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मां कहीं नहीं जाती वो हमेशा साथ होती हैं ! मां के जाने के बाद भी बरकरार रहता है रिश्ता

टीम Her Circle |  मई 16, 2025

मां हमेशा साथ होती हैं, तबसे जबसे बच्चे की पहली धड़कन सुनाई देती है। मां और बच्चे का एक खास रिश्ता जुड़ जाता है, ऐसे में मां के जाने के बाद भी मां आपके अंदर जिन्दा रहती है। 

लेखक पुनीत शर्मा ने बड़े ही प्यारे शब्दों में मां के दुनिया से चले जाने के बाद के इमोशन को अपने शब्द दिए हैं, जिन्हें अमिताभ बच्चन और यजत गर्ग ने अपनी आवाज दी है। सभी ने मिल कर मां को श्रद्धांजलि दी है। 

पुनीत लिखते हैं 

मेरी रोटी की गोलाई मां 

मेरी रोटी की गोलाई मां 

सर्दी वाली रजाई मां 

मेरा पहला अक्षर मां

मेरे सबसे भीतर मां

पानी जैसी प्यारी मां 

कहानी जैसी न्यारी मां 

गुड़िया जैसी भोली 

रंगीली रंगोली 

मेरी रोटी की गोलाई मां 

मेरे सच के सब सच्चाई मां 

स्वेटर वाली बुनाई मां 

चांद से ज्यादा ठंडी 

डर लगता है जब रोती है मां 

न होने पे भी होती है मां 

लोरी जैसी भोली मां… (जारी )

मां बाप कहीं नहीं जाते 

अमिताभ की ही आवाज में मां को समर्पित एक और बात कही गई है, जो इस बात को सार्थक करते हैं कि मृत्यु के बाद भी मां-बाप कहीं नहीं जाते हैं। 

मां बाप कहीं नहीं जाते 

बस ऐसा लगता है कि वो चले गए 

कभी वो आपके होंठों से मुस्कुराते हैं 

तो कभी वो आपके अंदाज में छलक जाते हैं 

कभी वो आपकी नाक में दिख जाते हैं 

और नहीं तो कभी वो आपके बेटे के बेटी की आंखों में दिख जाते हैं 

कभी वो आपको चौंका देते हैं

आपकी ही निकली जुबान से जो उन्होंने बोली थी 

वो उन लोरियों में हैं, जो आपको याद भी नहीं थे कि आपको याद हैं 

वो उस हिचकिचाहट में हैं, जो आप झूठ बोलते हुए महसूस करते हैं… (जारी ) 

दरअसल, ये सारे शब्द यह दर्शाते हैं कि मां हमेशा साथ होती हैं। 

कंगन और चूड़ियों की खनक से राब्ता 

कभी आप महसूस करके देखिएगा, जब भी आपने किसी की कंगन की खनक सुनी होगी, तो आपको अपनी मां की याद जरूर आई होगी, क्योंकि आपकी मां के कंगन की गूंज हमेशा आपके कानों में गूंजती रहती है और कहीं न कहीं आपका उससे खास कनेक्शन भी हो जाता है, ऐसे में वो खनक ताउम्र आपके साथ होती है। 

खाने के स्वाद से राब्ता 

कभी आपने गौर किया है, जब कहीं दाल के छौंके की खुशबू आपके कानों तक पहुंचती है, तो आप वापस से मां की यादों में खो जाती हैं। कभी दूध-रोटी सान कर खाते हुए तो कभी अचार के चटकारे में, चटनी के स्वाद में तो कभी किसी मिठाई की मिठास में मां अपने होने का एहसास करा ही जाती हैं। इसलिए तो कहते हैं मां हर वक्त आपके साथ ही होती है, वो कहीं नहीं जाती है। 

किचन में रखे मां के डिब्बे 

बड़े ही प्यार से हर मां अपना घरौंदा और चूल्हा-चौका सजाती हैं, फिर उनके जाने के बाद वे डिब्बे उनकी याद, हर बात और मां के हाथों के स्वाद की याद दिलाते हैं, एक झटके में आपके सामने वे पुरानी यादें फिर से तरोताजा हो जाती हैं, यह भी आपकी मां से जुड़ा एक ऐसा कनेक्शन है, जो ताउम्र आपके साथ जुड़ा रहता है।  

वहीं किचन में, जो मां की एक छोटी तिजोरी होती है, स्टील या पीतल के डिब्बे में रखे मुड़े हुए नोट, जो मां का अपना म्युचुअल फंड हुआ करता था, वह भी मां के प्यार के फिक्स्ड डिपॉजिट को पूर्ण रूप से दर्शाता है। 

मां के कपड़ों और गहनों में मां 

जब कभी भी कोई आपको यह कॉम्प्लीमेंट या तारीफ के बोल में कहे, 'एकदम अपनी मां सी दिखती है', तो उस वक़्त भी एक बार फिर से आपकी रगों में मां की यादों का दौड़ना लाजिमी है। उनके हर गहनों की चमक में मां की मुस्कान नजर आती है और यही वजह है कि मां से जुड़ी हर चीज में आप अपनी मां को ही ढूंढने की कोशिश करती हैं, क्योंकि उनके जाने के बाद भी मां आपके जेहन में कहीं न कहीं जिन्दा रहती हैं ताउम्र।

 

 

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