प्रीडायबिटीज की परेशानी को समझना बेहद जरूरी है और आयुर्वेदिक तरीके से इसे रिवर्स करने के तरीके के बारे में भी जानने की कोशिश करनी चाहिए। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
क्या है प्रीडायबिटीज

प्रीडायबिटीज एक शांत लेकिन गंभीर स्थिति है, जिसमें ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से ज्यादा होता है, लेकिन इतना ज्यादा नहीं कि उसे मधुमेह कहा जा सके। अगर इसे नियंत्रित न किया जाए, तो यह टाइप 2 मधुमेह में बदल सकता है, जिससे हृदय रोग, लिवर की परेशानी और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आयुर्वेद, प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति, हर्बल उपचारों, पंचकर्म चिकित्सा और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से प्रीडायबिटीज को रिवर्स का एक शानदार तरीका भी है। तो कह सकते हैं कि प्रीडायबिटीज एक मेटाबॉलिक डिजऑर्डर है, जिसकी विशेषता इंसुलिन प्रतिरोध या इंसुलिन उत्पादन में कमी है। यह तब होता है जब शरीर रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में असमर्थ होता है, जिससे टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
तरीका बदलें
तो आयुर्वेद कहता है कि आपको सबसे पहले खुद के खान-पान का तरीका बदल देना है और आपको शुद्ध रूप से सफेद चीनी का सेवन बंद कर देना चाहिए और प्राकृतिक चीनी का सेवन शुरू कर देना चाहिए।
आयुर्वेद विशेषज्ञ का कहना है कि फलों, गुड़ या शहद से प्राप्त प्राकृतिक चीनी का सेवन सीमित मात्रा में किया जा सकता है, लेकिन सफेद चीनी का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। सुबह के समय गर्म हर्बल चाय पीने या गर्म पानी से स्नान करने से मेटाबॉलिज्म अच्छा रहता है और यह स्वास्थ्य के लिए एक लाभकारी वातावरण बनाता है। साथ ही आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार, गर्मी पाचन प्रक्रियाओं और पूरे शरीर में ऊर्जा संचार को सक्रिय करती है। शोध से पता चलता है कि गर्म पानी में इमर्शन थेरेपी से प्रीडायबिटीज वाले लोगों को दो लाभ होते हैं, क्योंकि यह उनकी इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है और हीट शॉक प्रोटीन रिलीज के माध्यम से उनके ब्लड सर्कुलेशन नियंत्रण में सुधार करता है और सूजन को कम करता है। प्रीडायबिटीज वाले लोग जो निष्क्रिय ताप चिकित्सा यानी कि पैसिव हीट थेरेपी के माध्यम से अपने शरीर को प्रतिदिन गर्म करते हैं, उन्हें उपवास के दौरान रक्त शर्करा के बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे और उनके मेटाबॉलिक संबंधी जोखिम कारक कम होंगे। अदरक और दालचीनी युक्त गर्म आयुर्वेदिक पेय पीने से पाचन इन्फ्लेमेशन होती हैं, जो ब्लड शुगर को स्थिर बनाए रखती है।
समझें इन्हें भी

यह भी समझना जरूरी है कि कुछ हर्ब्स ऐसे हैं, जिनका सेवन प्री डायबिटिक की परेशानी को ठीक करता है। जैसे कि गुड़मार (जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे) आपको चीनी या शुगर की क्रेविंग को कम करता है और इंसुलिन के कार्य को बढ़ाता है। वहीं हल्दी (करक्यूमिन) में सूजन-रोधी गुण होते हैं और रक्त शर्करा को नियंत्रित करने वाले गुण होते हैं। वहीं नीम इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है और रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है। त्रिफला एक ऐसी चीज है, जो शरीर को टॉक्सिक होने से हटाता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देता है। तो दालचीनी इंसुलिन के कार्य को बढ़ाता है और ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है। वहीं करेला प्राकृतिक रूप से रक्त शर्करा को कम करता है। और मेथी भी बहुत शानदार चीज है, क्योंकि यह ग्लूकोज के मेटाबॉलिज्म को ठीक करने में मदद करता है। वहीं आंवला में जो विटामिन-सी होता है, वह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और यह पैंक्रियाज के कार्य को बढ़ावा देते हैं।
पंचकर्म चिकत्सा
अगर प्रीडायबिटीज के लिए पंचकर्म चिकित्सा की बात करें, तो पंचकर्म आयुर्वेद की डिटॉक्सिफिकेशन चिकित्सा है, जो टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालती है और मेटाबॉलिज्म संतुलन को बहाल करती है। तो अगर वमन यानी चिकित्सीय वमन की बात करें, तो इससे अतिरिक्त कफ हटाने में मदद मिलती है और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होती है। साथ ही विरेचन यानी कि शोधन चिकित्सा की बात करें, तो यह लिवर और पैंक्रियाज को डिटॉक्सिफिकेशन करता है और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। साथ ही बस्ती औषधीय एनीमा वात और पित्त को नियंत्रित करता है और इंसुलिन प्रतिरोध को कम करता है। वहीं उद्वार्तन हर्बल पाउडर मालिश मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करता है और तक्रधारा यानी कि छाछ चिकित्सा पित्त को शांत करता है और मेटाबॉलिज्म के कार्य को सहायता प्रदान करता है।
प्रीडायबिटीज के लिए सर्वश्रेष्ठ योग आसन
अगर बात योग आसान की की जाए, तो पैदल चलने के अलावा ऐसे कई योग आसन हैं, जो काफी मदद करते हैं। जैसे सूर्य नमस्कार प्री डायबिटीज को बेहतर करने में सक्रिय भूमिका निभा देता है। वहीं पश्चिमोत्तानासन यानी कि बैठकर आगे की ओर झुकना जैसे आसान आपके अग्नाशय यानी की पैंक्रियाज की कार्यप्रणाली यानी सिस्टम को बेहतर करता है। वहीं अर्ध मत्स्येन्द्रासन यानी कि अर्ध मत्स्य मुद्रा, जैसे आसान पाचन और लिवर के कार्य को नियंत्रित करता है। वहीं प्राणायाम यानी कि श्वास व्यायाम में भस्त्रिका प्राणायाम, जो होते हैं, वह शरीर को ऊर्जावान बनाते हैं और मेटाबॉलिज्म को संतुलित करता है। वहीं अनुलोम विलोम के बारे में समझ लें कि नासिका छिद्र से बारी-बारी से श्वास लेना, तनाव कम करता है और रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करता है। वहीं कपालभाति शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालता है और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है।
गर्म खाना

आयुर्वेदिक परंपरा लोगों को अपना भोजन गर्म तापमान पर परोसने की शिक्षा देती है, क्योंकि इससे पाचन और पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है। शोध इस बात की पुष्टि करते हैं कि हल्का पका हुआ गर्म भोजन खाने से लोगों को अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, क्योंकि यह रक्त शर्करा में अचानक वृद्धि को रोकता है। खाना बनाते समय हल्दी, जीरा और अदरक का मिश्रण शरीर को शर्करा को बेहतर ढंग से संसाधित करने में मदद करता है, साथ ही यह लालच को कम करता है और टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालता है। शोध से पता चलता है कि ठंडे खाद्य पदार्थों के बजाय गर्म प्लेट सिद्धांत पर आधारित भोजन करने से प्रीडायबिटिक रोगियों को अपने इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने और बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त करने में मदद मिलती है।