अक्सर ऐसा होता है कि माता- पिता दोनों कामकाजी होने के कारण बच्चों को अधिक समय नहीं दे पाते हैं। ऐसे में परिवार का कोई दूसरा सदस्य या फिर नैनी बच्चे के साथ अधिक समय बिताती हैं और बच्चे अपने माता-पिता के साथ समय नहीं बिता पाते हैं। एक बच्चे के लिए बेहद जरूरी है कि माता-पिता का साथ उनके भविष्य को आगे बढ़ें। बुर्जुगों का यह कहना गलत नहीं है कि माता-पिता की छांव में ही बच्चे एक सकारात्मक और ऊर्जा से युक्त भविष्य की तरफ आगे बढ़ते हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि व्यस्त जीवनशैली में एक अच्छे माता-पिता बनना पूरी तरह से मुमकिन है। इसके लिए जरूरी है, थोड़े से ध्यान, संतुलन और सही इरादे की। आइए जानते हैं विस्तार से।
समय कम होने पर परवाह नहीं

माता-पिता दोनों के कामकाजी होने के कारण पेरेंट्स को अपने बच्चे के साथ कम समय मिल पाता है। ऐसे में पेरेंट्स अपने बच्चे को बचे हुए समय में केवल अनुशासित रहना सिखाते हैं। बच्चों को माता-पिता से पढ़ने की सलाह मिलती है या फिर सोने की। साथ ही हर वक्त उन्हें अनुशासित रहने की सीख भी मिलती है। हालांकि ऐसा करना जरूरी नहीं है। अगर आप थोड़े समय में भी अपने बच्चे पर पूरा ध्यान देती हैं,तो गिनती के लम्हे भी आपके लिए यादगार बन जाते हैं। जब भी आपको समय मिले, बच्चों के साथ उनकी एक्टिविटी का हिस्सा बनें। उनके साथ किताबें पढ़ें, गेम खेलें। साथ ही जितना हो सके अपने बच्चे के साथ 10 से 15 मिनट सिर्फ बच्चे के साथ नॉन डिजिटल समय बिताएं।
सुनने पर ज्यादा ध्यान दें
अमूमन ऐसा होता है कि अपने व्यस्त जीवन में रहने के कारण पेरेंट्स का ध्यान हमेशा से ही सुनने पर अधिक नहीं होता है, बल्कि बोलने में अधिक ध्यान देते हैं। माता-पिता के लिए यह समझना ज्यादा जरूरी है कि उनका बच्चा क्या बोलना चाहता है। आपको अपने बच्चे की हर बच्चों सी बात को जरूर सुनना चाहिए।
अपनाएं ये टिप्स

आंखों में आंखें डालकर बात करनी चाहिए। बच्चे की बातें ध्यान से सुननी चाहिए फिर बात चाहे कैसी भी क्यों न हो। जब भी बच्चे आपको कुछ बताते हैं, तो बीच में टोकने की बजाय अपने बच्चे की पूरी बात सुनें। इससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और उनका आपके साथ रिश्ता मजबूत होता है।
वीकेंड का रूटीन बनाना

आपको वीकेंड पर बच्चों के साथ रूटीन बनाना चाहिए। इससे बच्चों में स्थिरता आती है। बच्चे को साथ खासतौर पर वीकेंड पर खेलने का और बाहर जाने का एक समय सेट करना चाहिए। बच्चों के साथ एक्टिविटी करें। कहानी सुनने से लेकर इंडोर और आउटडोर गेम तक। अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। आपको हर सप्ताह के वीकेंड क्या प्लानिंग करनी है, यह पहले से तय करके रखें। इससे वीकेंड में आपको आसानी होगी। साथ ही अगर आप किसी वजह से बिजी हैं, तो खुद को दोषी न बनाएं। आप यह भी कर सकती हैं कि अपने काम का हिस्सा अपने बच्चे को बना सकती हैं।
प्यार की भाषा जरूरी

कई माता-पिता ऐसे होते हैं, जो कि अपने बच्चों से प्यार जरूर करते हैं लेकिन उसे जाहिर नहीं करते हैं। आप बच्चे को समय मिलने पर गले लगाएं। सर सहलाना साथ ही अपने बच्चे को यह जरूर कहें कि मुझे तुम पर गर्व है , आई लव यू। यह सारे वाक्य केवल शब्दों से घिरी हुई लाइन नहीं है, बल्कि भाव है, प्यार दिखाने का। साथ ही इन सबके बीच अपने आप को भी स्थान दें। वक्त मिलने पर मेडिटेशन करें या फिर अपने बच्चे के साथ वॉक करें।