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दादी-नानी के जमाने की स्ट्रेंथ एक्सरसाइज, सदाबहार सेहत का खजाना

प्राची |  अप्रैल 18, 2025

दादी और नानी के जमाने में फिटनेस का मतलब दिन से रात भर की मेहनत और सेहतमंद खान-पान रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस तरह की एक्सरसाइज जिम में कराई जाती है और योग में भी जिस तरह के आसन किए जाते हैं, वो एक तरह से हमारी दादी और नानी के हर दिन के काम करने की क्रिया रही है। पत्थर की चक्की से आटा पिसना हो या फिर खेतों में धान कटाई का काम, दादी और नानी ने पसीना बहाकर अपने शरीर की हड्डियों को मजबूत करती रही है। आइए जानते हैं विस्तार से।

जमीन पर बैठने और उठने की क्रिया

पुराने समय में जमीन पर बैठकर सील पर मसाला पीसने या फिर कूटने का काम होता था। यहां तक पंजे के बल पर बैठकर मिट्टी के घर को पोछने और साफ करने का काम भी होता था। इसे नए जमाने में स्क्वेट एक्सरसाइज कहते हैं। इस तरह की क्रिया करने से जांघों और घुटनों की ताकत बढ़ती है। पेट और पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती है। साथ ही घुटनों में लचीलापन आता है। दादी और नानी घंटों पिसाई या झाड़ू-पोछा में यही क्रिया बार-बार की जाती।

ओखली में मूसल चलाना

ओखली और मूसल को आप पुराने जमाने का मिक्सर समझ सकती हैं। यह मिक्सर ऐसा होता था, जहां पर महिलाओं को अपने हाथ और बल का प्रयोग करके सूखे मसाले पीसने होते थे। खेती के लिए मूसल में अनाज को कूटा जाता था। खास तौर पर हल्दी, धनिया, लाल मिर्च को कूट कर सूखे मसाले को तैयार किया जाता रहा है। इसमें हाथ, कंधों और बाजुओं पर अधिक बल पड़ता है। इससे हाथों और कंधों में ताकत भी बढ़ती है। मूसल चलाने के दौरान शारीरिक मेहनत अधिक करनी होती है। इससे पेट का हिस्सा भी मजबूत होता है। इससे संतुलन और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इसे आप देसी आर्म वर्कआउट भी कह सकती हैें।

चक्की पीसना

गांव में गेहूं और दाल पीसने के लिए मिट्टी की चक्की को हाथ, पैर और कमर के बल का प्रयोग कर इस्तेमाल किया जाता रहा है। आप यह समझ सकती हैं कि इस तरीके से पूरे शरीर की एक्सरसाइज होती है। हाथ से लगाकार चक्की को घुमाते रहने से कंधों और छाती की ताकत बढ़ती हैं। साथ ही कोर मसल्स को भी मजबूती मिलती है। मिट्टी के चकरे से आटे पीसने पर सबसे अधिक जोर लगता है। जिम में इसी तरह की एक्सरसाइज को ओवरहेड प्रेस एक्सरसाइज और स्क्वाट्स शामिल है। यह भी दादी और नानी के जमाने की सबसे लोकप्रिय एक्सरसाइज है। 

झाड़ू और पोछा मारना

झाड़ू और पोंछा मारने के लिए नए जमाने में मशीन का प्रयोग किया जाता है। लेकिन दादी-नानी के जमाने में पंजों के बल पर बैठकर झाड़ू और पोंछा मारा जाता रहा है। ऐसा करने के दौरान पंजे के बल पर आने से कोर मसल्स, घुटनों और जांघों पर जोर पड़ता है। साथ ही कमर में भी लचीलापन आता है। हाथ और कमर के बल झुककर जमीन साफ करना लोअर बैक, हिप्स और जांघों की एक्सरसाइज होती है। इसे शरीर में लचीलापन बढ़ता है। यह एक तरह से कार्डियो का भी काम करता है। जिम और योग के दौरान कई तरह की ऐसी एक्सरसाइज मौजूद हैं, जहां पर पंजे के बल पर बैठना और फिर वाॅक करने की एक्सरसाइज की जाती है। इससे शरीर के हर हिस्से की मसल्स मजबूत बनती है।

रस्सी से पानी खींचने की एक्सरसाइज

दादी और नानी के जमाने में नल से पानी लाने की सुविधा नहीं होती। कुएं से रस्सी खींचकर पानी निकालना एक आम तरह की एक्सरसाइज दादी-नानी के जमाने की है। कुएं से रस्सी से खींचकर पानी निकालने में शरीर के हर हिस्से की ताकत बढ़ती है। हाथ, कंधा, पेट और पीठ के साथ पैरों की भी ताकत बढ़ती है। इससे अपर बॉडी, बाइसेप्स भी मजबूत होते हैं। इससे आपके हाथों की पकड़ मजबूत होती है और कंधे भी मजबूत होते हैं। इससे शरीर में ताकत आती है। 






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