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नौटंकी विधा भी है कला का अहम हिस्सा, जानें महिलाओं का योगदान

रजनी गुप्ता |  जुलाई 26, 2024

नौटंकी, नाट्य शास्त्र की एक प्रमुख विधा रही है, किंतु 30 के दशक तक नौटंकियों में महिलाओं का अभाव था। उनकी जगह पुरुष, महिलाओं की भूमिकाएं निभाते थे, लेकिन जब महिलाओं ने नौटंकी की कमान संभाली, तो लोकप्रियता की सारी हदें पार गयीं। आइए जानते हैं नौटंकी को ऊंचाई देती महिलाओं के बारे में।  

पुरुषों पर भारी पड़ी गुलाब बाई 

एक लंबे अरसे से नौटंकी, भारतीय रंगमंच की एक समृद्ध विधा रही है और इसमें महिलाओं का पलड़ा सदैव भारी रहा है। विशेष रूप से उत्तर भारत और बिहार में नौटंकी नायिकाओं ने अपनी खास जगह बनायी। कई सफल नौटंकी नायिकाओं ने तो अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी भी खोली। इस तरह नौटंकियों को प्रचारित-प्रसारित करने में इनकी भूमिका काफी अहम रही है। फिलहाल इसमें सबसे पहला नाम आता है गुलाब बाई का, जिन्हें लोग गुलबिया के नाम से पुकारते थे। गायकी के गुणों से भरपूर गुलाब बाई ने 1931 में महज 12 वर्ष की उम्र में अपने पिता के साथ मकनपुर मेले में पहली नौटंकी, तिरमोहन लाल एंड कंपनी की राजा हरिश्चंद्र देखी थी और तय कर लिया था कि चाहे जो हो जाए वे भी नौटंकी का हिस्सा बनकर रहेंगी। पिता से काफी मिन्नतों के बाद वे उसी नौटंकी कंपनी से जुड़ गईं और इस तरह नौटंकी को उसकी पहली हीरोइन मिली। अभिनय के साथ गायकी में पारंगत गुलाब बाई ने अपनी कई नौटंकियों में अभिनय के साथ लोक और अर्ध-शास्त्रीय शैली दादरा और रसिया में गायन भी किया। उनके कई गाने रिकॉर्ड भी हुए, जो आज भी मौजूद हैं। 

नौटंकी को दिलाई राष्ट्रीय पहचान 

गुलाब बाई के साथ उनकी बहनें चहेतन बाई, पाती काली और सुखबदन ही नहीं उनकी बेटियां आशा और मधु अग्रवाल भी नौटंकी का हिस्सा रहीं। 1950 के दशक में गुलाब बाई ने अपनी खुद की नौटंकी कंपनी, ग्रेट गुलाब थियेटर की शुरुआत की, जिसमें लगभग 70 लोग थे। नौटंकी में उनके योगदान के लिए 1985 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1990 में पद्म श्री और 1995 में यश भारती पुरस्कार से नवाजा गया था। नौटंकी की राष्ट्रीय पहचान बन चुकी गुलाब बाई ने 1984 में इस विधा का अस्तित्व सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार से नौटंकी में आनेवाले नए कलाकारों को व्यवस्थित प्रशिक्षण देने और अच्छी नौटंकी को प्रायोजित करने का आग्रह भी किया था। 

गुलाब बाई ने सौंपी अपनी धरोहर 

अपनी छोटी बहन सुखबदन को नौटंकी में गुलाब बाई ही लेकर आई थीं, लेकिन देखते ही देखते सुखबदन दर्शकों के बीच इतनी अधिक लोकप्रिय हो गई कि लोगों ने गुलाब बाई को नकार दिया। ऐसे में अपनी विरासत के एवज में गुलाब बाई ने अपनी नायिका की पदवी, अपनी बहन को सौंपते हुए खुशी से रिटायर होने का फैसला कर लिया। हालांकि अपने अनगिनत नाटकों में लोकप्रिय होने के बाद सुखबदन ने भी शादी करके नौटंकी को अलविदा कह दिया। 

कमलेश लता ने 40 सालों तक नायिका बनकर किया राज 

सुखबदन के जाते ही नौटंकी को कमलेश लता के रूप में अपना अगला सितारा मिल गया। नौटंकी में कमलेश लता की सफलता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि 60 के दशक में नौटंकी में पदार्पण करनेवाली कमलेश लता अगले 40 वर्षों तक नौटंकियों में नायिका की भूमिका साकार करती रहीं। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के नडगांव में पली बढ़ी कमलेश लता का असली नाम कुरैशी था। उनकी बहनें माला, चंचला और अल्लो भी, उन्हीं की तरह नौटंकी नायिकाएं थीं, जिन्होंने बाद में माला-चंचला नाम से अपनी खुद की नौटंकी कंपनी की शुरुआत की थी। 

मोना देवी ने अनारकली बनकर जीता दिल 

यूपी और बिहार में लोकप्रिय इस विधा में एक बार नायिकाओं का जो प्रवेश हुआ, फिर कभी उनका अकाल नहीं पड़ा। कमलेश लता और उनकी बहनों के साथ ही 60 के दशक में मोना देवी की तूती बोलती थी। विशेष रूप से फिल्म मुगल-ए-आजम में मधुबाला के किरदार से प्रेरित होकर अपनी नौटंकी में जो अनारकली का किरदार उन्होंने निभाया था, उसे देखकर लोग उनके दीवाने हो गए थे। अनारकली की तरह उनकी एक और नौटंकी डाकू फूलन देवी भी काफी लोकप्रिय हुई थी, जिसमें घोड़े पर सवार होकर उनकी एंट्री को काफी सराहा गया था। 80 के दशक में अपने पति के साथ मिलकर मोना देवी ने भी एक नौटंकी कंपनी शुरू की थी, जो कई सालों तक नौटंकी करती रही। मोना देवी की तरह उनकी बहन बीना देवी भी एक बेहतरीन नौटंकी नायिका थीं। 

नौटंकी में छाया रहा नीलम सुरैया का अंदाज 

 

नौटंकी में अगला नाम आता है, वो  है सुरैया का, जिन्हें उनके चाहनेवाले नीलम सुरैया के नाम से जानते हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी नीलम सुरैया का पूरा परिवार नौटंकी से जुड़ा था। ऐसा माना जाता है कि सुरैया की बड़ी बहन पाउवा, जो उनकी तरह नौटंकी नायिका थी, को वी. शांताराम अपनी एक फिल्म में नायिका की भूमिका देना चाहते थे, किंतु मात्र 16 वर्ष की आयु में अपने प्रतिद्वंदियों द्वारा जहर दिए जाने से उनकी मृत्यु हो गई और फिल्म में उनकी जगह किसी और को ले लिया गया। बाल भूमिकाओं से नायिका की भूमिका तक पहुंची सुरैया ने दारजी मास्टर राम राज से विवाह किया था, जो नौटंकी कलाकारों के कपड़े सिलते थे। 60 वर्ष की आयु तक नौटंकियों में नजर आती रहीं सुरैया ने सदैव अच्छे काम को तवज्जो दी।

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