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सोशल मीडिया से दूर होकर, बच्चों को सिखाएं रिश्ते की अहमियत

टीम Her Circle |  December 18, 2025

रिश्तों की अहमियत करना, बदलते वक्त के साथ पीछे छूट रही है। बच्चे सबसे अधिक समय इस बात पर बिता रहे हैं कि सोशल मीडिया पर या फिर उनके दोस्तों के बीच उन्हें कितने लाइक्स , कमेंट्स मिल रहे हैं और कितने कमेंट मिल रहे हैं। डिजिटल दुनिया में बच्चों का अधिकतम समय मोबाइल, इंटरनेट या फिर सोशल मीडिया पर बीतता है। बच्चे सबसे अधिक समय वर्चुअल दोस्ती में बिजी रहने में बिताते हैं और परिवार के बीच रहकर भी खुद का नाता सोशल मीडिया से मजबूत करते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि कैसे आप बच्चों को रिश्तों की अहमियत समझा सकती हैं। 

घर में दिखाएं रिश्ते की आईना 

बच्चों की आदत होती है, जो देखते हैं उसे ही करने की कोशिश करते हैं। इसलिए बच्चे बोलने से पहले आपको कॉपी करना शुरू करते हैं। बच्चे यह देखते हैं कि आप अपने से बड़ों से कैसे बात करते हैं, कैसे उनका सम्मान करते हैं। आप अपने परिवार को बुर्जुग लोगों से कैसे पेश आते हैं, कैसे आप अपने माता-पिता और भाई-बहन के साथ बर्ताव करते हैं, बच्चे वह सब करने की कोशिश करते हैं। बच्चे देखते हैं कि कैसे आप अपने बड़ों का आदर करते हैं, उन्हें प्यार करते हैं, ठीक वैसा ही बच्चे करने की कोशिश करते हैं। बच्चे देखकर सीखते हैं, उन्हें आपको कुछ भी बोलकर समझाने की जरूरत नहीं होती है। बच्चों को सिखाने के लिए आपको उन्हें बोलकर बताना नहीं होता है, बल्कि आपका बर्ताव ही उनके लिए मार्गदर्शन का काम करता है। अगर आप अपने माता-पिता के प्रति प्यार और सम्मान दिखाती हैं, तो आपके परिवार के बच्चे भी वहीं से सीख लेते हैं।

काम से मिलेगी सीख

बच्चों को घर के काम में शामिल करना जरूरी है। बच्चों को बच्चा समझकर एक तरफ खड़ा करना सही नहीं होगा। अगर बच्चे घर में अपने दादा-दादी का काम करते हैं या फिर मां के किसी काम में मदद करते हैं, तो इससे रिश्ता मजबूत बनता है। आप बच्चों को छोटे-छोटे काम दे सकती हैं। जैसे कि दादाजी की दवाई लेकर देना, अखबार पकड़ाना, किसी मेहमान को पानी पिलाना, छोटे बहन-भाई को होमवर्क में मदद करना। बच्चे को आपको परिवार के बीच जिम्मेदारी और अपनापन का भाव इस तरीके से आ जाता है। परिवार में अपने बच्चे की एक खास जगह बनाएं। इससे आपका बच्चा भी रिश्तों को परिवार को महत्व देने लगेगा। 

रात में सुनाएं कहानियां

पहले दादा-दादी रात में बच्चों को कहानियां सुनाते थे, जिनमें नैतिक मूल्य और रिश्तों का महत्व छुपा होता था। आज स्क्रीन ने इन कहानियों की जगह ले ली है। माता- पिता को या फिर परिवार के किसी बड़े को बच्चों को कहानियां सुनानी चाहिए। आपको कहानियों के जरिए रिश्तों की अहमियत, साथ मिलकर खाना खाने की कीमत, त्योहारों में अपनों का साथ और परिवार की एकता से जुड़ी हुई कहानियां सुनानी चाहिए। इसके अलावा बच्चों के साथ परिवार की तस्वीर भी होनी चाहिए। इस तरह से बच्चे परिवार के और अधिक करीब आते हैं और उन्हें रिश्तों की समझ भी होती है। 

त्योहार की तैयारी 

बहुत जरूरी है कि त्योहार की तैयारी में भी आपको बच्चों को शामिल करना चाहिए। बच्चों को मिठाई बनाने से लेकर पूजा का सामान बाजार से लेकर आना और पूजा की तैयारी में शामिल होने जैसे कई सारे काम में शामिल करना चाहिए। बच्चे जब देखते हैं कि आप त्योहार की तैयारी में उनको शामिल कर रहे हैं, तो उनका मन भी घर के काम के साथ अपनों के साथ में लगता है। बच्चे समझते हैं कि चैट और कमेंट्स से ज्यादा जरूरी अपनों के साथ समय बिताना और अपना सुख-दुख बांटना होता है। 

बच्चों के लिए संवाद जरूरी 



बच्चों के लिए संवाद भी बहुत जरूरी होता है। आपको बच्चों को बातचीत करना सीखाया जाना चाहिए। जहां पर बच्चे अपनी बात को कहने के लिए इमोजी का सहारा नहीं लेते हैं। बच्चों के साथ बैठकर बात करें, अपनी परेशानियों को बच्चों के साथ शेयर करें और उनके साथ अपनी भावनाएं व्यक्त करें। साथ ही अगर आपसे कोई गलती हो जाती है, तो बच्चों से माफी भी जरूर मांगें। बच्चों को उदारता से बोलना सिखाएं। साथ ही बच्चों को संवेदनशील भी जरूर बनाएं। जब बच्चा समझता है कि दूसरों की खुशी-दुख में शामिल होना एक रिश्ता निभाने की निशानी है, तब वह संबंधों को गंभीरता से लेने लगता है।

बच्चे की किसी से तुलना न करें

आपको अपने बच्चे की किसी से भी तुलना नहीं करनी चाहिए। जब आप बच्चे की तुलना किसी और से करते हैं, तो बच्चा आपसे दूरी बनाने लगता है। साथ ही बच्चा लोगों से घुलना-मिलना नहीं चाहता है। इसलिए आपको बच्चे पर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए। साथ ही बच्चे की तुलना भी किसी अन्य से नहीं करनी चाहिए। आपको बच्चे को बताना चाहिए कि वह आपके लिए कीमती है। इसके उलट यदि आप उन्हें प्यार, ध्यान और सम्मान देंगे, तो वे रिश्तों की अहमियत समझें और उन्हें निभाने का हुनर सीखेंगे।

बच्चे को धन्यवाद और सॉरी कहना सिखाएं

किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए उसमें कृतज्ञता और माफी जरूर होनी चाहिए। किसी की मदद पर “धन्यवाद” कहना चाहिए। साथ ही अगर कोई गलती हो जाती है, तो “सॉरी” कहना चाहिए। इससे आपके आपसी रिश्ते में सुंदरता और मजबूती बनी रहती है। 

परिवार के साथ सेलिब्रेशन करें

आपको अपने परिवार के साथ छोटे और बड़े सेलिब्रेशन जरूर करना चाहिए। जन्मदिन, शादी की सालगिरह, नौकरी का पहला दिन, अच्छे नंबर लाना और साथ ही परिवार के किसी भी सदस्य की छोटी और बड़ी उपलब्धि का जश्न जरूर मनाना चाहिए। जब बच्चे देखते हैं कि परिवार एक-दूसरे की खुशियों में शामिल होता है, तो वे भी रिश्तों की अहमियत स्वीकार करते हैं। साथ ही आप अपने बच्चे को परिवार के सदस्य के लिए कोई न कोई तोहफा या फिर कार्ड बनाने को जरूर बोलें। बच्चों को सिखाएं कि उन्हें भी परिवार के प्रति कुछ कर्तव्य निभाने चाहिए। घर आने वाले मेहमानों का स्वागत करना, भाई-बहनों का ध्यान रखना, किसी की तबीयत खराब हो तो पूछने के साथ कई सारी पारिवारिक गतिविधियों का हिस्सा अपने बच्चों को जरूर बनाएं। ऐसा करना उन्हें परिवार के करीब लाएगा और सोशल मीडिया से दूर रखेगा। 

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