बड़ा रे महातम, छठी हो बरतिया
मनसा पुरावेली, सब छठी मैया
छूटे न अबकी, छठ के बरतिया
छुट्टी लेके घरे अइह, करब बरतिया

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जाते-जाते भी होंठों पर थे छठ गीत
भावपूर्ण स्वर से सजे अपने इस पसंदीदा गीत में शारदा सिन्हा ने छठ पूजा की महिमा का बखान करते हुए छठ व्रत न छूटने की गुहार छठी मइया से लगाई है। वर्षों से हर वर्ष छठ के मौके पर गूंजते इस गीत के साथ कई अन्य गीतों में मानों शारदा सिन्हा का गौरवमयी व्यक्तित्व समाया है। हालांकि छठ पूजा के पहले दिन उनका यूं अपने श्रोताओं को छोड़कर चले जाना छठ प्रेमियों के साथ पूरे भारत को अखर गया। और हो भी क्यों न, छठ और लोक गीतों के साथ मिथिला और भोजपुरी की सदाबहार गायिका शारदा सिन्हा का संगीत आज मनोरंजन की बजाय हमारी सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोगों के दिलों में बसा रहा है और बसा रहेगा। यह उनके मधुर किंतु ओजमयी स्वरों का ही असर है कि बिहार और उत्तर भारत के हर सांस्कृतिक आयोजन में उनके गीतों का बजना उत्सव का ही हिस्सा बन चुका है और विशेष रूप से छठ पर्व उनके गीतों के बिना अधूरा है।
विजया से बनीं शारदा पर आजीवन रहा मां शारदा का आशीर्वाद

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यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में 1 अक्टूबर 1952 में एक शिक्षा अधिकारी पिता के घर जन्मीं शारदा सिन्हा का असली नाम विजया था और उनका पहला प्यार गायकी न होकर नृत्य था। बचपन में मणिपुरी नृत्य में महारत हासिल कर चुकी शारदा सिन्हा ने कई सार्वजनिक मंचों पर प्रस्तुतियां भी दी थीं, लेकिन समय के साथ नृत्य की जगह गायकी ने ले ली और वे बन गईं हिन्दुस्तान की लोकप्रिय लोक-गायिका। हालांकि विवाह के बाद ससुराल में उनके ससुरालवालों ने उनकी गायकी का काफी विरोध किया, लेकिन सहयोगी पति बृजकिशोर सिन्हा की मदद से उन्होंने इस मुश्किल दौर को भी पार कर लिया और गायकी में झंडे गाड़ती चली गईं। लोक संस्कृति का परिचायक बन चुकीं शारदा सिन्हा की संगीत साधना को देखते हुए बिहार सरकार की तरफ से न सिर्फ उन्हें बिहार कोकिला, बल्कि भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री और पद्मविभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
लोक संस्कृति के प्रति प्रेम और समर्पण

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शारदा सिन्हा ने अपने जीवन में लोक संगीत को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किए। उन्होंने आम बोलचाल की भाषा में ऐसे गीत गाए, जिनमें न केवल संगीत का रस है, बल्कि लोक जीवन की सच्ची झलक है। इन गीतों में ग्रामीण जीवन, भारतीय परिवारों के आपसी रिश्ते, ममता, प्रेम, विरह और दुख के सजीव चित्रण के साथ एक तरह का अपनापन है, जो सुनने वाले को उनके गीतों से जोड़ देता है। उनके गीतों के अलावा उनकी गायकी की बात करें तो उनकी आवाज में एक आत्मीयता है, जिससे हर कोई उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ जाता है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके गीतों को बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्मों, जैसे मैंने प्यार किया, हम साथ-साथ हैं, गैंग्स ऑफ वासेपुर में न सिर्फ इस्तेमाल किया गया, बल्कि प्रभावी ढंग से इस तरह दर्शाया गया की उसकी स्मृति कभी फीकी नहीं पड़ेगी। इसके अलावा अपने भोजपुरी गीतों के जरिए उन्होंने न सिर्फ पूरे भारत के श्रोताओं के दिल में अपनी खास जगह बनाई बल्कि अन्य क्षेत्रों के लोगों तक मिथिला और भोजपुरी संस्कृति का संदेश पहुंचाया।
आधुनिकता के साथ परंपरा का मेल

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शारदा सिन्हा ने पारंपरिक लोक गीतों को जिस तरह समकालीन धुनों और नई तकनीकों के साथ प्रस्तुत किया, उसने उन्हें युवा पीढ़ी के बीच भी लोकप्रिय बना दिया। उन्होंने अपने गीत-संगीत के साथ जिस तरह नए प्रयोग किए, यह उसी का असर है कि युवा वर्ग भी लोकसंगीत की तरफ खींचा चला आया। अगर यह कहें तो कतई गलत नहीं होगा कि शारदा सिन्हा सिर्फ एक लोक गायिका नहीं, बल्कि एक सामाजिक प्रतीक बन चुकी हैं। हालांकि यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंनेबिहार के लोक संगीत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के अलावा महिला सशक्तिकरण के लिए भी कई काम किए हैं। यही वजह है कि उनकी इस सांस्कृतिक यात्रा ने उन्हें न केवल संगीत की दुनिया में ऊंचा स्थान दिलाया, बल्कि एक प्रेरणा के रूप में भी प्रस्तुत किया। सही मायनों में संस्कृति और समाज से जुड़ी शारदा सिन्हा का जीवन आज एक मिसाल बन चुका है। अपने पति बृजकिशोर सिन्हा की मृत्यु के 44 दिन बाद अपने सभी श्रोताओं को अपने लोक-गीतों के साथ पीछे छोड़कर अनंत में विलीन हो चुकीं शारदा सिन्हा के परिवार में फिलहाल पुत्र अंशुमान और पुत्री वंदना हैं। सच कहें तो शारदा सिन्हा के साथ सिर्फ एक व्यक्तित्व नहीं बल्कि लोक - संगीत के स्वर्णिम युग का भी लोप हो गया है।
शारदा सिन्हा के कुछ लोकप्रिय गीत

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हरदी हरदिया - विवाह गीत
बाबा नेने चलियो - बोल बम
तार बिजली से पतले - गैंग्स ऑफ वासेपुर
कहे तोसे सजनी - मैंने प्यार किया
पहिले पहिल छठी मइया - छठ गीत
केलवा के पात पर - छठ गीत
हे छठी मइया - छठ गीत
शिव शंकर दानी - बोल बम
कोयल बिन - केकरा से कहां मिले जाला
हो दीनानाथ - छठ गीत
हरे हरे दुबिया - मेहंदी गीत
कौना मुंह शिव जोगी - बोल बम
लोटबा के कोपेला - विवह गीत
लोगवां देत काहें गारी - विवाह गीत
दादी चुमवहु - मेहंदी गीत
पिरितिया काहे न लगवलु - पिरितिया काहें न लगवलु
सूना हो पाहुन - शुभ विवाह
शिव से गौरी ने ब्याहा - मेहंदी गीत
मोहे लेलखिन सजनी मोर मनवा - विवाह गीत
डुमरी के हो फुलबा
बाबा लेने चलियो - बाबा लेने चलियो
अमुवा महुआ
बन्नी के हाथों में - विवाह गीत
हे गंगा मइया - छठ गीत
सेंदुर बंगाल के - केकरा से कहां मिले जाला
निर्मोहिया - महारानी 2 वेबसीरीज
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