संगीत, गीत, चित्रकारी, नृत्य यह सब न केवल अपने शौक को जीवित रखने का जरिया है, बल्कि इन सभी के जरिए महिलाएं तनाव से भी बाहर आ सकती हैं। आपने म्यूजिक थेरेपी के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानती हैं कि इसके जरिए आप कुछ समय के लिए खुद को मानसिक तनाव से दूर रख सकती हैं। घरेलू जिम्मेदारियां, प्रोफेशनल दुनिया के उतार-चढ़ाव और निजी जीवन की उलझनों के बीच कला ऐसा माध्यम है, जो न केवल आपकी रचना को बढ़ाता है, बल्कि आपके मानसिक सेहत के लिए भी सही माना गया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
रंग और चित्रकारी

कई महिलाएं ऐसी होती हैं, जो कि खाली वक्त में चित्रकारी करना पसंद करती हैं। इस बारे में जानकारों का कहना है कि जब भी महिलाएं रंगों को देखती हैं या उनका उपयोग करती हैं, तो यह उन्हें तनाव से बाहर लाने का एक जरिया बन जाता है। चित्र बनाना, पेंट करना, स्केच बनाना आपको परेशानी से मानसिक तौर पर दूर होने और खुद को रैलेक्स करने का रास्ता दिखाता है।
कढ़ाई, बुनाई और पेपर क्राफ्ट

आपने देखा होगा कि कैसे पुराने जमाने में दादी और नानी स्वेटर को बुनने के साथ कई तरह के कढ़ाई का काम करती थीं। इससे कहीं न कहीं वह खुद को दिमाग को शांत करने का काम करती थीं। जानकारों का कहना है कि कढ़ाई, बुनाई, पेपर क्राफ्ट या फिर मिट्टी से बनी हुई चीजें मेडिटेशन का हिस्सा हैं। जब भी महिलाएं हाथों से कुछ बनाती हैं, को वह अपने बीते हुए दिन या फिर बीती हुई परेशानी से बाहर आकर वर्तमान में रहती हैं और इससे उनके दिमाग और मन में निगेटिव विचार भी कम आते हैं।
संगीत और नृत्य

आपने यह भी सुना होगा कि संगीत के जरिए आप अंदरूनी तौर पर हील होते है। इस बारे में जानकारों का कहना है कि “संगीत या नृत्य के ज़रिए महिलाएं अपनी दबी भावनाओं को बाहर लाती हैं। खासकर जिन महिलाओं को बोलकर बात करना कठिन लगता है, उनके लिए यह सबसे सुरक्षित ज़रिया है।”
लिखने का तरीका
कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें अपनी भावनाओं को लिखने का शौक होता है। किसी डायरी पर या फिर मोबाइल फोन में नोट्स के जरिए अपनी भावना और अपने मन के अंदर की उलझनों को डायरी पर सुलझाने का काम करती हैं। यह भी काफी हद तक तनाव को कम करने में मदद करता है। “डायरी लेखन, कविता या कहानी लिखना – ये न केवल आत्म-अभिव्यक्ति हैं, बल्कि व्यक्ति के अंदर चल रहे संघर्षों का दस्तावेज़ भी हैं। महिलाओं के लिए यह आत्म-पहचान और आत्म-संवाद का जरिया बनता है।”
कला से जुड़ने के लिए

किसी भी तरह की कला से जुड़ने के लिए आपको यह समझना होगा कि आपकी दिलचस्पी किसमें अधिक है। आपको अपनी दिलचस्पी उसी तरफ आगे बढ़ती है। ताकि आप अपने शौक पर पूरी दिलचस्पी के साथ काम करें। कई जगहों पर कला से जुड़े कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। आप उनका हिस्सा बन सकती हैं। यूट्यूब चैनल पर भी आपको इसकी ट्रेनिंग मिल सकती हैं। महिलाएं घर में अपने लिए अपना कोना तैयार कर सकती हैं। जहां पर समय निकालकर या फिर खाली वक्त में लिखना, रंग भरना, पढ़ना या फिर कढ़ाई जैसा काम कर सकती हैं।
विदित हो कि कला केवल रचना नहीं है, यह एक तरह से मुफ्त चिकित्सा है, जिसका उपयोग करना हम भूल चुके हैं। अपने मन के कलाकार को जगाकर आप अपने जीवन से तनाव को बाहर फेंक सकती हैं। खुद के लिए आप अपनी थैरेपिस्ट बन सकती हैं।