बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए यह बहुत जरूरी है कि हाई प्रोटीन डायट पर ज्यादा ध्यान दिया जाए। बच्चों के खान-पान में ऐसी चीजों को शामिल करें, जो उनकी सेहत में पौष्टिकता लेकर आये। इसलिए बहुत जरूरी है कि बच्चों को हाई प्रोटीन डायट दिया जाए। आइए विस्तार से जानते हैं कि बच्चों को हाई प्रोटीन डायट में क्या खिलाना चाहिए।
बच्चों को अंडे खिलाने का फायदा

बच्चों को अंडा खिलाने के कई सारे फायदे होते हैं। अंडा पोषण से भरपूर होता है और बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक माना गया है। अंडे में उच्च गुणवत्ता का प्रोटीन होता है, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक है। अंडे में विटामिन-ए, विटामिन-डी, विटामिन-बी 12 और विटामिन ई भी होता है, जो कि हड्डियों और आंखों की सेहत को बढ़ावा देता है। इसके साथ अंडे में आयरन, जिंक और फास्फोरस जैसे कई सारे खनिज होते हैं। इसके साथ अंडे में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स भी होते हैं, जो बच्चों के दिमाग के मानसिक विकास में मदद करता है। साथ ही अंडा में कार्बोहाइड्रेट्स और फैट्स भी होते हैं, जो बच्चों को ऊर्जा प्रदान करता है। अंडे में एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे ल्यूटिन और जेकेसीथिन होते हैं, जो बच्चों की इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद करते हैं। अंडे में विटामिन-डी होता है, जो हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
बच्चों को दाल और चना खिलाने के फायदे

बच्चों को दाल और चना खिलाने के अनेक फायदे हैं। खासकर जब आप शाकाहारी होते हैं, तो दाल और चना खिलाना आपके लिए काफी फायदेमंद होता है। दाल और चना दोनों ही प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना गया है। प्रोटीन बच्चों के शारीरिक विकास,मांसपेशियों के निर्माण और मरम्मत के लिए काफी जरूरी माना गया है। दाल और चना में कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम जैसे खनिज होते हैं, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।दाल और चना में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो बच्चों के पाचन तंत्र को स्वस्थ रखती है। यह कब्ज की समस्या को दूर करने में भी मदद करता है और आंतों की सफाई में मदद करता है। इनमें कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन का अच्छा संतुलन होता है, जो बच्चों को ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे वे पूरे दिन सक्रिय और ऊर्जावान रहते हैं। चना और दाल में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं, जो दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। बच्चों में दिल से संबंधित बीमारियों को रोकने के लिए यह फायदेमंद हो सकता है। इनमें मौजूद आयरन और जिंक जैसे खनिज बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और उन्हें बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं, दाल और चने में प्रोटीन और अमीनो एसिड्स होते हैं, जो बच्चों के मांसपेशियों के विकास में काफी मदद करता है। इन दोनों आहार को बच्चों के डायट में शामिल करना उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए फायदेमंद माना गया है। हालांकि बच्चों की पाचन शक्ति को ध्यान में रखते हुए ही आपको दाल और चना का सेवन कराना चाहिए।
बच्चों को दूध और डेयरी प्रोडक्ट खिलाने का फायदा

बच्चों को डेयरी के प्रोडक्ट्स का सेवन कराने का काफी फायदा होता है। बचपन से बच्चों को दूध का सेवन कराया जाता है। दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कि घी, दही, पनीर में कैल्शियम और विटामिन-डी की भरपूर मात्रा होती है, जो कि हड्डियों और दांतों की सेहत के लिए आवश्यक होता है। दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स बच्चों की हड्डियों को मजबूत बनाने और उसका सही विकास करने में मदद करता है। दूध बच्चों में ऊर्जा को भी प्रदान करते हैं, जो कि शरीर के सामान्य कार्यों के लिए आवश्यक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। इतना ही नहीं, दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स में आयोडीन, जिंक और सेलेनियम जैसे खनिज होते हैं, जो कि बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है साथ ही कई सारी बीमारियों से भी बचाव करता है। डेयरी उत्पादन में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो कि बच्चों को लंबे समय के लिए भूख नहीं लगने देती है और बच्चे अधिक खाने के सेवन से भी बच जाते हैं। दूसरी तरफ दूध को हाइड्रेशन का एक अच्छा स्त्रोत भी माना जाता है, जो कि शरीर को आवश्यक तरह पदार्थ प्रदान करता है। इसके साथ दूध शरीर में खून की कमी से भी बचाव करता है। हालांकि बच्चे को दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स से किसी भी प्रकार की एलर्जी है, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
क्विनोआ बच्चों को खिलाने का फायदा

क्विनोआ(किनुआ) को बच्चों के लिए एक बेहतरीन सुपर फूड माना गया है, जो कि सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाता है। क्विनोआ(किनुआ) में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन के साथ कई तरह के मिनरल्स भी होते हैं, जो कि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण माना गया है। यह भी जान लें कि क्विनोआ में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो की पाचन को सुधारता है और कब्ज की समस्या में भी आराम देता है। इससे बच्चों की आंतों की सफाई अच्छे तरीके से होती है और बच्चों के पेट की सेहत भी बनी रहती है। क्विनोआ के सेवन से बच्चों को जल्दी भूख नहीं लगती है, इससे अधिक खाना खाने से बच्चे सुरक्षित रहते हैं। क्विनोआ में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे कई सारे मिनरल्स होते हैं, जो बच्चों की हड्डियों और मांसपेशियों के विकास में मदद करते हैं। इसके साथ क्विनोआ में जिंक,आयरन और विटामिन के साथ उनका इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है। दिमागी विकास के लिए भी क्विनोआ का सेवन अहम माना गया है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो बच्चों के मस्तिष्क के विकास और मानसिक क्षमता को बढ़ावा देते हैं। यह याददाश्त और फोकस को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। क्विनोआ में हेल्दी फैट्स होते हैं जो दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। बच्चों को इसे खाने से दिल की सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, खासकर जब यह उनके आहार का नियमित हिस्सा बनता है। क्विनोआ बहुत आसानी से पक जाता है, इसे पुलाव, खिचड़ी, सलाद या हलवा के तौर पर पकाकर खाया जा सकता है।
बच्चों के लिए रागी के सेवन का फायदा

रागी बच्चों के लिए एक बेहतरीन पर्याय है, जो कि पोषण से भरपूर रहता है। रागी को कैल्शियम का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है। इससे हड्डियों और दांतों के विकास के लिए आवश्यक माना गया है। बच्चों में हड्डियों को मजबूत करने के लिए रागी को उनके आहार में शामिल किया जाता है। रागी पाचन में भी सुधार लाती है। रागी से कब्ज जैसी समस्याओं से निजात मिलता है, जो बच्चों के पाचन तंत्र को अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए फायदेमंद माना जाता है। रागी में जटिल कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो शरीर को स्थिर और लंबी अवधि तक ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह बच्चों को पूरे दिन सक्रिय बनाए रखने में मदद करता है और थकान को दूर करता है। रागी आयरन का भी अच्छा स्रोत है, जो बच्चों के शरीर में रक्त की कमी (एनीमिया) को रोकने में मदद करता है। आयरन बच्चों के विकास और इम्यून सिस्टम के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके अलावा रागी दिमागी विकास के लिए, ग्लूटेन फ्री आहार, मधुमेह से बचाव के साथ दिल की सेहत के लिए काफी लाभकारी माना गया है। रागी का सेवन कई तरह से किया जाता है। रागी से दलिया, पोहा, खिचड़ी, रागी के लड्डू और रागी का चीला भी बनाकर बच्चों को इसका सेवन करा सकती हैं। रागी को आटे के हलवा और पैन केक के तौर पर भी बनाकर बिस्किट के रूप में भी बनाया जा सकता है।