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‘ड्रोन दीदी’ बनकर ग्रामीण भारत को नई ऊंचाइयां दे रही हैं सरपंच सरोज अग्रवाल

रजनी गुप्ता |  अक्टूबर 12, 2024

बतौर सरपंच कई महिलाएं, ग्रामीण भारत को प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए कई प्रयास कर रही हैं, किंतु उड़ीसा राज्य के नुआपाड़ा जिले के बालेश्वर ग्राम पंचायत की सरपंच सरोज अग्रवाल, ‘ड्रोन दीदी’ के तौर पर काफी वाहवाही बटोर रही हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में। 

ग्रामीण भागों की परेशानियां

image courtesy: @villagesquare.in

इसमें दो राय नहीं कि ग्रामीण भारत में सुविधाओं का अब भी अभाव है, ऐसे में मूलभूत जरूरतों के लिए भी लोगों को काफी मशक्क्त करनी पड़ती है। हालांकि ग्रामीण लोगों की कठिनाइयों को समझते हुए सरकार समय-समय पर कई सरकारी योजनाएं लाती रहती हैं, फिर भी कुछ ऐसी दिक्कतें हैं जिनका निदान हो नहीं पाता। ग्रामीण भारत की इन्हीं कुछ समस्याओं में से एक है जरूरतमंदों तक सही समय पर पेंशन पहुंचाना और इसका समाधान बड़े ही आधुनिक अंदाज में ढूंढा है बालेश्वर ग्राम पंचायत की सरपंच सरोज अग्रवाल ने। बालेश्वर ग्राम पंचायत की सरपंच के तौर पर इनके अंर्तगत सात गांव आते हैं, जिनमें से एक गांव भुक्तपाड़ा में पक्की सड़कें नहीं हैं। 25 परिवार वाले इस गांव में मानसून के दौरान स्थिति तब और बिगड़ जाती है, जब पूरा रास्ता कीचड़ से सन जाता है। जैसे-तैसे अपनी जरूरतें पूरी करते वहां के ग्रामीण लोगों को असली परेशानी तब होती है, जब उन्हें जंगलों और रास्ते कई किलोमीटर पैदल चलकर पेंशन लेने पंचायत कार्यालय आना पड़ता है। 

पंचायत की बजाय अपने रुपयों से खरीदा ड्रोन

image courtesy: @villagesquare.in

उस गांव की सरपंच सरोज अग्रवाल के अनुसार वर्ष 2022 में जब वे उन सात गांव की सरपंच बनीं, तो उन्होंने देखा पहले से काफी मुश्किलों का सामना कर रहे लोगों के लिए पेंशन पाना सबसे बड़ी चुनौती है। विशेष रूप से जब उन्होंने देखा कि एक दिव्यांग व्यक्ति अक्सर अपने व्हीलचेयर के सहारे पेंशन लेने के लिए संघर्ष करता रहता है, तो उन्होंने उसकी तरह कई और लोगों की जिंदगी आसान बनाने के लिए एक ड्रोन खरीदने का फैसला किया। हालांकि पंचायत के पास ड्रोन खरीदने के लिए कोई प्रावधान नहीं था, ऐसे में इसे चुनौती की तरह लेते हुए उन्होंने अपने जमा किए गए 60,000 रुपयों से एक 300 ग्राम की क्षमता वाला छोटा सा ड्रोन खरीदा, जो नकदी रुपयों के साथ दवाइयां और अन्य जरूरी सामान भी जरूरतमंदों तक पहुंचाए। उनका उद्देश्य यही था कि शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों की जरूरतें समय पर पूरी हों, जिनमें दिव्यांग, वृद्ध और बीमार ग्रामीण शामिल थें।  

सरोज अग्रवाल बनीं ‘ड्रोन दीदी’

image courtesy: @villagesquare.in

आपको जानकर हैरानी होगी कि बालेश्वर ग्राम पंचायत के तहत आनेवाले गांवों के लिए पेंशन फंड से संबंधित बैंक की दूरी 15 किलोमीटर है, ऐसे में ड्रोन का इस्तेमाल करते हुए सिर्फ पांच मिनट में ग्रामीण लोगों तक पेंशन पहुंचाने का उनका काम काबिले तारीफ साबित हो रही है। पिछले दो साल से ड्रोन के जरिये दूर-दराज इलाकों में रह रहे ग्रामीण लोगों के घर-घर पेंशन पहुंचा रही सरोज अग्रवाल को लोग अब ‘ड्रोन दीदी’ के नाम से पहचनाने लगे हैं। गौरतलब है कि उड़ीसा के राउरकेला शहर में जन्मीं सरोज अग्रवाल वर्ष 1990 में शादी के बाद अपने शहर से 400 किलोमीटर दूर नुआपाड़ा के बालेश्वर गांव चली आई थीं। उनका कहना है कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि शहरी वातावरण में पली बढ़ी होने के बावजूद उन्हें अपनी पूरी जिंदगी ग्रामीण भाग में गुजारनी पड़ेंगी, जहां न सड़कें थी, न बिजली। वे बताती हैं कि जब वे शादी करके इस गांव आई थीं, तब शाम के बाद कोई घर से बाहर भी नहीं निकलता था। 

अन्य जरूरतों के साथ महिला सशक्तिकरण है मुख्य

image courtesy: @villagesquare.in

पिछले 34 वर्षों से गांव की भलाई में लगी सरोज अग्रवाल ने दो वर्ष पहले ही 2022 में सरपंच का पदभार संभाला है। हालांकि अपने दो साल के कार्यकाल में ही उन्होंने ऐसे-ऐसे काम किये हैं कि सभी की निगाहें उन पर जम गई हैं। अपनी सूझ-बूझ से उन्होंने महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा के लिए एक ऐसा कदम उठाया है, जो बेहद दिलचस्प है। बालेश्वर पंचायत की सरपंच बनते ही उन्होंने घोषणा कर दी थी कि हर लड़की के जन्म पर 50 पेड़ लगाए जाएंगे। कन्या जन्म के साथ वे विधवा पेंशन योजना और राशन कार्ड की हिमायती भी हैं, जिससे जरूरतमंदों को हर माह मुफ्त अनाज के साथ 3000 रूपये भी मिले। अपने गांव को स्मार्ट बनाने के लिए वे स्मार्ट स्कूल के साथ स्मार्ट आंगनवाड़ी बनाने की योजना भी बना रही हैं, जिसमें सीसीटीवी कैमरों के साथ आरओ का साफ पानी, पंखें और बच्चों को बैठने के लिए डेस्क हो।  

Lead image courtesy: @toppersnotes.com

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