महिलाओं के जीवन में पोषण की भूमिका ठीक वैसी है जैसे जीवन के लिए सांस की होती है। यह कहने में कोई दोराय नहीं है कि महिलाओं के जीवन के विभिन्न पड़ाव पर उनके पोषण की जरूरत भी अलग हो जाती है। शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक सेहत भी महिलाओं के जीवन का बड़ा हिस्सा बन जाता है। आइए महिला रोग विशेषज्ञ सोनिया चदनानी से जानने की कोशिश करते हैं कि महिलाओं के जीवन के अलग-अलग पड़ाव पर पोषण की क्या भूमिका है।
पीरियड्स

इस दौरान आयरन की कमी होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ पालक, मेथी, गुड़, चुकंदर , अनार, किशमिश का सेवन अधिक करना चाहिए। साथ ही विटामिन सी भी जरूरी होता है। इसके लिए नींबू पानी भी अवश्य पीएं। इसके अलावा दूध, दही, पनीर, केले,बादाम, तिल के साथ कद्दू के बीज को भी अपने खान-पान का हिस्सा बनाएं। शरीर में एनर्जी बनाए रखने के लिए ओट्स, ब्राउन राइस, किनोआ, फल और सब्जियों का भी सेवन करें। दाल, चना, अंडा, सोया और पनीर को भी अपने खाने की थाली का हिस्सा बनाएं। चाय और कॉफी से बचें और साथ ही नमक का सेवन भी कम मात्रा में करें।
गर्भावस्था के दौरान प्रोटीन

गर्भावस्था के दौरान मां और गर्भ में पल रहे बच्चे, दोनों के लिए पोषण बहुत ही जरूरी होता है। प्रोटीन के कई सारे अच्छे स्रोत हैं, जो कि महिलाओं के लिए खासतौर पर गर्भावस्था के दौरान बेहद जरूरी होते हैं। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अरहर,मूंग, चना, मसूर,राजमा, सोया, टोफू, दूध और दूध से बने हुए पदार्थों का जरूर सेवन करना चाहिए। इसके साथ बादाम, अखरोट, चिया सीड्स, तिल और अलसी को भी अपने डॉक्टर की सलाह पर जरूर डायट में शामिल करना चाहिए। साबुत अनाज में ओट्स, ब्राउन राइस, गेहूं और किनोआ को भी अपने डायट में शामिल करें। महिलाएं गर्भावस्था के दौरान अंडा, चिकन, मछली के साथ दही में पकी हुई मछली का भी सेवन करना चाहिए। साथ ही नाश्ता में मूंग दाल चीला, राजमा सलाद, ड्राई फ्रूट्स और सोया पुलाव या फिर अंडे की भुर्जी का भी सेवन कर सकती हैं।
मेनोपॉज के दौरान प्रोटीन

इस दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी होती है। ऐसे में महिलाओं के लिए खास तौर पर प्रोटीन की जरूरत होती है। मेनोपॉज के दौरान मां पेशियों की ताकत कम हो जाती है। साथ ही हड्डियां भी कमजोर होने लगती है। वजन बढ़ने की संभावना रहती है। ऐसे में अपने डायट में मसूर, मूंग और चना दाल को शामिल करें। इसके अलावा बीन्स में राजमा, छोले, लोबिया को अपने डायट में जरूर शामिल करें। सोया भी हार्मोन बैलेंस में मदद करता है। दूध, दही और पनीर प्रोटीन के साथ कैल्शियम का भी अच्छा माध्यम माना गया है। नट्स और बीज को भी अपनी डायट में शामिल करें। बादाम, अखरोट, तिल , चिया सीड्स को अपने डायट का हिस्सा बनाएं। आप अपने डायट में अंडा, चिकन, मछली को भी शामिल कर सकती हैं। इसके साथ पानी भरपूर मात्रा में पीना चाहिए।
महिलाओं को उम्र बढ़ने के दौरान प्रोटीन

महिलाओं में उम्र बढ़ने के दौरान सबसे बड़ी समस्या मांसपेशियों को लेकर होती है। बढ़ती हुई उम्र के साथ शरीर में प्रोटीन कम होने लगता है। उम्र के साथ हड्डियां कमजोर होने लगती है। नट्स और बीज को भी अपनी डायट में शामिल करें ।बादाम, अखरोट, तिल , चिया सीड्स को अपने डायट का हिस्सा बनाएं। अंकुरित अनाज और बीज का सेवन करें। महिलाओं को उम्र बढ़ने के साथ प्रतिदिन 1–1.2 ग्राम प्रोटीन प्रति किलोग्राम शरीर वजन की आवश्यकता होती है। इसके साथ किसी भी तरह की एक्सरसाइज और व्यायाम को भी अपनाना चाहिए।
60 की उम्र के बाद महिलाओं के लिए प्रोटीन

60 की उम्र के बाद मेटाबोलिज्म धीमा पड़ने के कारण वजन बढ़ने, हड्डियों के कमजोर होने, और मांसपेशियों के नुकसान का खतरा भी बढ़ जाता है। सही प्रोटीन सेवन इन सभी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। प्रोटीन और फाइबर से भरपूर दालें आहार के तौर पर ग्रहण करें। टोफू, सोया,दूध,सोया चंक्स को खाने में अपनाएं। इससे हार्मोनल बैलेंस होता है। बादाम, अखरोट, तिल,चिया सीड्स और अलसी को भी खाने में इस्तेमाल करें।