होता है।
इस्तेमाल से पहले सुनिश्चित करें

ब्रेस्ट पंप को इस्तेमाल करने से पहले अपने हाथ धो लें और इस बात को पूरी तरह से सुनिश्चित करें कि उपयोग से पहले आपका पंप, बोतल और उसके हिस्से साफ और कीटाणु रहित हों। इसके अलावा पम्पिंग से पहले आपकी सीटिंग आरामदेह हो और आप किसी भी तरह के स्ट्रेस में ना रहे बल्कि एकदम सहज रहें। शुरुआत अपने स्तन की मालिश करके शुरू करें। यह लेट-डाउन रिफ्लेक्स में मदद करता है। अपने बच्चे या उसकी तस्वीर देखने से मदद मिल सकती है। ब्रेस्ट पंप की शील्ड या फनल को अपने निप्पल के ऊपर अच्छी तरह से रखें, और धीरे-धीरे पंप करना शुरू करें। आपके दूध के निकलने में कुछ मिनट लग सकते हैं। कुछ समय बाद दूध निकलना शुरू हो जाएगा। इस दौरान थोड़ा शील्ड की तरफ झुक जाएं। जब आपका दूध कम होने लगे तो स्तन बदल लें। फिर वापस बदलें क्योंकि यदि आपको लगे कि आपको ज्यादा दूध निकालना है तो आप पा सकती हैं। दरअसल एक स्तन दूसरे की तुलना में ज़्यादा दूध बनाता है और यह सामान्य बात है। जब आप अपने दोनों स्तनों से दूध निकाल लें, तो ब्रेस्ट शील्ड हटा दें, और बोतल पर ढक्कन लगा दें और इस बात को सुनिश्चित करें कि यह ठीक से बंद हो। आप इस दूध को तुरंत रेफ्रिजरेटर में रख सकती हैं, या इसे कमरे के तापमान में भी रख सकती हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि 4 से 6 घंटे से ज्यादा आप इसे रूम टेम्परेचर पर ना रखें। उसके बाद पंप और उसके हिस्सों को धोकर और अच्छे से सुखाकर कीटाणुरहित करें, ताकि अगली बार आसानी से इस्तेमाल में लाया जा सके।
सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल

एक नवजात शिशु के लिए कितनी दूध की मात्रा होनी चाहिए ?
औसतन, एक नवजात शिशु हर 2-3 घंटे में लगभग 1.5-3 औंस (45-90 मिलीलीटर) दूध पीता है। जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होता है, यह मात्रा बढ़ती जाती है और हर बार दूध पीने पर वह पिछली बार से ज्यादा दूध पी सकता है। लगभग 2 महीने की उम्र में, आपका बच्चा हर 3-4 घंटे में लगभग 4-5 औंस (120-150 मिलीलीटर) दूध पी सकता है।
क्या ब्रेस्ट पम्पिंग के शुरुआत में थोड़ा दर्द भी होता है ?
जब आपके निपल्स में कोलेजन फाइबर खिंचते हैं तो आपको प्रत्येक पंपिंग की शुरुआत में 10 से 15 सेकंड का हल्का दर्द हो सकता है। कुछ महिलाओं को दूध निकलने पर असुविधाजनक अनुभूति हो सकती है, जो झुनझुनी या सुई की चुभन जैसी महसूस हो सकती है।
आमतौर पर कितनी बार पंप करना चाहिए?
एक डॉक्टर की गाइडलाइन को मानें तो हर तीन घंटे में पंप करना है, लेकिन यदि आपको शिशु का पेट इससे नहीं भर रहा है, तो आप अधिक बार भी कर सकती हैं। 48-72 घंटों तक, हर दो घंटे में 15 मिनट के लिए दोनों स्तनों को पंप कर सकती हैं।
ब्रेस्ट को प्रभावी ढंग से कैसे पंप करें ?
पहले पंप का उपयोग धीरे से लेकिन जल्दी से करें - इससे लेट-डाउन रिफ्लेक्स में मदद मिलती है और यह वैसा ही होता है जैसा आपका शिशु तब करता है ,जब वे पहली बार स्तनपान करना शुरू करते हैं। एक बार जब दूध बहने लगे तो धीमी गति लेकिन मजबूत सक्शन का उपयोग करें।
कैसे मालूम पड़ता है कि ब्रेस्ट खाली हो गए हैं, अब उन्हें पंपिंग की जरुरत नहीं है ?
जब आपके स्तन खाली होंगे, तो संभवतः वे हल्का महसूस करेंगे और असुविधाजनक रूप से भरे हुए नहीं रहेंगे, जैसा कि पंपिंग सक्शन की शुरुआत में हो सकता है। आप चाहे तो उन्हें यह देखने के लिए भी उठा सकती हैं कि क्या वे अभी भी भारी या दूध से भरे हुए महसूस होते हैं या नहीं।
पम्पिंग में 120 मिनट का नियम क्या है ?
ब्रेस्ट फीडिंग के पहले 12 सप्ताहों में बार-बार स्तन का दूध निकालने की आवश्यकता होती है, जिससे स्वस्थ दूध के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो माताएं प्रतिदिन कम से कम 120 मिनट तक विशेष रूप से पंप करती हैं, वे अपने बच्चों को मुख्य रूप से स्तनपान कराने के लिए पर्याप्त दूध बना सकती हैं।
पम्पिंग का सबसे अच्छा समय क्या होता है ?
कई मॉम सोने से ठीक पहले और सुबह सबसे पहले पंप लगाती हैं। आमतौर पर माना जाता है कि इस दौरान 10-15 मिनट की पंपिंग काफी होती है, क्योंकि इस दौरान ब्रेस्ट दूध से भरे होते हैं, लेकिन ऐसा कोई नियम नहीं है। जब भी आपको आपके ब्रेस्ट दूध से भरे लगते हो आप उस वक्त पम्पिंग कर सकती हैं।
स्तनपान कराना या ब्रेस्ट पंप करना दोनों में से बेहतर क्या है?
दोनों के ही फायदे हैं। पम्पिंग यह आपके बच्चे के तालु और जबड़े के विकास में सहायता करता है। स्तनपान शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि स्तन का दूध बच्चे की इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे संक्रमण और एलर्जी से बचाव होता है।
क्या ब्रेस्ट पंप से निप्पल का साइज बड़ा हो सकता है ?

रिसर्च से पता चला है कि पंप से ब्रेस्ट के आकार में औसतन 100cc की मामूली वृद्धि होती है, जो लगभग आधा कप का आकार है। हालांकि, यह बात भी सामने आयी है कि इन पंपों को प्रभावी होने में बहुत समय लगता है। एक अध्ययन में पहले दस सप्ताह तक प्रतिदिन 12 घंटे पंप करने के बाद साइज में मामूली बदलाव देखने को मिला है।
इलेक्ट्रिक और मैनुअल पंप में क्या फर्क है ?
इलेक्ट्रिक पंप, मैनुअल पंपों की तरह पोर्टेबल नहीं होते हैं, जो आम तौर पर छोटे, हल्के और साफ करने में आसान होते हैं। इसके अलावा, वे संचालित करने के लिए बिजली पर निर्भर होते हैं।
क्या ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल दो माएं कर सकती हैं ?
बिलकुल नहीं, एक ब्रेस्ट पंप एक मां द्वारा इस्तेमाल होना चाहिए क्योंकि छोटे बच्चे बहुत जल्दी संक्रमण का शिकार हो जाते हैं।
प्रोसेस्ड मिल्क को क्या गरम किया जा सकता है ?
फ्रीज में स्टोर करने के बाद उसे फ्रीज से निकालकर गर्म पानी के एक बाउल में बोतल सहित कुछ समय के लिए रखें। इससे दूध से ठंडापन खत्म हो जाएगा। प्रोसेस्ड मिल्क को कभी भी गैस या माइक्रोवेव में गर्म ना करें।