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टेक्सटाइल इंडस्ट्री में महिलाओं का रहा है खास योगदान

रजनी गुप्ता |  अगस्त 12, 2024

देश की जीडीपी के साथ रोजगार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाली इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री, भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे पुरानी और सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र मानी जाती है । गौरतलब है कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में महिलाओं का योगदान अभूतपूर्व रहा है। आइए जानते हैं भारतीय कपड़ा उद्योग में महिलाओं की यात्रा के बारे में। 

दृढ़ता से कायम महिलाओं ने बनाई अपनी जगह 

पहले ग्रामीण क्षेत्रों में कपड़ों का काम अक्सर एक घरेलू मामला हुआ करता था, जिसकी अधिकतर जिम्मेदारी महिलाओं की होती थी। यही वजह है कि कपड़ों की कताई, बुनाई से लेकर कढ़ाई और रंगाई जैसी गतिविधियां महिलाओं के हिस्से आती थी, लेकिन आजादी के बाद जब टेक्सटाइल इंडस्ट्री का स्वरूप विशाल हुआ, तब  महिलाओं की स्थिति भी घरेलू न होकर प्रोफेशनल हो गयी। हालांकि थोड़ा पीछे जाए तो आप देखेंगी कि अतीत में सामाजिक और सांस्कृतिक जिम्मेदारियों के चलते व्यवसाय में महिलाओं की भागीदारी सिमित कर दी गई थी, लेकिन औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री में महिलाओं को सबसे आगे लाकर खड़ा कर दिया। हालांकि शुरुआत में उन्हें बतौर श्रमिक कम वेतन के साथ, कम कुशल नौकरियों में धकेल दिया गया था, लेकिन वे पूरी दृढ़ता से अपनी जगह कायम रहीं और आज इस इंडस्ट्री का अभिन्न अंग बन चुकी हैं। 

टेक्सटाइल इंडस्ट्री को ले जा रही हैं सफलता की ओर  

हाल के आंकड़ों पर नजर डालें, तो आप देखेंगी कि आज टेक्सटाइल इंडस्ट्री में 60 से 70 प्रतिशत की हिस्सेदारी सिर्फ महिलाओं की है। प्रोडक्शन के साथ क्वालिटी कंट्रोल, डिजाइन और मैनेजमेंट हर जगह महिलाओं का दखल है। कुशल कारीगरों से लेकर डिजाइनरों, इंजीनियरों और अधिकारियों के रूप में महिलाएं स्ट्रैटेजिक निर्णय लेते हुए इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री के विकास में उल्लेखनीय योगदान कर रही हैं। विशेष रूप से बीते कुछ वर्षों में इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री में काफी महिलाएं प्रभावशाली शख्सियत के रूप में उभरी हैं। इनमें ग्रामीण कारीगरों को आजीविका के स्थायी साधन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाली नीलम छिब्बर के साथ पर्यावरण-अनुकूल फैशन ब्रांड के साथ सफलता की ओर बढ़नेवाली मशहूर फैशन डिजाइनर अनीता डोंगरे का नाम इस इंडस्ट्री में आनेवाली महिलाओं के लिए प्रेरणा स्वरूप है। 

फिर भी हैं कुछ चुनौतियां 

इतनी सफलताओं के बावजूद आज भी इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री में कुछ ऐसी चुनौतियां हैं, जिनका सामना वे कर रही हैं। इनमें सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं के साथ कार्यस्थलों पर भेदभाव, शिक्षा और प्रशिक्षण का सिमित ज्ञान तथा घर-परिवार और समाज की ये रुढ़िवादी सोच भी महिलाओं के काम में बाधा डाल रही है, जो सोचते हैं कि महिलाओं को सिर्फ घर-परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके अलावा जेंडर असमानता के साथ असमान वेतन, उन्नति के सिमित अवसर, सुरक्षा और उत्पीड़न संबंधी चिंताएं भी उनकी चुनौतियों में शामिल हैं। हालांकि इन चुनौतियों के बावजूद महिलाएं अपने चुने हुए क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। 

प्रगति के साथ ला रही हैं नयापन 

अपनी इन चुनौतियों के बावजूद, टेक्सटाइल इंडस्ट्री की चुनौतियों के मद्देनजर महिलाएं नए दृष्टिकोण के साथ नए और रचनात्मक समाधान लेकर आ रही हैं। विशेष रूप से जैविक सामग्रियों का उपयोग करते हुए पर्यावरण अनुकूल कपड़ों को विकसित करने और नई डिजाइन तकनीकों को प्रस्तुत करने में उनका योगदान अमूल्य है। इससे स्थिरता की दिशा में वैश्विक बदलाव के अनुरूप टेक्सटाइल इंडस्ट्री न सिर्फ लोकप्रिय हो रही है, बल्कि टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स की क्वालिटी पर इसका सकारात्मक प्रभाव भी पड़ रहा है। इसकी वजह यह भी है कि महिलाओं के नेतृत्व वाली टीमें कुशल प्रोडक्शन तरीकों का उपयोग करके न सिर्फ प्रोडक्टिविटी को सुधारने में मदद करती हैं, बल्कि चीजें बर्बाद होने से भी बचाती हैं।       

इस भागीदारी को समर्थन और प्रोत्साहन है जरूरी

महिलाओं की सफल भागीदारी को देखते हुए, इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री में उन्हें आवश्यक संसाधनों के साथ प्रशिक्षण और अवसर देने के लिए कई कोशिशें की जा रही हैं। इनमें इंटीग्रेटेड स्किल डेवेलपमेंट स्कीम (ISDS) के साथ प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) जैसी योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं के माध्यम से टेक्सटाइल इंडस्ट्री में गारमेंट मैनुफैक्चरिंग, टेक्सटाइल डिजाइन और क्वालिटी कंट्रोल जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान कर महिलाओं को रोजगार के बेहतर अवसर दिलाने में मदद की जा रही है। सरकारी संगठनों के अलावा स्वयं नियोजित महिला संघ (SEWA) और मिजवां वेलफेयर सोसाइटी जैसी गैर सरकारी संगठन भी महिलाओं को सशक्त बनाते हुए, उन्हें आजीविका के स्थायी साधन दिलाने में मदद कर रही हैं, जिससे महिलाओं को आर्थिक आजादी के साथ अपनी जिंदगी बेहतर बनाने का मौका मिले। इसी कड़ी में अपने कदम आगे बढ़ाते हुए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) ने महिलाओं को इस क्षेत्र में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए विशेष पाठ्यक्रम और कार्यक्रम बनाये हैं। इसके अलावा महिलाओं की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स, कॉर्पोरेट ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन भी कर रहे हैं।

 

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