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महिला प्रधान नाटक रहे हैं सशक्त

टीम Her Circle |  जुलाई 27, 2024

अगर महिला और थियेटर की दुनिया की बात की जाए, तो कमाल के महिला थियेटर के नाटक रहे हैं, जो महिला प्रधान विषयों पर बनाये गए हैं, आइए इनके बारे में विस्तार से जानें। 

चित्रांगदा 

रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने द्वारा लिखित नाटकों में महिलाओं को बहुत प्राथमिकता दी है। ऐसे में उनके लिखे नाटकों की बात करें, तो चित्रांगदा उनकी सर्वाधिक पसंद किये जाने वाले महिला नाटकों में से एक रही है।  अविनाश सरमा द्वारा निर्देशित, इस असमिया नाटक का मूल रूप महाभारत से जुड़ा हुआ है। साथ ही इस महाकाव्य में, चित्रांगदा अर्जुन की पत्नियों में से एक की भूमिका में हैं। ऐसे में कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने चित्रांगदा की कहानी को आधार बना कर लिखा है और 1892 में इसे एक नृत्य नाटक में बदल दिया था। 

सलाम नोनी अप्पा और गौहर 

मशहूर थियेटर पर्सनैलिटी लिलेट दुबे कई वर्षों से महिला प्रधान थिएटर पर काम कर रही हैं और वे महिला प्रधान विषयों को लेकर काफी सक्रिय रही हैं कि उन्हें लगातार प्रदर्शित किया जाये। ऐसे में नोनी अप्पा और गौहर कुछ ऐसे ही उनके लोकप्रिय नाटक हैं, जो बेहद लोकप्रिय हैं। बता दें कि गौहर प्ले या नाटक पहली भारतीय गायिका गौहर खान की जिंदगी पर आधारित है, जिनकी आवाज ग्रामोफोन पर रिकॉर्ड की गई थी। यह नाटक विक्रम संपत की किताब 'माई नेम इज गौहर जान' से प्रेरित था। गौहर की कहानी अब तक लोगों के सामने नहीं आई है, इस नाटक के सामने उनकी उसी कहानी को सामने लाने की कोशिश है। वहीं सलाम नोनी आपा एक हास्य नाटक है, जिसमें लिलेट खुद मुख्य भूमिका निभाती हुईं नजर आती हैं। यह ट्विंकल खन्ना की किताब 'द लीजेंड ऑफ लक्ष्मी प्रसाद' की एक छोटी कहानी पर आधारित है। यह नाटक एक विधवा नोनी अप्पा और उसकी बहन बिन्नी के इर्द-गिर्द घूमता है। 

औरत 

सफदर हाशमी के जन नाट्य मंच या पीपुल्स थिएटर फ्रंट (1973) ने औरत (1979) नामक नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया, जिसमें दहेज प्रथा, पत्नी की पिटाई और घरेलू हिंसा जैसे विषय को प्राथमिकता दी गयी। इस महिला रंगमंच ने सीता और सावित्री के पारंपरिक मिथकों को भी पुनर्जीवित किया और महिलाओं के दृष्टिकोण से महाकाव्यों की पुनर्व्याख्या करने का प्रयास किया।

मदर ऑफ 1084

महाश्वेता देवी ने एक दौर में महिलाओं को ध्यान में रखते हुए कई नाटक लिखे। दरअसल, महाश्वेता देवी कुछ चुनौतीपूर्ण और नया खोजने की चाहत के साथ एक नाटककार के रूप में उभरीं। उनके पांच नाटक हैं मदर ऑफ 1084, आजेर, उर्वशी ओ' जॉनी, बेयेन और वॉटर। नाटक मदर ऑफ 1084 एक अराजनीतिक मां की पीड़ा का मार्मिक वर्णन है, जिसने नक्सली आंदोलन की भयावहता देखी है।

इप्टा

गौरतलब है कि इप्टा संस्थान (Indian Peoples Theatre Movement)  ने एक से बढ़ कर एक नाटकों का विमोचन किया, जो महिलाओं पर आधारित थे। अगर हम महिला-केंद्रित मुद्दों की बात करें, तो थिएटर को फोकस किया गया। अगर महिला नाट्यकारों की बात की जाए तो पोइल सेनगुप्ता (अंग्रेजी), वर्षा अदलजा (गुजराती), मंजुला पद्मनाभन (अंग्रेजी), त्रिपुरारी शर्मा ( अंग्रेजी और हिंदी), कुसुम कुमार (हिंदी), गीतांजलि श्री (हिंदी), इरपिंदर भाटिया (हिंदी), नीलम मानसिंह चौधरी (पंजाबी), बिनोदिनी (तेलुगु), बी. ज्यश्री (कन्नड़), शनोली मित्रा (बंगाली), उषा गांगुली (हिंदी), शांता गांधी (गुजराती), सुषमा देशपांडे (मराठी), वीणापाणि चावला (मराठी), और कुदसिया जदी (उर्दू) कुछ प्रमुख महिला नाटककारों में से हैं।

*lead picture courtsey : @NCPA

 

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