जाम्बोलन, जावा प्लम, मालाबार प्लम, पुर्तगाली प्लम, बैंगनी प्लम, हैंडसम प्लम, जमैका और इंडियन ब्लैकबेरी के नाम से दुनिया में मशहूर जामुन, पोषक तत्वों से भरपूर एक स्वास्थ्यप्रद फल है। आइए जानते हैं स्वास्थ्य से भरपूर जामुन के अनगिनत फायदों के बारे में।
डायबिटीज के रोगियों के लिए है प्रभावशाली
भारतीय आयुर्वेद के साथ यूनानी और चीनी चिकित्सा में काफी महत्व रखनेवाला जामुन, भारत के साथ बर्मा, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और श्रीलंका के साथ कई दक्षिण एशियाई देशों में पाया जाता है। स्वाद में कसैले जामुन में जहां एंथोसायनिन, एलाजिक एसिड, ग्लूकोसाइड, आइसोक्वेरसेटिन, केम्फेरोल और मायरेसेटिन जैमबोलन पाए जाते हैं, वहीं उसके बीजों में एल्कलॉइड जैम्बोसिन और ग्लाइकोसाइड एंटीमेलिन पाया जाता है, जिसका विशेष उपयोग डायबिटीज के इलाज के लिए किया जाता है। कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदलकर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में इसकी भूमिका काफी जबर्दस्त है। जामुन में ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होता है, जिसके कारण इसका विशेष उपयोग डायबिटीज से त्रस्त लोग गर्मियों में करते हैं। इससे उन्हें यूरिन से संबंधित काफी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। जामुन के बीजों के अलावा उसके पत्तों और पेड़ के छालों का उपयोग अर्क (एक्सट्रेक्ट)बनाने में किया जाता है।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर जामुन
पिछले 30 सालों में दिल की बीमारियों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। ऐसे में अपनी लाइफ स्टाइल बदलने के साथ कई लोग अपने आहार में जामुन का समावेश कर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। जामुन में मौजूद फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखते हुए आपके दिल को ब्लॉकेज से दूर रखता है, वहीं पोटैशियम, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक से आपकी रक्षा करता है। जामुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट से जहां आपका दिल स्वस्थ रहता है, वहीं आपकी त्वचा चमकदार और स्वस्थ रहती है। जामुन आपके खून को डिटॉक्सीफाई करके शुद्ध करता है, जिससे चेहरा बिना किसी महंगे कॉस्मेटिक्स के भी चमकता है। इसके अलावा विटामिन सी से भरपूर जामुन आपके चेहरे पर होनेवाले दाग-धब्बों से भी आपको छुटकारा देता है। सिर्फ यही नहीं, एक शोध में ये बात भी सामने आई है कि जामुन का अर्क उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को भी धीमा कर देता है।
पेट से जुड़ी सभी समस्याओं में कारगर है जामुन
अपने गुणों से भरपूर जामुन, पेट के साथ पाचन से जुड़ी अधिकतर बीमारियों में भी काफी फायदेमंद है। जामुन में मौजूद विटामिन ए और सी शरीर को जहां डिटॉक्सीफाई करते हैं, वहीं गैस से होनेवाली समस्याओं को भी कम करते हैं, जैसे पेट फूलना, सूजन और कब्ज। एंटासिड गुणों से भरपूर होने के कारण ये पेट में बनने वाले अतिरिक्त एसिड पर भी रोक लगाता है, जिससे अपच, गैस्ट्राइटिस और अल्सर जैसे रोग नहीं होते। पेट की समस्याओं के साथ ये लीवर और किडनी से जुड़े रोगों में भी ये अत्यंत प्रभावकारी है। ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के साथ-साथ यह प्लाज्मा क्रिएटिनिन और माइक्रोएलब्युमिन्यूरिया को भी नियंत्रित करता है। इसी के साथ ये लीवर सेल्स की मरम्मत तेजी से करते हुए एंजाइम लेवल को सामान्य स्तर पर लाने में भी मदद करता है। जामुन का फल ही नहीं, इसके बीज से भी पथरी का इलाज संभव है। जामुन की गुठली का चूर्ण दही में मिलाकर खाने से पथरी जल्दी निकल जाती है।
हीमोग्लोबिन बढ़ाकर एनीमिया से देता है छुटकारा
हीमोग्लोबिन की कमी से होनेवाले रोगों में एनीमिया सबसे प्रमुख है और हमारे देश में इस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या काफी अधिक है। ऐसे में जामुन उन सभी के लिए वरदान साबित हो सकता है, जो एनीमिया से पीड़ित हैं। जामुन में मौजूद विटामिन-सी और आयरन का उच्च स्तर, हीमोग्लोबिन की संख्या बढ़ाने में काफी मददगार है। विशेष रूप से महिलाओं को इसका सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि एनीमिया से पीड़ित रोगियों में महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है। इसके अलावा, मासिक धर्म(पीरियड) के दौरान महिलाओं में होनेवाली खून की कमी को भी ये पूरा करता है। विशेष रूप से जामुन में मौजूद आयरन से शरीर में शुद्ध खून की सप्लाई तो होती ही है, इससे एनीमिया के साथ पीलिया के मरीजों को भी फायदा मिलता है।
कई गुणों से भरपूर
अपने विभिन्न गुणों के लिए सबका चहिता बन चुके जामुन में एंटी-बायोटिक और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण भी पाए जाते हैं, जो अस्थमा के साथ सर्दी-खांसी और फ्लू में भी मददगार है। छाती और नाक में जमे कफ को कम करके सांस लेने की समस्या से छुटकारा दिलाने और स्वस्थ फेफड़ों के लिए जामुन एक पारंपरिक उपाय है। अस्थमा के अलावा ब्रोंकाइटिस को भी ठीक करने में जामुन अपनी भूमिका बखूबी निभाता है। वैसे कीटाणुओं से लड़ने और शरीर को संक्रमण से बचाने के लिए जामुन का प्रयोग अरसे से किया जाता रहा है। विशेष रूप से जामुन के एंटी-फंगल गुणों का उपयोग करते हुए एलर्जी और घावों का उपचार भी किया जाता रहा है। सिर्फ यही नहीं अपने बायोएक्टिव गुणों के कारण थकान और कमजोरी से परेशान लोगों को तुरंत तरोताजा महसूस करवाने का हुनर भी जामुन में है। इम्युनिटी को बूस्ट करते हुए जामुन, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
बढ़ते वजन के साथ दांतों और मसूड़ों पर भी प्रभावी है जामुन
आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जहां बढ़ता वजन अधिकतर लोगों की परेशानी बनता जा रहा है, वहीं बढ़ते वजन से हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और दिल की बीमारी भी लोगों के बीच अपनी जगह बनाती जा रही है। ऐसे में हाई फाइबर और कम कैलोरी वाला जामुन, वजन घटानेवाले भोजन का एक बेहतर विकल्प बन सकता है। जामुन, न सिर्फ आपके शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है, बल्कि आपका डाइजेशन भी सुधारता है। सिर्फ यही नहीं जामुन में मौजूद गैलिक एसिड और एलाजिक एसिड, आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारते हुए, आपको लंबे समय तक पेट भरा होने का एहसास भी करवाते हैं। इससे वजन घटाने में काफी सहायता मिलती है। गौरतलब है कि वजन के साथ आपके दांतों और मसूड़ों की मजबूती का भी ये ख्याल रखता है। जी हां, जहां विटामिन ए और सी, कैल्शियम फॉलिक एसिड और फाइटोस्टेरॉल जैसे तत्व मुंह के अंदर के टिश्यूज को स्वस्थ रखते हैं, वहीं इसमें मौजूद विटामीन के मसूड़ों से आ रहे खून को रोकने में प्रभावी होते हैं। इसके लिए जामुन के पत्तों को सुखाकर, पीसकर बने पाउडर का इस्तेमाल टूथ पाउडर के रूप में किया जाता है।
गठिया के रोग का भी है इलाज
आइरन और फास्फोरस जैसे तत्वों के साथ कोलीन और फॉलिक एसिड से भरपूर जामुन गठिया (आर्थराइटिस) के रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद है। ऐसा माना जाता है कि आधे कप पानी में इसके पेड़ की बारीक पीसी छाल की 2 चम्मच मात्रा को मिलाकर जो पेस्ट तैयार होता है, उसे दर्द वाले हिस्सों के साथ घुटनों पर 3 से 4 बार लगाने से गठिया दर्द में काफी आराम मिलता है। आदिवासी समुदाय के अनुसार जामुन के गूदे में गुड़ मिलाकर खाने से शारीरिक शक्ति ही नहीं, आंखों की रोशनी भी तेज होती है। हालांकि विज्ञान युग में इस बात को चिकित्सा जगत ने भी मान लिया है। इसके अलावा ग्रामीण भारत में आज भी ये मान्यता है कि इसका फल यदि गर्भवती स्त्री खाए तो होनेवाले बच्चे के होंठ, लाल और सुंदर तथा चेहरा ओजवान होता है।
पाक शास्त्र में भी है नंबर 1
गौतरतलब है कि ऊपर बताई बीमारियों के अलावा जामुन का प्रयोग रसोई में स्वादिष्ट खाने की चीजें बनाने में भी की जाती हैं। जामुन के सूखे बीजों से जहां स्मूदी या मिठाई बनती है, वहीं इसके फलों के गुदों से जैम, जेली और मिठाइयां बनाई जाती हैं। और तो और इसके पत्तों को सुखाकर, उनके चूर्ण से हर्बल चाय बनती है, जिसे लोग मजे लेकर पीते हैं।