सस्टेनेबल फूड चॉइस इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। इसकी वजह यह है कि सेहत। जी हां, हम अक्सर ऐसा खाना चुनते हैं जो जल्दी बन जाए, चाहे वो हमारे शरीर, पर्यावरण या परंपरा के लिए सही हो या नहीं। सस्टेनेबल फूड चॉइस यानि ऐसा भोजन जो स्वास्थ्य, पर्यावरण के साथ सांस्कृतिक मूल्यों को भी संतुलित रखें। आइए सस्टेनेबल फूड चॉइस के बारे में विस्तार से जानते हैं डायटीशियन अमिता तांबेकर से।
सस्टेनेबल फूड क्या है?

अमिता कहती हैं कि सस्टेनेबल फूड चॉइस का मतलब है ऐसे खाद्य पदार्थ चुनना जो न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छे हों, बल्कि पर्यावरण, किसान और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सही हों। पुराने जमाने में जहां पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए किया जाता था, यह ट्रेंड फिर से शुरू हो गया है, जो कि सेहत के लिए भी अच्छा माना गया है।
प्राचीन भारत में मिट्टी के बर्तनों का उपयोग

अमिता कहती हैं कि मिट्टी के बर्तनों का उपयोग सिर्फ परंपरा नहीं, विज्ञान भी था। मिट्टी के बर्तन भोजन को धीमी आंच पर पकाते हैं, जिससे पोषक तत्व नष्ट नहीं होते। ये बर्तन भोजन में प्राकृतिक मिनरल्स जैसे की आयरन , कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम नष्ट नहीं होने देते । खाना ज्यादा स्वादिष्ट और सुगंधित बनता है, जिससे मसाले या नमक अधिक डालने की जरूरत नहीं पड़ती।
खाना पकाने और हैंडलिंग में पौष्टिकता का संरक्षण

अमिता कहती हैं कि खाना पकाते समय कई बार पोषक तत्व गलती से नष्ट हो जाते हैं। कुछ सुझाव जो सस्टेनेबल और सेहतमंद अपने खाने को रख सकती हैं। उसके लिए सब्जियों को ज्यादा काटने या बार-बार धोने से बचें। इससे उनमें मौजूद विटामिन्स जैसे विटामिन सी और विटामिन-बी कम नहीं होते हैं। यह भी जान लें कि प्रेशर कुकर या धीमी आंच पर पकाना, खासतौर पर दालों और चावल के लिए बेहतर है। खाना ज्यादा देर तक गर्म न करें — यह एंटीऑक्सीडेंट्स को नष्ट कर सकता है। लोहे, पीतल या मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करें जो केमिकल लेचिंग से मुक्त हों।
लोकल और सीजनल खाद्य पदार्थों को अपनाएं

अमिता लोकल चीजों के महत्व को लेकर कहती हैं कि जो फल-सब्जियां आपके क्षेत्र में मौसम के अनुसार उपलब्ध हैं, वे अधिक पौष्टिक होती हैं और उनका कार्बन फुटप्रिंट भी कम होता है।
स्थानीय किसानों को भी इससे लाभ होता है। खाद्य पदार्थ एक जगह से दूसरे जगह ले जाते वक्त उसकी पोषकता कम हो जाती है, लोकल खाद्य पदार्थ लेने से खाने की पोषकता बनाए रखने में मदद होती है।
खाना बर्बाद नहीं करें, बचाएं

वह यह भी जरूरी मानती हैं कि खरीदारी से पहले योजना बनाएं, जितनी जरूरत हो उतना ही लें और उतना ही पकाए। बचे हुए खाने को नए रूप में इस्तेमाल करें। जैविक कचरे से खाद बनाएं और अपनी किचन बगिया को पोषण दें। पैकेट फूड का उपयोग न करें। इनमें अक्सर छिपी हुई चीनी, नमक और ट्रांस फैट होते हैं जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। सादा, घर पर बना खाना — स्वास्थ्य और सस्टेनेबिलिटी दोनों के लिए श्रेष्ठ है।