वरिष्ठ महिलाओं के लिए योग आसन सबसे अहम माना गया है। देखा जाए, तो योग करने के लिए हर उम्र सही मानी गई है। लेकिन उम्र के उस पड़ाव पर योगासन की जरूरत तब अधिक होती है, जब पैर सवाल करने लगते हैं और हम मजबूत से जवाब नहीं दे पाते हैं। जब भी हम वरिष्ठ महिलाओं की बात करते हैं, तो उनके लिए योगासन आत्मबल के लिए जरूरी हो जाता है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में संतुलन और ऊर्जा की कमी होने लगती है। इस दौरान सबसे अच्छा पर्याय कुर्सी योग बनकर आता है। आइए जानते हैं विस्तार से योग एक्सपर्ट अनुष्का बापट से।
ताड़ासन महिलाओं के लिए

इस योगासन को करने के लिए सबसे पहले कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं, फिर अपनी रीढ़ को सीधी रखें और दोनों पैरों को फिर जमीन पर स्थिर तरीके से रखें। इसके बाद हाथों को जांघों पर रखें। फिर धीरे-धीरे दोनों हाथों को ऊपर उठाएं, हथेलियां एक-दूसरे की तरफ रखें और फिर गहरी सांस लें और खिंचाव को महसूस करें। इस योगासन से यह लाभ होगा कि आपके शरीर की मुद्रा सुधारती है और साथ ही रीढ़ को सीधा और मजबूत भी बनाता है। मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। हालांकि आपको यह ध्यान देना है कि अगर कंधे में दर्द हो, तो हाथों को सिर के ऊपर ले जाने की जरूरत नहीं है।
ग्रीवा चालन(cervical motion) योगासन महिलाओं के लिए

इस क्रिया को करने के लिए आपको कुर्सी पर आराम से बैठना है। इसके बाद गर्दन को धीरे-धीरे दाईं तरफ घुमाएं, फिर नीचे और फिर बाई तरफ आपको एक वृत्त जैसा बनाना है। आपको यही प्रक्रिया विपरीत दिशा में भी करनी है। इस योगासन से आपको यह लाभ होता है कि गर्दन और कंधों की अकड़न कम होती है। इसके साथ तनाव और माइग्रेन में भी राहत मिलती है। इससे यह भी लाभ होगा कि झुकती गर्दन की समस्या को रोका जा सकता है। हालांकि, आपको इस क्रिया को करते समय यह ध्यान में रखता है कि गर्दन को जोर से नहीं मोड़ना है और धीमा घुमाते हुए गर्दन को नियंत्रित भी रखना है।
कटि चालन योगासन महिलाओं के लिए

इस योगासन को करना भी काफी आसान है और बुर्जुग महिलाएं कुर्सी पर बैठकर इस आसान को आराम से कर सकती हैं। इस क्रिया को करने के लिए सबसे पहले कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं। इसके बाद दाहिने हाथ से कुर्सी की बाईं पीठ को पकड़ें और फिर शरीर को धीरे-धीरे बाईं तरफ मोड़ें। इसके बाद आपको अपनी पीठ को सीधा रखना है और फिर आंखें बाएं कंधे की दिशा में रखना है। आपको इसके बाद सांस को कुछ सेकंड तक रोकते हुए फिर पुरानी स्थिति में लौटना है और दूसरी तरफ भी इसे ऐसे ही दोहराना है। उल्लेखनीय है कि इस क्रिया के करने से रीढ़ की लचक और शक्ति बढ़ती है। इसके साथ ही पाचन में भी सुधार होता है और मानसिक तनाव घटता है। आपको यह ध्यान रखना है कि खुद को मोड़ने के दौरान हाथ को झटका नहीं देना है और सहजता से धीरे-धीरे इस क्रिया को करना है।
अर्ध पद्मासन हाथ मुद्रा महिलाओं के लिए

इस क्रिया को करने के लिए कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं। इसके बाद दाहिने टखने को बाएं घुटने के ऊपर रखें और फिर पीठ को सीधा रखना है और हाथ को घुटनों पर रखें। अगर सुविधा हो, तो थोड़ा सा आपको आगे की तरफ झुकना है। इस क्रिया से आपको यह लाभ होगा कि कूल्हों(हिप्स) और नितंबों(बटॉक्स) की जकड़न कम हो जाती है और साथ ही पीठ के दर्द में भी राहत मिलता है। इससे आंतरिक तनाव भी घट जाता है। ध्यान रखें कि यह क्रिया करने के दौरान जिनके घुटनों में तकलीफ होती है, उन्हें आगे नहीं झुकना है।
गोमुखासन हाथ मुद्रा महिलाओं के लिए

इस क्रिया को करने के लिए सबसे पहले दाहिने हाथ को ऊपर उठाकर पीठ के पीछे लेकर जाएं। इसके बाद बाएं हाथ को नीचे से घुमाकर पीठ के पीछे ले जाएं। आपको इसके बाद दोनों हाथों की उंगलियां मिलाने की कोशिश करनी है। आपको कुछ सेकंड के लिए इस स्थिति में रहना है और फिर बदलना है। ध्यान दें कि यह योगासन से कंधों की जकड़न को खोलता है। पीठ की ऊपरी मांसपेशियों को भी खींचता है और बैठने की मुद्रा को भी सुधारता है। इस क्रिया को करने के दौरान आपको यह ध्यान रखना है कि हाथों को अगर आप नहीं पकड़ पा रही हैं, तो तौलिया की मदद ले सकती हैं।
बुर्जुग महिलाएं योग करते समय ध्यान रखें जरूरी सावधानियां
योग बुजुर्ग महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है। यह न केवल शरीर को सक्रिय रखता है, बल्कि मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन भी प्रदान करता है। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ शरीर की बनावट और सहनशक्ति में बदलाव आता है, इसलिए योग करते समय कुछ खास सावधानियों का पालन करना आवश्यक होता है। आपको योग शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह जरूर लेना है। खासतौर पर अगर आपको उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस, गठिया या हृदय रोग की समस्या हो रही है। इसके साथ, अगर आपकी हाल ही में किसी भी तरह की सर्जरी हुई है। साथ ही सांस जुड़ी किसी भी तरह की समस्या होने पर भी आपको डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट से जरूर सलाह लेनी चाहिए। अपने मन से कुछ भी क्रिया नहीं शुरू करना चाहिए। किसी भी आसन को करने के दौरान जबरदस्ती न करें। अगर आसन करने के दौरान दर्द होता है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। धीरे-धीरे समय और अपनी क्षमता के अनुसार योगासन के अभ्यास को बढ़ाना है। योग सत्र से पहले और बाद में पर्याप्त पानी पीना जरूरी है। लेकिन योग करते समय पानी अधिक मात्रा में न पिएं। बुजुर्ग महिलाओं के लिए योग एक वरदान है, लेकिन यह तभी प्रभावी होता है जब सुरक्षित और समझदारी से किया जाए। आप अपने अनुभव, शांति और संयम से जीवन के इस पड़ाव को भी स्वस्थ, आत्मनिर्भर और सशक्त बना सकती हैं।योग को जीवन का हिस्सा बनाएं, केवल “एक्सरसाइज” न मानें। शांत और स्वच्छ जगह पर योग करें।
कुर्सी पर योग करने का लाभ
कुर्सी पर योग करने का लाभ यह होता है कि यह रीढ़, कंधे, गर्दन, कूल्हों(हिप्स) और टखनों(ऐंकल्स) में जकड़न को दूर करता है। जोड़ों की गतिशीलता बनाए रखता है। धीरे-धीरे शरीर को अधिक सक्रिय बनाता है। धीमी गति के आसन और गहरी सांसों से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल स्तर में संतुलन लाने में सहायक होता है।