महिलाओं को मल्टीटास्कर कहा जाता है, लेकिन उनकी यही कला कई बार उनके लिए तनाव लेकर आती है। यह बहुत जरूरी है कि महिलाएं अपनी शारीरिक सेहत के साथ मन के स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखें। इस बारे में काउंसलर श्वेता की राय लेते हैं और जानते हैं कि आखिर क्यों महिलाओं के लिए सबसे जरूरी है अपने मन की रक्षा करना।
सेहत पर होगा सीधा असर

श्वेता कहती हैं कि मानसिक तनाव महिलाओं के शारीरिक सेहत पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। खासतौर पर महिलाओं को कई सारी बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है, जैसे कि हार्मोनल असंतुलन, पीरियड्स का सही समय पर न होना, माइग्रेन के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती जाती है। जाहिर सी बात है कि अगर आप तनाव पर फोकस करेंगी, तो तनाव आपके शरीर पर फोकस करेगा और आपको अंदरूनी तौर पर कमजोर बनाता चला जाएगा।
महिलाओं के लिए जरूरी संतुलन बनाना

महिलाओं का जीवन कभी एक दिशा में नहीं चलता। अगर महिलाएं किसी भी तरह का तनाव झेलती हैं, तो इसका सीधा असर उनके रिश्ते पर पड़ता है। महिलाओं को परिवार की और समाज की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। अगर किसी भी तरह का तनाव झेलना पड़ा, तो इसका असर उनके निजी जीवन में भी होगा। यदि वे मानसिक रूप से स्वस्थ होंगी, तो वे परिवार, बच्चों और समाज के साथ बेहतर संबंध बना पाएगी और इससे तनाव का बुरा असर निजी संबंधों पर नहीं पड़ेगा।
प्रोफेशनल दुनिया में परेशानी

तनाव न केवल आपके निजी जीवन को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि आपकी प्रोफेशनल दुनिया को भी परेशानी में डाल सकता है। कई स्टडी में भी यह कहा गया है कि महिलाएं अगर अंदरूनी तौर पर खुश रहती हैं, तनाव से मुक्त रहती हैं, तो उनका फोकस करियर पर अपने काम पर अधिक होता है। तनाव मुक्त महिला अपने करियर में ज्यादा फोकस और आत्मविश्वास के साथ काम कर सकती हैं। इससे उनकी प्रोफेशनल ग्रोथ दोनों बेहतर होती है।
मानसिक परेशानी से बचाव

अगर आप किसी भी तरह की मानसिक तनाव का सामना करती हैं, तो इससे लगातार डिप्रेशन, घबराहट और पैनिक अटैक जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो कि परेशानी और अंधकार की दुनिया में लेकर जाती है। अगर महिलाओं को समय पर मानसिक तनाव से मुक्ति मिले, तो इन समस्याओं से बचा जा सकता है।
खुद के आत्म-सम्मान की रक्षा

महिलाओं के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह अपने आत्मसम्मान की रक्षा करें। तनाव आपको केवल डर और घबराहट की तरफ लेकर जाता है। इससे आप अपनी पहचान खो देते हैं। जब महिलाएं मानसिक तौर से सेहतमंद रहेंगी, तो वह अपनी पहचान, रुचियों और आत्म-सम्मान को बनाए रख सकती हैं। इससे उनमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।