सोचना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन कभी-कभी बस आप किसी बात के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचने लगती हैं। इसे ओवर थिंकिंग कहते हैं। आइए जानें विस्तार से।
क्या है ओवर थिंकिंग
जरूरत से ज्यादा सोचने की आदत खराब होती है। इसका कारण कुछ भी हो सकता है। हो सकता है या संभव है कि आप अपने बीते दिनों के बारे में यह सोचती हैं कि काश !! यह न किया होता, तो अच्छा होता यानी खुद पर बार-बार पछतावा होता है। किसी की कोई बात बार-बार दिमाग में आना। किसी शख्स ने मजाक में कोई बात बोल दी। आप उसके बारे में सोचती रहती हैं। किसी शख्स ने मजाक में कोई बात बोल दी। आप उसके बारे में सोचती रहती हैं। इसे ओवर थिंकिंग कहते हैं। और इससे पूरी दुनिया में करोड़ों लोग परेशान हैं । इससे निजी जिंदगी से लेकर शारीरिक और मानसिक तौर पर कई परेशानियां शुरू जो जाती हैं। यह एक ऐसे मानसिक विकार का रूप ले सकता है, जो कई बार यह बहुत खतरनाक भी साबित हो सकता है। अगर आप भी ओवर थिंकिंग की समस्या से परेशान हैं, तो आज ही इस पर काम करना शुरू करें। कुछ उपायों को अपनाकर आप इस खतरनाक समस्या से खुद को बचा सकती हैं।
खुद को व्यस्त रखें
यदि आप बार-बार कुछ गलत चीजों के बारे में सोचती रहती हैं, तो इससे दिमाग को भटकाने के लिए कुछ पसंदीदा काम करें। कोई ऐसी एक्टिविटी करें, जिसे करके आपको खुशी महसूस हो। नया किचन कौशल सीखें, वर्कआउट क्लास ज्वाइन करें। पेंटिंग करें, गाना सुनें या डांस करें। इससे आपका दिमाग रिलैक्स महसूस करेगा और आप बेफिजूल की बातों को सोचने से भी बचेंगी।
मेडिटेशन
मेडिटेशन को अपनी जिंदगी में शामिल करें। दिनचर्या में मेडिटेशन से बड़ी से बड़ी परेशानी को दूर की जा सकती है। यह बात आध्यात्मिक से लेकर वैज्ञानिक दोनों पहलूओं से साबित हो चुकी है। दरअसल, नियमित ध्यान का अभ्यास करने से आप अपने माइंड को कंट्रोल कर सकती हैं, जिससे आप ओवर थिंकिंग के विकार से से अपने माइंड को दूर कर सकती हैं। आपको बस 5 मिनट और एक शांत जगह चाहिए। आप जब कभी भी खुद को ओवरथिंकिंग के भंवर जाल में उलझता पाएं, तो तेज गहरी सांस लें। आंखें बंद कर लें। सांस अंदर और बाहर छोड़ें। इस एक्सरसाइज को दिन भर में लगभग 3 बार 5 मिनट के लिए करें। आपको काफी रिलैक्स और शांति महसूस होगी।
किसी के लिए तो अच्छा करें
किसी के लिए अच्छा करें। ओवरथिंकिंग के नकारात्मक ख्यालों से खुद को दूर रखने के लिए आप खुद को किसी और के लिए अच्छा करने में व्यस्त करने की कोशिश करें। जैसे बुजुर्ग अकेले रह रहे दंपति पड़ोसी के लिए फल और सब्जियां ले आएं या फिर उनके रूटीन डॉक्टर के चेकअप में उनके साथ चली जाएं। आपकी सहेली अगर ऑफिस और घर के कामों में किसी दिन ज्यादा मशरूफ हैं, तो आप उसकी मदद कुकिंग या उसके पेट्स या बच्चों की देखभाल में कर सकती हैं। यह एहसास कि आपके पास किसी के दिन को बेहतर बनाने की शक्ति है, नकारात्मक विचारों को हावी होने से रोक सकता है। यह आपको आपके विचारों की कभी न खत्म होने वाली धारा के बजाय ध्यान केंद्रित करने के लिए कुछ उत्पादक चीज भी देता है।
छोटी सफलता भी है खास
छोटी सफलता को भी आपको अपने जीवन में महत्व देना चाहिए, अगर आप अत्याधिक तनाव को महसूस कर रही हैं तो और आपका दिमाग बार- बार नकारात्मक पहलुओं पर ओवर थिंक कर रहा हो, तो अपनी सोच को वही रोकते हूए एक नोटबुक निकालें या अपने फोन का नोटबुक ओपन कर लें। बीते हफ्ते ऑफिस या घर पर वे दो चीजें ऐसी क्या हुईं, जिसको अच्छा होने में आपकी भूमिका बहुत खास रही। आपने किसी को अगर खाना बनाकर खिलाया है और उसमें आपने शाबाशी बटोरी है या फिर घर में आपके बिजली के उपकरणों को समय पर बंद जार बिजली के बिल में ही कटौती ला दिया है, तो इन छोटी सफलताओं को भी महत्व देते हुए नोटबुक पर लिखें। मनोवैज्ञानिकों की मानें, तो जब आप इसे कागज पर या स्क्रीन पर देखती हैं, तो आप आश्चर्यचकित हो सकती हैं कि ये छोटी-छोटी चीज़ें कैसे जुड़ जाती हैं कहीं ना कहीं यह आपको फील गुड करवाने लगती हैं और आपको ओवर थिंकिंग से दूर करने लगती है।
अपने डर को गले लगाएं
कुछ चीजें जो होंगी, वो हमेशा आपके कंट्रोल से बाहर रहेंगी। आप कितनी भी कोशिश कर लें। सबकुछ सही नहीं कर सकती हैं। इसे दिल से स्वीकार कर लेने भर से आप ओवर थिंकिंग के भंवर से खुद को दूर रखने के लिए मदद कर सकती हैं। एक हालिया स्टडीज से यह बात सामने आयी है कि नकारात्मक विचारों और भय को स्वीकार करने से मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। निःसंदेह, यह कहना जितना आसान है, करना उतना ही कठिन है, और यह रातोंरात नहीं होगा। लेकिन छोटे अवसरों की तलाश करें, जहां आप उन परिस्थितियों का सामना कर सकें, जिनके बारे में आप अक्सर चिंतित रहती हैं। आपके साथ सबसे बुरा क्या हो सकता है। जानकर कहते हैं कि अपने ओवर थिंकिंग से निकलने वाले डरावने परिणाम को लिखें। और उसे बार-बार पढ़ें। ऐसा करना थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन बार-बार अपने डर का सामना करने से वह आपको सामान्य महसूस होने लगेगा। यह ओवरथिंकिंग को खत्म करने का काफी मददगार तरीका है। डरावना परिणाम लिखने के बाद सबसे सुखद परिणाम क्या हो सकता है। यह भी लिखें। यह आपको सकारात्मकता से जोड़ेगा।
अकेले रहने से बचें
आधी परेशानियां आपका अकेलापन ले आता है । यही वजह है कि परेशानियों को दूर रखना है, तो अपने परिवार और दोस्तों के ज्यादा से ज्यादा करीब आपको रहने की जरूरत है। अपने परिवार के साथ बैठकर अपनी समस्याओं के बारे में बताएं। उनकी राय मशविरा लें।
परिवार के साथ रहें
खुद को ओवरथिंकिंग की नेगेटिविटी से दूर रखने के लिए परिवार और अपने दोस्तों के साथ घूमने-फिरने के लिए जाएं, कभी लंच तो कभी मूवी डेट के लिए भी समय दें। अपना लक्ष्य तय करें अपने फालतू के विचारों में गुम रहने की वजह से आप ओवरथिंकिंग की समस्या के शिकार हो सकती हैं। इसलिए खाली बैठने या फालतू विचारों से घिरे रहने के बजाय आप खुद के लिए एक लक्ष्य तय करें। खुद को इसमें व्यस्त रखें, ताकि आपका फोकस बातों पर न जाए। काउंसलर से जरूर शेयर करें, आप ऊपर लिखें। हर तरह के उपायों को अपनी जिंदगी में शामिल कर चुकी हैं। लेकिन ओवरथिंकिंग की परेशानी कम नहीं हो रही है तो किसी काउंसलर से मिलें या फिर किसी योग्य चिकित्सक से बाहरी मदद लेने से आपको अपने विचारों पर काम करने और यहां तक कि अपनी मानसिकता को बदलने के लिए मदद मिल सकती है।
ओवरथिंकिंग को लेकर पूछे गए सवाल-जवाब
क्या छोटी-छोटी बातों पर ज्यादा सोचना ओवरथिंकिंग कहलाता है?
हां, बिल्कुल ! ऐसा नहीं है कि किसी चीज के बारे में सोचना अच्छी बात नहीं है, लेकिन जरूरत से ज्यादा सोचना गलत है, क्योंकि ज्यादा सोचने से आपकी तबियत खराब होगी, तनाव बढ़ता रहता है और कई बीमारियों को जगह दे सकती हो।
एंग्जाइटी भी क्या ओवरथिंकिंग का नतीजा होता है ?
हां, जरूरत से ज्यादा सोचने पर यही परेशानी होगी कि आगे की चिंता आपको बार-बार होगी, फिर ऐसे में आपको एंग्जाइटी होगी ही, बेफिजूल की चीजों के बारे में आप फिर ज्यादा सोचने लगते हैं और इन सबसे फिर आपको परेशानी बढ़ेगी ही।