बिना ट्यूशन के बच्चों को घर पर पढ़ाने के एक नहीं कई सारे तरीके हैं। बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए हर माता-पिता हर मुमकिन कोशिश करते हैं। स्कूल के साथ ट्यूशन और घर पर भी पढ़ाई होती है। लेकिन कई बार बच्चों के लिए यह पढ़ाई बोझ बन जाती है, क्योंकि उन्हें खेल-कूद का वक्त कम मिलता है। ऐसे में माता-पिता की चिंता पढ़ाई को लेकर अधिक बढ़ जाती है। सच्चाई यह है कि अगर सही ,तरीके से घर पर पढ़ाया जाए, तो बच्चे पढ़ाई के प्रति अपनी दिलचस्पी को बढ़ा सकते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
बच्चों की रुचि और सीखने की शैली

आपको सबसे पहले अपने बच्चे की रुचि को समझना होगा। आपको यह देखना होगा कि बच्चे की सीखने में दिलचस्पी कैसी है। आपको यह समझना होगा घर पर पढ़ाई शुरू करने से पहले ये समझना जरूरी है कि आपका बच्चा किस तरीके से सीखना पसंद करता है। अगर आपका बच्चा देखने में यानी कि वीडियो में दिलचस्पी रखता है, तो वह विजुअल लर्नर है। अगर उसे कहानी सुनकर चीजें याद रहती हैं, तो वह आडियो लर्नर है। अगर वह चीजें खुद करते सीखता है, तो वह सेल्फ लर्निंग है। आप बच्चों को गिनती की सीख देते समय रंगीन बटन या फिर चॉकलेट का इस्तेमाल कर सकती हैं। आप विज्ञान सीखने के लिए प्रयोग करके दिखा सकती हैं। आप हिंदी या अंग्रेजी की कहानी को एक्टिंग के तौर पर करवा सकती हैं। अगर आप बच्चे को उसकी दिलचस्पी के अनुसार पढ़ते हैं, तो वह बिल्कुल भी बोर नहीं होता है।
फिक्स टाइम टेबल और पढ़ाई का वातावरण बनाना

आपको अपने बच्चे के लिए फिक्स टाइम टेबल और पढ़ाई का वातावरण बनाना चाहिए। बच्चे को घर में पढ़ाने का मतलब यह नहीं है कि कभी-भी किसी भी वक्त आपको किताब खोल देना है। आपको अपने घर का अनुशासन और वातावरण भी ध्यान रखना चाहिए। आप दिन के समय सुबह 9 बजे से 11 या फिर शाम को 5 से 7 बजे तक का समय पढ़ाई के लिए चुन सकती हैं।आप पढ़ाई के समय टीवी, मोबाइल को दूर रखें। आप अपने बच्चे के लिए स्टडी कॉर्नर बना सकती हैं। एक टेबल, कुर्सी और अच्छी रोशनी का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसका यह फायदा होता है कि जब बच्चा रोज़ एक ही समय पर पढ़ता है, तो उसका फोकस और अनुशासन दोनों बढ़ते हैं। उसे लगता है कि पढ़ाई उसके रोज़मर्रा के काम का हिस्सा है, कोई बोझ नहीं।
गेम, कहानी और प्रैक्टिकल उदाहरण बनाएं

अगर आप उसे मजेदार तरीकों से पढ़ाते हैं, तो वही चीज़ वह बहुत जल्दी और लंबे समय तक याद रखता है। आप मैथ्य गेम को लूडो या फिर कैंडी गेम से जोड़े। आप बच्चे के स्पेलिंग चैलेंज दे सकती हैं और नए-नए शब्द याद दिला कर रिवॉर्ड दे सकती हैं। नींबू, बेकिंग सोडा और पानी से छोटे-छोटे प्रयोग कराएं। नक्शे पर देशों को देखकर, कहानियों के रूप में समझाएं। इस तरह से बच्चे पढ़ाई से नहीं डरते हैं और उन्हें सीखने में मजा आने लगता है।
हर दिन रीविजन के साथ छोटे लक्ष्य बनाएं

बहुत से बच्चे इसलिए कमजोर पड़ जाते हैं क्योंकि उन्हें यह नहीं पता होता कि क्या और कितना पढ़ना है। अगर आप अपने बच्चे के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य तय करती हैं, तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। आपको हर दिन रीविजन टाइम रखना चाहिए। जिससे आपको पुरानी बातों को दोहराना चाहिए। बिना ट्यूशन के बच्चे को पढ़ाना तभी सफल होगा जब घर का माहौल सकारात्मक रहेगा। गुस्सा करने या डांटने से बच्चा डरता है, जबकि प्रशंसा से उसका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाता है। छोटी-छोटी उपलब्धियों पर भी उसकी तारीफ करें — “बहुत अच्छा!”, “आज तो तुमने खुद हल कर लिया!” अगर गलती हो, तो पहले समझाया, फिर सही तरीका बताएं। हर दिन कुछ मिनट बच्चे से बातें करें — स्कूल में क्या नया सीखा, किस विषय में कठिनाई है आदि। बच्चे को यह एहसास होना चाहिए कि “माँ-पापा मेरे साथ हैं, मेरे ऊपर नहीं।”