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होम / एन्गेज / स्वास्थ्य / न्यूट्रिशन

'एबीसी' जूस है हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए 'ए टू जेड'

रजनी गुप्ता |  जनवरी 03, 2025

एबीसी जूस यानी एप्पल (सेब), बीट (चुकंदर) और कैरट (गाजर) जूस, प्रेग्नेंट वीमेन के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। आइए जानते हैं एबीसी जूस के अन्य फायदों के बारे में।  

मां और शिशु के लिए जरूरी है एबीसी जूस 

प्रेग्नेंसी का दौर, हर महिला के जीवन का शानदार दौर होता है, लेकिन इस शानदार दौर में मां के साथ गर्भ में पल रहे शिशु को जरूरत होती है पोषण की। ऐसे में मिनरल्स, विटामिन और कैल्शियम के साथ अन्य पोषक तत्वों से भरपूर एबीसी जूस एक अच्छा विकल्प है। स्वस्थ और संतुलित आहार शिशु के स्वस्थ कल के लिए बहुत जरूरी है। विशेष रूप से शिशु को उत्तम स्वास्थ्य के साथ मजबूती प्रदान करने में एबीसी जूस का कोई जवाब नहीं है। यही वजह है कि विटामिन, पोटैशियम, मिनरल्स, फाइबर, कैल्शियम और बीटा-कैरोटीन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर इस जूस को मिरैकल ड्रिंक भी कहते हैं। विशेष रूप से फाइबर की अधिक मात्रा और कम कैलोरी वाले एबीसी जूस को पीने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है। यही वजह है कि हर प्रेग्नेंट महिला को इस जूस को पीने का सुझाव दिया जाता है, क्योंकि गर्भावस्था में बार-बार लगनेवाली भूख को यह नियंत्रित करते हुए गर्भ में पल रहे शिशु को भी पोषण देता है। 

एबीसी जूस के अन्य फायदे 

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर एबीसी जूस से शरीर में ताजगी बनी रहती है और स्किन भी काफी यंग लगती है। विशेष रूप से प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि ऐसे समय में वे काफी थकान महसूस करती हैं। इस जूस के सेवन से ब्लड प्रेशर के साथ कोलेस्ट्रॉल लेवल भी नियंत्रित रहता है। सिर्फ यही नहीं इस जूस से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, क्योंकि इस दौरान शरीर काफी कमजोर होता है और कोई भी बीमारी आसानी से हो सकती है। प्रेग्नेंसी में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाना मां और शिशु के लिए अत्यावश्यक होता है, ऐसे में एबीसी जूस अमृत समान है। इससे न सिर्फ रेड ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ती है, बल्कि डाइजेशन भी अच्छा होता है। 

जूस की बजाय चबाकर खाएं  

यदि आप एबीसी जूस नहीं पीना चाहती हैं, तो आप इनमें इस्तेमाल होनेवाली सब्जियों और फलों को चबाकर भी खा सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई हार्मोनल चेंजेस आते हैं, जिनमें डाइजेशन से जुड़ी परेशानियां आम हैं। ऐसे में सेब में मौजूद फाइबर से डाइजेशन भी अच्छा होता है और कॉन्स्टिपेशन की समस्या भी नहीं होती है। इसके अलावा,  सेब में मौजूद कैल्शियम से शिशु की हड्डियों और दांतों के विकास में बल मिलता है। सिर्फ यही नहीं, सेब में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट से प्रेग्नेंसी में न सिर्फ आप अस्थमा से दूर रहती हैं, बल्कि आपकी याददाश्त के साथ दिमागी कार्यप्रणाली भी एक्टिव रहती है। 

प्रेग्नेंसी में चुकंदर (बीटरूट) के फायदे 

प्रेग्नेंसी में स्वस्थ लीवर के लिए बीटरूट का सेवन बहुत जरूरी है। सिर्फ यही नहीं इसमें मौजूद विटामिन सी से प्रसव प्रक्रिया सुचारू और सुरक्षित होने की गारंटी मिलती है। यदि यह कहें तो गलत नहीं होगा कि प्रेग्नेंसी में बीटरूट एक आदर्श सब्जी है, जिसके सेवन से सिर्फ मां को ही नहीं, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु को भी लाभ मिलता है। विशेष रूप से फॉलिक एसिड से भरपूर बीटरूट, शिशु के विकास को बढ़ाते हुए किसी भी तरह के जन्म दोष को रोकता है। साथ ही गर्भावस्था में बढ़े वजन से हो रहे जोड़ो के दर्द में भी यह राहत पहुंचाता है। 

विटामंस का भंडार है गाजर 

ढ़ेर सारे मिनरल्स और विटामिंस से भरपूर गाजर, बीटरूट की तरह ही पकी और कच्ची दोनों रूप में खाई जा सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान गाजर में मौजूद विटामिन ए, मां और शिशु की आंखों की रौशनी के लिए बहुत अच्छा होता है। फॉस्फोरस से भरपूर होने के कारण मसल्स की ऐंठन से भी यह आराम दिलाता है। बीटा-कैरोटीन से जहां कैंसर की रोकथाम में मदद मिलती है, वहीं फोलिक एसिड, शिशु के नर्वस सिस्टम को दुरुस्त करता है। मां और शिशु को एनिमियया से बचाने के साथ-साथ पोषक तत्वों, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर गाजर तुरंत एनर्जी देकर ताजगी का एहसास भी करवाता है।  

पोषण के साथ हैं साइड इफेक्ट्स भी

इसमें दो राय नहीं कि प्रेग्नेंसी के दौरान एबीसी जूस एक आदर्श ड्रिंक है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस जूस के नियमित सेवन से प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर फ्लक्चुएट होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। इसके अलावा बीटरूट में मौजूद ऑक्सलेट के कारण पथरी भी हो सकती है। एबीसी जूस में दो सब्जी और एक फल होता है, इसलिए ये लीवर के लिए थोड़ा भारी होता है। अगर आप सेब खा रही हैं, तो ख्याल रहे कि प्रेग्नेंसी में भूलकर भी इसके बीजों का सेवन न करें, क्योंकि सेब के बीजों में साइनाइड होता है, जो मां और शिशु दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। साथ ही बीटरूट के अधिक सेवन से आपको मतली, दस्त और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम्स के साथ पथरी भी हो सकती है। इसके अलावा गाजर या उसके जूस के अधिक सेवन से थकान, सुस्ती के साथ सिरदर्द भी हो सकती है।

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