तेल और घी को लेकर आपने कई तरह की सलाह जरूर सुनी होगी। कई जानकारों का मानना है कि अगर तेल और घी का सेवन सीमित मात्रा में सही तरीके से किया जाए, तो यह आपकी सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। जाहिर सी बात है कि भारतीय रसोई में तेल और घी का अपना अलग ही महत्व है। चाहे तड़का लगाना हो, पराठा सेंकना हो या मिठाई बनानी हो – इनके बिना बात अधूरी लगती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तेल और घी सिर्फ स्वाद ही नहीं, सेहत के लिए भी ज़रूरी हैं? पर है संतुलन के साथ ही , वरना यह नुकसानदायक हो सकता है। आइए डायटीशियन अमिता तांबेकर से जानते हैं कि सेहत के लिए सबसे अधिक किसी जरूरत है?
तेल और घी क्यों ज़रूरी?

अमिता कहती हैं कि शरीर में विटामिन A, D, E और K का अवशोषण उन्हीं की मदद से होता है। इसलिए वजन घटाने के लिए टोटली फैट फ्री डायट ये पोषणशास्त्र के नजरिये से सही नहीं है। शरीर में हार्मोन बनाने, कोशिकाओं की सुरक्षा करने और दिमाग के स्वास्थ्य के लिए वसा ज़रूरी है। जब भी हम तेल और घी की बात करते हैं, तो अक्सर “PUFA, MUFA और SFA” जैसे शब्द सुनाई देते हैं। आइए इन्हें सरल भाषा में समझें। सबसे पहले SFA (Saturated Fatty Acids) – संतृप्त वसा के बारे में बात करें, तो घी, मक्खन, नारियल तेल, पाम तेल और लाल मांस में यह अच्छी मात्रा में पाया जाता है. MUFA (Monounsaturated Fatty Acids) यानी कि एकल असंतृप्त वसा जो कि मूंगफली तेल, ऑलिव ऑयल, सरसों का तेल, बादाम के तेल में पाया जाता है।. PUFA (Polyunsaturated Fatty Acids) यानी कि बहुअसंतृप्त वसा। इसका स्त्रोत सूरजमुखी तेल, सोयाबीन तेल, अलसी (Flaxseed), अखरोट, मछली (ओमेगा-3) में पाया जाता है।
तेल के सेवन से जुड़ी अहम जानकारी
अमिता कहती हैं कि सिर्फ़ एक ही तेल पर निर्भर न रहें। तेल रोटेशन (जैसे – सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी) अपनाएं।ओमेगा-3 का सेवन (अलसी, अखरोट, मछली) भारतीय आहार में अक्सर कम होता है। इन सभी को अपने खाने में ज़रूर शामिल करें। प्रोसेस्ड फूड और तले स्नैक्स में पाए जाने वाले ट्रांस-फैट से पूरी तरह बचें। आपको यह भी ध्यान रखना है कि PUFA, MUFA और SFA तीनों ही ज़रूरी हैं, लेकिन संतुलित मात्रा में। कई लोग ऐसे भी हैं, जो कि वनस्पति के तेल का उपयोग खाने में करने हैं। यह खासतौर पर मूंगफली के तेल में पाया जाता है, जो कि विटामिन E से भरपूर, हृदय के लिए अच्छा माना गया है। अमिता कहती हैं कि सेहत के लिए सरसों के तेल का इस्तेमाल भी अच्छा पर्याय है। उनका कहना है कि सरसों के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड का स्रोत है जो कि शरीर में सूजन कम करने में मददगार। तिल का तेल भी एंटीऑक्सीडेंट्स और कैल्शियम से भरपूर होता है। नारियल के तेल में मीडियम-चेन ट्राइग्लिसराइड्स (MCTs) देता है, ऊर्जा तुरंत उपलब्ध कराता है।
घी और मक्खन खाने का फायदा

अमिता कहती हैं कि घी और मक्खन भी सेहत के लिए फायदेमंद है। उनका कहना है कि घी और मक्खन में स्वाद और सुगंध के साथ विटामिन A और CLA (Conjugated Linoleic Acid) से भरपूर होता है। घी की खूबी की बात की जाए, तो घी एक तरह से पाचन को बेहतर करता है, आयुर्वेद में इसे “अग्नि दीपक” कहा गया है। इसके साथ ही त्वचा और दिमाग के लिए लाभकारी भी माना गया है। लेकिन घी हो या तेल इन सभी का सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।
कितना तेल और घी लेना चाहिए?
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार पुरुष/महिला: प्रतिदिन लगभग 25–30 ग्राम वसा (यानी 5-6 चम्मच तेल/घी) पर्याप्त है। कुल कैलोरी का 20–30% हिस्सा वसा से आना चाहिए। हालांकि इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि सभी तरह के तेलों और घी का रोटेशन में उपयोग करना चाहिए – जैसे कभी मूंगफली तेल, कभी सरसों, कभी सूरजमुखी।
तेल और घी के इस्तेमाल में ध्यान देने योग्य बातें

अमिता ने इस संबंध में कहा है कि तले हुए और बार-बार गर्म किए तेल से बचें। ट्रांस-फैट्स (पैक्ड स्नैक्स, बेकरी आइटम्स) का सेवन कम करें।तेल और घी की मात्रा हमेशा नियंत्रित रखें – ज़्यादा सेवन मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोग का जोखिम बढ़ जाता है।तेल और घी हमारे खाने का स्वाद बढ़ाते हैं और पोषण भी देते हैं। जरूरी है कि सही तेल चुना जाए, उचित मात्रा में लिया जाए और विविधता रखी जाए। याद रखिए – “तेल और घी न कम, न ज्यादा – सेहत के लिए संतुलन ही असली मंत्र है।”